भास्कर मीडिया समूह के चेअरमैन रमेश चन्द्र अग्रवाल के निधन की ख़बर को मध्यप्रदेश के दो बड़े अख़बारों ने जिस बेहूदे तरीक़े से ट्रीट किया, उससे पता लग गया कि वे कितनी टुच्ची और बोदी सोच से संचालित अख़बार हैं.
इनमें से एक, भास्कर को पछाड़ने की होड़ में हांफ़ रहे अख़बार ने रमेश जी के निधन की ख़बर को अपने पेज-2 पर संक्षिप्त समाचार के रूप में छापकर ख़ुद को ‘गौरवान्वित’ कर लिया, मानो उसने पत्रकारिता का कोई नया कीर्तिमान स्थापित कर डाला हो. इस अख़बार ने उस संक्षिप्त समाचार के शीर्षक में रमेश जी के नाम का ज़िक्र तक करना मुनासिब नहीं समझा. ज़रा शीर्षक तो देखिए-‘आज दोपहर तक बंद रहेंगे राजधानी के बाज़ार’.
दूसरे ‘बड़े वाले’ अख़बार ने इस महत्वपूर्ण समाचार को ‘इकोनॉमी’ हैडर वाले पेज-11 पर लोअर हाफ़ में छापकर दिवंगत रमेश जी को ‘उपकृत’ किया है. क्या देश के सबसे बड़े मीडिया समूह के मालिक की मृत्यु के समाचार को वाणिज्य के पेज पर सिंगल कॉलम में छापने का मतलब यह नहीं कि यह उद्योग-व्यापार की किसी गतिविधि से जुड़ा कोई मामूली-सा समाचार है.
विडम्बना यह है कि इसी अख़बार के पहले पेज पर रमेश जी को श्रद्धांजलि देता हुआ एक बड़ा विज्ञापन छपा है. अगर रमेश जी से इतनी ही एलर्जी थी तो विज्ञापन भी न छापते. क्यों नहीं छापते भैया? उसे छापने के लिए तो मोटी रकम मिली थी न!
अब आप ही बताइए, इसे हद दरज़े का घटियापन न कहें तो क्या कहें?
अरे ओ बड़े अख़बार वालो! अपने दिलोदिमाग़ को भी थोड़ा बड़ा कर लो. व्यापारिक होड़ का मतलब इस तरह का घटियापन दिखाना तो हरगिज़ नहीं है. हर आदमी की मौत एक बार ही होती है भाई. उस पर भी आप अपनी टुच्चियाई से नहीं चूके यार! लानत है आप पर!!
लेखक एलएन शीतल नव भारत अखबार के वरिष्ठ समूह संपादक हैं.
Dilip Singh sikarwar
April 15, 2017 at 7:10 pm
Aajkal hr kahi ek dusre ko neecha dikhane ki hod lgi hai…dekhte hai, kon..kha tk jata hau