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आज का टेलीग्राफ : अदानी की माला ही जपनी है तो ये लीजिए 81 छोटी मूर्तियां!

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संजय कुमार सिंह-

अदानी की माला ही जपनी है तो ये लीजिए 81 छोटी मूर्तियां। लेकिन “मोदी-अडानी भाई-भाई, देश बेच के खाए मलाई” – सुना आपने?

द टेलीग्राफ के आज के पहले पन्ने की खबरों का मुख्य शीर्षक हिन्दी में कुछ इस प्रकार होता –

मूक फिल्म के स्टार – अदानी पर पूछे गए 81 प्रश्नों में से एक का भी उत्तर नरेन्द्र मोदी ने नहीं दिया है। प्रत्येक के लिए एक लघुमूर्ति। तीन खबरों के शीर्षक इस प्रकार हैं। छोटी-छोटी खबर का हिन्दी अनुवाद आगे पढ़ें।

  1. इंग्लैंड में जो हुआ उसपर शोर, अदानी पर चुप्पी
  2. ध्यान बांटने की कोशिश का शक
  3. भारतीय विचारो में डूबने के आईआईएम इंडिया के कार्यक्रम पर तालिबान की सहमति

अफगानिस्तान में तालिबान सरकार ने अपने विदेश मंत्रालय के कर्मचारियों को “भारतीय विचारों के साथ तल्लीनता” में एक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने की सिफारिश की है। आईआईएम, कोझिकोड द्वारा इस ऑनलाइन पाठ्यक्रम की पेशकश नई दिल्ली के क्षमता-निर्माण मंच तथा भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) के भाग के रूप में की गई है। एक कार्यालय ज्ञापन में, अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात के विदेश मंत्रालय ने कहा कि काबुल में भारतीय दूतावास ने उसे कार्यक्रम के बारे में सूचित किया था।

  1. डायवर्सनरी टैक्टिक व्हिफ हिन्दी में इस प्रकार होती
    समझा जाता है कि ब्रिटेन में राहुल गांधी की टिप्पणियों पर तूफान खड़ा करने की नरेंद्र मोदी सरकार की रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ मंत्रियों के बीच हुई बैठक में बनी है। यह बैठक दोनों सदनों की बैठक से ठीक पहले हुई थी। विपक्ष का मानना ​​है कि राहुल की टिप्पणी को अदानी विवाद से ध्यान हटाने के लिए एक चाल के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। इस सत्र में एक वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री की असाधारण भूमिका देखी गई। उनने मांग की कि संसद के बाहर व्यक्त की गई राय पर सदन एक विपक्षी सांसद की निंदा करे। लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल के खिलाफ आरोप का नेतृत्व किया।
  2. राहुल गांधी जो कुछ भी कहते हैं, उससे भाजपा और नरेंद्र मोदी सरकार नाराज हो जाती है। बदले में खंडन और जवाबी हमलों की झड़ी लग जाती है। (कई बार मूल आरोप का पता चले बगैर) लेकिन अदानी मामले पर राहुल के सवालों का जवाब खामोशी से दिया गया है। (हालांकि अदानी को घाटा फिर भी हो रहा है और बचाने की कोई कोशिश कामयाब नहीं हो रही है)।

सोमवार को जब बजट सत्र का दूसरा चरण शुरू हुआ, तो सरकार ने संसद में राहुल को अलग-थलग करके उनके खिलाफ आक्रामक शुरुआत की। इससे विपक्ष को इसका उपयोग अडानी विवाद से ध्यान हटाने की युक्ति के रूप में करने का संदेह हुआ। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री से अडानी पर अब तक 81 सवाल पूछे हैं। इनमें से किसी का भी मोदी ने जवाब नहीं दिया है।

दूसरी ओर, सरकार ने राहुल पर अपनी हालिया यूके यात्रा के दौरान “भारत के सम्मान और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने” की कोशिश का आरोप लगाया है। (मतलब सदन में जो पूछा जाए, जो देश के मतलब का हो उसपर सन्नाटा) भाजपा सदस्यों द्वारा हंगामा करने के प्रयास ने संसद के अंदर और बाहर लगभग पूरे विपक्ष को “मोदी-अडानी भाई-भाई, देश बेच के खाए मलाई” का नारा लगाने के लिए प्रेरित किया। बाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई बैठक में केवल तृणमूल कांग्रेस शामिल नहीं हुई।

आपके अखबार ये सब बताएंगे नहीं और आपका उपोयग ताली बजाने के लिए किया जाता रहेगा।

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