Deepali Das : आजतक का फील्ड रिपोर्टर बता रहा है कि कुछ लोगों से सवाल करने पर उन गुंडों ने उसे ‘वामपंथी-नक्सली’ कहकर उसका माइक-तार-कैमरे की लाईट सब तोड़ दिया. और आजतक की एंकर तब भी, कौन है ये लोग जो ये हिंसा कर रहे हैं, पूछ रही है. जर्नलिज्म की डिग्री लेके बैठी एंकर को नहीं समझ आ रहा है कि रिपोर्टर को वामपंथी बोल कर तोड़फोड़ करने वाला किस गुट का होगा. ये लोग इस सरकार की गुलामी में अपने बच्चे तक पिटवा देंगे.
JNU में घुसकर की गई हिंसा पर जो न्यूज चैनल्स अब भी ‘ कुछ असामाजिक तत्व ‘ बोलकर इस घटना को घुमा फिराकर जेएनयू के छात्रों पर ही डालने में लगे हैं. इनके नाम और चेहरे याद कर लीजिए. जब देश को ख़ाक कर देने वालों को इनाम बांटा जाएगा तब सरकार के गुंडों के बाद इनको ही ढूंढ़ कर मंच पर भेजा जाएगा.
Mukesh Kumar : अब भक्त मीडिया क्या करेगा? वह हिंसा का दोष वामपंथियों और नक्सलाइट पर मढ़ेगा। वह बताएगा कि पहल एबीवीपी के गुंडों की तरफ से नहीं हुई, बल्कि वे तो वहाँ थे ही नहीं। वह सरकार को बचाएगा। पुलिस पर कुछ कहने से कन्नी काट लेगा। बहुत सारे तथ्यों को छिपाएगा और फ़र्ज़ी वीडियो दिखाकर अपने प्रभुओं को निर्दोष साबित करने की कोशिश करेगा। इसके बावजूद कि जेएनयू को बदनाम करने के लिए बनाया गया वीडियो फारेंसिक टेस्ट में फ़र्ज़ी पाया गया है।
Deepankar Patel : कितने न्यूज चैनल हैं जो खुलकर ये बोल रहे हैं कि हिंसा ABVP के लोग कर रहे हैं. आज तक के रिपोर्टर को वामपंथी और नक्सली कहकर पीट दिया गया, योगेन्द्र यादव की जेएनयू गेट पर लिंचिंग करने की कोशिश की गई. लेकिन न्यूज चैनल वालों को दो गुटों की मारपीट बताने में मजा आ रहा है. आज तक से ही कोई बोल दे ये ABVP वाले थे जिन्होंने रिपोर्टर को पीटा. लेफ्ट वाला तो रिपोर्टर को लेफ्टिस्ट और नक्सली बोलकर पीटेगा नहीं. चैनल रिपोर्टर पिटवा लेगा कैमरा तुड़वा लेगा लेकिन ABVP वालों को गुंडा नहीं कहेगा. यही स्वामीभक्ति है… राजा से गद्दारी नहीं करेंगे, जनता का हाल जो भी हो.
Abhishek Srivastava : कल जेएनयू में जो कुछ हुआ, ज़ी न्यूज़ ने उसकी भ्रामक और तथ्यात्मक रूप से गलत रिपोर्टिंग की। कल के हमले में भारतीय जनसंचार संस्थान (IIMC) की छात्रा पर बहुत बुरा हमला किया गया। संस्थान के पत्रकारिता के छात्रों ने इस पूरे मामले का गंभीरता से संज्ञान लिया है और आज दिन में 2 बजे नोएडा की फिल्म सिटी में पत्रकारिता के ये छात्र ज़ी न्यूज़ का शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए जुट रहे हैं।
स्वागत करिए देश के इन भावी पत्रकारों का, जिनके सामने अगले दो महीने में नौकरी पाने का संकट होगा लेकिन पत्रकारिता के मूल्यों के लिए जो अपना करियर आज दांव पर लगाने को तैयार हैं। सभी वैकल्पिक मीडिया मंचों को इन छात्रों की प्रतिबद्धता का सम्मान करते हुए इनकी आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलानी चाहिए। कुछ पत्रकार मित्रों को इस उम्मीद से टैग कर रहा हूं कि वे छात्रों के साथ खड़े होंगे। ताज़ा सूचना आयी है कि पुलिस की अनुमति नहीं मिलने के चलते प्रदर्शन स्थल को फिल्म सिटी की जगह IIMC कैम्पस कर दिया गया है।
Shesh Narain Singh : डी पी त्रिपाठी ने इमरजेंसी के दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर, नागचौधरी को आगाह किया था कि अगर छात्रों के अधिकारों पर हमला करोगे तो बहुत बुरा होगा। बाद में उन्हें जेल में ठूंस दिया गया था। जे एन यू में विद्वान लोग वाइस चांसलर बनाये जाते थे। पहली बार एक अजीब आदमी को वीसी बनाया गया है और वह छात्र छात्राओं को गुंडों से पिटवा रहा है।
Samarendra Singh : ये हमला जेएनयू के छात्रों पर ही नहीं हुआ है। ये हमला लोकतंत्र पर हुआ है। देश पर हुआ है। ये सिर्फ छात्र घायल नहीं हुए है। देश घायल हुआ है। ये लहू देश का लहू है। ये चीख देश की चीख है। हाथों में रॉड लिए आतंकी और गुंडे इस देश को कत्ल करना चाहते हैं। और हम में से जो भी खामोश बैठा है दरअसल वो इन अपराधियों के साथ है। उन्हें समर्थन दे रहा है। उसका लहू पानी बन चुका है। उसका जमीर मर चुका है। उसका स्वाभिमान खत्म हो चुका है। मेरी फ्रेंड लिस्ट में जो भी इस हमले को जायज ठहरा रहे हैं या उन्हें तार्किक आधार मुहैया करा रहे हैं, मेरी नजर में वो सब मरे हुए लोग हैं। उन सभी को कायदे से मेरी फ्रेंड लिस्ट से बाहर चले जाना चाहिए।
सौजन्य : फेसबुक
J. Shakaal
January 7, 2020 at 5:22 am
मुगलों अंग्रेजो के बाद देश दलाल मीडिया के खिलाफ सड़क पर उतरने की तैयारी कर सड़क छाप नेता लोग जिनको छपास का शौक है बस वह चंद लोग ही जो जनता को रोके बैठे है सरकार से ज्यादा गुस्सा जनता को भडवी मीडिया से चंद लोग रह गये है जो पत्रकारिता को बचाये हुये है वरना वेश्याओं की गरिमा भी यह भडवी मीडिया गिराये जा रहा वह अपने जिस्म का सौदा करते है यह अपने जमीर का बस जरूरत है समाजवादी मुलायम सिंह जी के समय हल्ला बोल जो हुया था उसकी दरकार है