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नफरती सरकार ने दंगों की सच्चाई दिखाने पर दो न्यूज़ चैनलों को बैन कर दिया!

सरकार ने मलयालम के दो टीवी चैनल- मीडिया वन और एशियानेट पर नफरत फैलाने की आरोप में अडतालीस घंटे की रोक लगा दी.

जो सरकार रिपब्लिक टीवी और जी न्यूज़ की भयंकार सांप्रदायिक और फर्जी खबरों व सुदर्शन चैनल की घटिया स्तर पर नफरत संचार के कार्यक्रमों पर चुप रहती है , वह केरल के चेनलों पर पाबंदी लगा रही है।

जान लें यह एक प्रयोग है, संयोग नहीं। इसके जरिये प्रतिरोध की ताकत देखी जाएगी। फिर सबके नम्बर आयेंगे।

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सोशल मीडिया पर स्वतंत्र नजरिया रखने वालों या हकीकत बताने-दिखाने वालों पर भी नज़र है नफरती सरकार की।

मीडिया वन के संचालक का यह पत्र जरुर पढ़ें और जाने कि क्या हिंदी वालों की कमर इतनी मजबूत है।

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इस पूरे प्रकरण पर पत्रकार सौमित्र रॉय लिखते हैं-

दिल्ली हिंसा में पुलिस और आरएसएस पर सवाल उठाने का नतीजा। 2 मलयाली चैनलों पर 48 घंटे की पाबंदी।

कौन कहता है कि भारत में प्रेस को आज़ादी है। 2016 में NDTV को भी इसी तरह बंद किया गया था। पठानकोट हमले पर सवाल पूछे गए थे।

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सरकार चाहती है कि पूरा मीडिया उसकी गोदी में आकर बैठ जाए। सरकार की भाषा बोले। सरकार से सवाल न पूछे। विपक्ष से पूछे।

पत्रकारिता अंजना या अर्नब बनने की ट्रेनिंग कभी नहीं देती। यह रीढ़ पर निर्भर है कि वह कितना झुक सकती है।

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अंग्रेज़ 30 करोड़ ग़ुलाम छोड़ गए थे। हमने 100 करोड़ और पैदा कर लिए।

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