RAW के पूर्व प्रमुख A S Dullat की ये किताब कई मामलों में अलग है!

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प्रभात डबराल-

जासूसों के कारनामों और उनकी ऐय्यारी के सच्चे झूठे क़िस्सों वाली कई किताबें बाज़ार में उपलब्ध हैं- आपने ज़रूर पढ़ी होंगी, मैंने भी पढ़ी हैं. लेकिन RAW के पूर्व प्रमुख A S Dullat की ये किताब, जिसकी तस्वीर नीचे दी गई है कई मामलों में अलग है.

जासूसी के कौशल की मीमांसा के साथ साथ ये किताब IB और RAW जैसे संगठनों के कामकाज के तरीक़ों को चतुराई से उद्घाटित करती है और सबसे बड़ी बात तो ये कि इस किताब को तब की राजनीति पर एक तबसरे के रूप में भी लिया जा सकता है.

और जैसा कि हरेक राजनीतिक विश्लेषण के साथ होता है दुल्लत साहेब के विश्लेषण में भी खोट ढूँढे जा सकते हैं लेकिन विश्वास मानिए किताब में दिए गए सारे तथ्य चौबीस कैरेट के सोने जैसे खरे हैं.

पहले ये जान लीजिए कि दुल्लत RAW के प्रमुख ज़रूर बने लेकिन जासूसी की अपनी असली ज़िंदगी उन्होंने IB में काटी.

ये किताब मुझे इसलिए भी दिलचस्प लगी क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा कश्मीर के परिप्रेक्ष्य में लिखा गया है. दुल्लत श्रीनगर में तो IB स्टेशन के प्रमुख थे ही मुख्यालय में भी कश्मीर डेस्क के प्रमुख थे.

अपना भी कश्मीर से ठीक ठाक रिश्ता रहा है. १९८९ से १९९६ तक ऐसी कोई घटना नहीं हुई जिसे अपन ने कवर न किया हो. यहाँ तक कि इस्लामाबाद गए तो वहाँ भी अपन JKLF के निर्वासित प्रमुख अमानुल्ला खान और हिज़बुल के आतंकी सलाउद्दीन का इंटरव्यू लेने से नहीं चूके.

इसलिए A LIFE IN THE SHADOW शुरू की तो आख़िर तक पढ़ता चला गया. दुल्लत की लेखनी का चमत्कार कहिए या उस दौरान की घटनाओं की ताब, पढ़ना शुरू करेंगे तो ख़त्म करके ही रुकेंगे.

वैसे भी ये किताब आख़िर तक पढ़नी ही चाहिए. आख़री चैप्टर देसी जेम्स बांड अजित डोभाल के बारे में हैं. दुल्लत डोभाल से तीन बैच सीनियर थे. जब डोभाल कश्मीर में तैनात थे, दुल्लत IB मुख्यालय में कश्मीर डेस्क के प्रमुख थे.

हालाँकि कश्मीर समस्या पर डोभाल जी और दुल्लत साहेब, दोनों की सोच एक दूसरे से एकदम उलट है. किताब पढ़ेंगे तो जान जाएँगे.

वैसे भी दुल्लत वाजपेयीजी के PMO में काम कर चुके हैं, उनपर एक किताब भी लिखी है, और डोभाल जी आडवाणी जी ख़ास माने जाते रहे हैं. आडवाणी जी के बाक़ी नज़दीकी लोगों की तरह डोभाल जी मोदी जी के साथ है और राज कर रहे हैं और वाजपेयीजी के बाक़ी नज़दीकी लोगों की तरह दुल्लत हाशिए पर हैं.

किताब पढ़ते समय, अगर पढ़ें तो, ये वाला समीकरण भी ध्यान में रखें. ठीक रहेगा.



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