Sheetal P Singh : इंडियन एक्सप्रेस ने सब खोल कर रख दिया है। JNU के चीफ़ प्रॉक्टर, ABVP के 8 पदाधिकारी, DU से जुड़े कॉलेज के एक शिक्षक और दो रिसर्च स्कॉलर उन तीन व्हाट्सएप ग्रुप्स के हिस्सा थे जिनके ज़रिए हमला को सुनियोजित किया गया! दिल्ली पुलिस की जाँच शुरू हुई कि नहीं? हां, सुना है जो पीटे गए, उन्हें ही आरोपी बना दिया गया है.
Jitendra Narayan : इण्डियन एक्सप्रेस के अनुसार JNU में हिंसक हमलों की प्लानिंग करने वाले व्हाट्सएप ग्रुप में ABVP के 8 पदाधिकारी, JNU के चीफ प्रोक्टर विवेकानंद सिंह , दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह ईवनिंग कालेज के एक सहायक प्रोफेसर और 2 पीएच डी छात्र शामिल थे…
मगर दिल्ली पुलिस अभी तक किसी के भी खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाई है…!!! हिंसक हमले में बुरी तरह घायल JNUSU प्रेसिडेंट ऐशी घोष पर दर्ज प्राथमिकी के बाद तो अब पूरी तरह साबित हो गया है कि ये हमला मोदी सरकार की ओर से प्रायोजित था जिसे ABVP के गुंडों और संघ से जुड़े जेएनयू और दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने अंजाम दिया जिस पर इण्डियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट भी की है… और दिल्ली पुलिस सारे लाज-शरम धोकर खुलेआम हमलावरों के साथ है…!!!
Soumitra Roy : आज का इंडियन एक्सप्रेस पढ़िए। खबर है कि JNU में रविवार शाम को आतंक का जो नंगा नाच पुलिस के सामने हुआ, उसमें यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर विवेकानंद सिंह, डीयू के एक टीचर, ABVP के 8 पदाधिकारी और DU के 2 PHd स्कॉलर की मिलीभगत का पता चला है।
इन लोगों ने ही गुंडों को सुनियोजित तरीके से कैंपस में दाखिल करवाया। इसकी प्लानिंग 3 व्हाट्सएप्प ग्रुप के संदेशों से साफ हो जाती है। इन्हीं भेदियों ने हमलावरों को हर होस्टल का नक्शा, वहां रहने वाले स्टूडेंट्स के नाम दिए, ताकि शिकार चुनने में आसानी न हो। गांधीजी की हत्या के बाद गठित कपूर कमीशन की रिपोर्ट पढ़िए। दिगंबर बड़गे ने सरकारी गवाह बनने पर गोडसे और आप्टे के सावरकर से लगातार मिलने और निर्देश हासिल करने की बात बताई थी।
जस्टिस जे एल कपूर ने लिखा है- महात्मा गांधी की हत्या में जितने भी लोग शामिल थे, वे सभी कभी न कभी सावरकर भवन गए थे। इन मुलाकातों का तारीखों सहित विवरण भी है। यहां तक कि मुम्बई में महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री मोरारजी देसाई को भी गोडसे, आप्टे और सावरकर के संबंधों का पता था। गांधीजी के पड़पोते तुषार गांधी ने सरदार पटेल को भेजी गई खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि पुलिस और नौकरशाही में काबिज कई अफसर आरएसएस और हिन्दू महासभा के खुफिया सदस्य थे।
आज़ादी के बाद भारत अंग्रेजों के दिये इसी जहर को पालकर आगे बढ़ा है। असल में टुकड़े-टुकड़े गैंग यही है। इंडियन एक्सप्रेस ने JNU की घटना में जो चेहरे उजागर किये हैं, वे कहीं आसमान से नहीं टपके। ये विचारधारा तो हमारे ही समाज में कायम है। सोशल मीडिया ऐसे जाहिलों से भरा है जो हिन्दू राष्ट्र की ज़िद में कुछ भी करने को तैयार बैठे हैं।
यही वे लोग हैं जो देश की धर्म निरपेक्षता के ताने-बाने को तार-तार करने वाले हैं। इन्होंने गांधी की हत्या की और अब ये उनकी पंथ निरपेक्षता को खत्म करने की साज़िश कर रहे हैं। क्योंकि इनके सिर पर अब आरएसएस का हाथ है। क्या आपको भारत का कट्टरपंथी तालिबानिकरण मंज़ूर है?
सौजन्य- फेसबुक