संजय कुमार सिंह-
अखबारों ने जब कल यह बताया था कि लालू यादव के घर सीबीआई पहुंच गई और आज यह नहीं बताया है कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी अध्यक्ष कल उस व्यक्ति के शपथग्रहण समारोह में शामिल हुए और प्रधानमंत्री ने ट्वीट भी किया जिसे चुनाव प्रचार के दौरान इन लोगों ने सबसे भ्रष्ट कहा था। तो अखबारों-संपादकों से सवाल करना बनता है। पाठकों को जानने का हक है कि आज की खबरें किन खबरों की कीमत पर है। इशलिए आज के अखबारों की लीड और उनपर मेरा सवाल…
- हिन्दुस्तान टाइम्स की लीड है
कोनार्ड, नेफियू को शपथ दिलाई गई, मुख्यमंत्री के रूप में नए कार्यकाल की शुरुआत
मेरा सवाल है,
दिल्ली के अखबार में मेघालय और नगालैंड का शपथग्रहण क्या इसलिए लीड है कि उसमें प्रधानमंत्री भी शामिल हुए थे और ट्वीट किया था।
क्या शीर्षक या उपशीर्षक में यह नहीं बताया जा सकता था कि मेघालय की सरकार को सबसे भ्रष्ट कहने के बाद भी पार्टी उस सरकार में शामिल है। - द हिन्दू की लीड है
महिला दिवस से पहले नगालैंड की पहली महिला मंत्री ने पद संभाला
मेरा सवाल है
क्या यह तथ्य दूसरे अखबारों के लिए कम महत्वपूर्ण है। खास कर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के प्रचार के संदर्भ में। वैसे भी नगालैंड में महिला का चुनाव लड़ना और जीतना अपने आप में खबर है। - इंडियन एक्सप्रेस की लीड
उसकी एक्सक्लूसिव खबर है – सरकार सीमा पार डाटा प्रवाह के नियमों को आसान बनाने की योजना बना रही है। प्रस्ताव है कि काली सूची के देशों को छोड़कर सभी देशों में डाटा ट्रांसफर की अनुमति हो।
मेरा सवाल है कि
सरकार जब विदेश में या विदेश की किसी भी कार्रवाई से परेशान हो जाती है। चाहती है कि वहां सरकार के खिलाफ नहीं बोला जाए तो डाटा प्रवाह की जल्दी क्यों है? पेगासस पर सरकार ने जवाब ही नहीं दिया है कि सरकार ने खरीदा है या जासूसी सरकार की जानकारी में हुई है। फिर डाटा ट्रांसफर का नियम बनाने की जल्दी क्यों है? क्या एक्सप्रेस एक्सप्लेन्ड में अखबार को इसकी चर्चा नहीं करनी चाहिए थी। एक्सप्रेस ने बताया है कि कुछ लोगों, निजी इकाइयों को – इस सूची से अलग रखा जा सकता है। ‘सकता है’ के आधार पर यह सरकार की कोशिशों का प्रचार या समर्थन नहीं है? - आज टाइम्स ऑफ इंडिया की लीड है,
आम आदमी पार्टी के सदस्यों को पैसे देने के लिए ईडी ने हैदराबाद के कारोबारी को गिरफ्तार किया।
मेरा सवाल है,
क्या आम आदमी पार्टी के पास भी अरविन्द केयर्स या सीएम केयर्स होता तो यही बात होती? - द टेलीग्राफ की लीड है
लंदन में राहुल गांधी ने कहा आरएसएस एक कट्टरपंथी औऱ फासिस्ट संगठन है। इसमें खास बात यह है कि आरएसएस के एक व्यक्ति की बेटी ने देश की स्थिति पर अफसोस जताया है। पूरा विवरण पढ़ने-जानने लायक है। इसके साथ एक और खबर है, “भाजपा : शर्म करो, गलतबयानी मत कीजिए :कांग्रेस।” बेशक, देश की राजनीति ही नहीं, विदेश में भारत को बदनाम करने के सत्तारूढ़ दल के आरोपों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
मेरा सवाल
यह खबर दूसरे अखबारों में पहले पन्ने पर क्यों नहीं है। संपादकीय नीति या सरकार का विरोध नहीं करने के घोषित/अघोषित उद्देश्य के कारण। जो भी हो, जब मूल खबर नहीं छपी तो इसपर एतराज भी नहीं छपना चाहिए। क्या यह आश्वासन है? हालांकि, आज छुट्टी है और परसों के अखबार के लिए यह मामला पुराना पड़ जाएगा। लेकिन … टाइम्स ऑफ इंडिया में यह आज ही है जिसका जवाब द टेलीग्राफ में छपा है।