जब पूरी पत्रकारिता ही स्खलन के दौर से गुजर रही है तो क्या आरोप और क्या प्रत्यारोप। बड़े पत्रकार जब सेल्फी खिंचाने में व्यस्त हैं तो जिलों के स्ट्रिंगर, संवाद सूत्र कहां पीछे रहने वाले हैं। बड़े पत्रकार मंत्रियों के पोर्टफोलियो तय कराते हैं तो जिले के पत्रकार कोतवाली चलाते हैं, कोतवाल का स्थानांतरण करवाने-रुकवाने में जी-जान लगा देते हैं। वह भी सारी पत्रकारिता की मान्यताएं ताक पर रखकर। उस पर आजतक जैसे चैनल का स्ट्रिंगर हो तो फिर क्या कहना!
खबर चंदौली जिले के मुगलसराय से है। पिछले दिनों मुगलसराय कोतवाली में नए आए कोतवाल अनिरुद्ध सिंह ने अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया। यहां तक तो ठीक था, लेकिन उन्होंने इस दौरान एक पत्रकार से बदतमीजी कर दी, गाली दी तथा लाठियों से पीटते हुए कोतवाली ले गए। इसके विरोध में कुछ पत्रकार धरने पर बैठे तो पत्रकारों का दूसरा गुट सक्रिय हो गया। नए आए कोतवाल बिना कुछ समझे इन पत्रकारों के झांसे में आ गए और धरना दे रहे पत्रकारों पर लाठी चार्ज कर दिया। कई लोगों को बेरहमी से पीटा गया।
अच्छा खासा काम कर रहे कोतवाल ने चैनलों के स्ट्रिंगरों के फेर में पड़कर बवाल मोल ले लिए। पूरा जिला कोतवाल को हटाने की बात पर आंदोलनरत हो गया। अखबारों ने भी खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया, लेकिन किसी भी चैनल पर इस दौरान कोई खबर नहीं चली। चैनलों के स्ट्रिंगर कोतवाल के पक्ष में खड़े होकर अपने कैमरे वाले गांडीव को झोले में रख लिया। कोतवाल के पक्ष में प्रायोजित खबरें फेसबुक और चैनलों पर चलाई गईं, लेकिन पीड़ित पक्ष की एक भी खबर किसी चैनल पर नहीं चली।
सवाल यह था कि इन स्ट्रिंगरों की शिकायत कौन और किससे करे। अगर कोई शिकायत करता तो ऊपर बैठे लोग कैसे विश्वास कर लेते कि उनका स्ट्रिंगर गलत है और पत्रकारिता छोड़कर दलाली में जुटा हुआ है, साथ ही आम लोगों के विश्वास की हत्या कर रहा है। वैसे भी चैनलों में बैठे आका वही सुनते हैं, जो कहानी स्ट्रिंगर बनाकर उनको सुनाते हैं। लिहाजा किसी ने इसकी शिकायत चैनल में नहीं की, जिससे तमाम चैनलों के स्ट्रिंगर पूरी लगन से कोतवाल के पक्ष में खड़े हो गए। इनका इतिहास पहले भी जीआरपी कोतवाल के पक्ष में खड़ा होने का रहा है।
पत्रकारिता के क्षरण का सिलसिला तमाम जगहों समेत चंदौली जिले में भी जारी है। लिहाजा आम लोग कैमरा आईडी लेकर घूमने वालों से कोई बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं रखते हैं। खैर, बात यह थी कि लाठीचार्ज के विरोध में पत्रकार, व्यापारी, वकील का एक बड़ा पक्ष कोतवाल के निलंबन की मांग पर अड़ गया। कोढ़ में खाज यह हुआ कि दुर्गा पूजा के दौरान भी चंधासी में एक कार्यक्रम में कोतवाल ने लाठीचार्ज करा दिया। इसके बाद आयोजकों ने मूर्ति विसर्जन से ही इनकार कर दिया। यह खबर भी चैनलों पर नहीं चली जबकि अखबारों में यह प्रमुखता से प्रकाशित हुआ। उच्चाधिकारियों के जांच कराए जाने के आश्वासन पर आयोजकों ने मूर्ति विसर्जन किया।
इन घटनाओं की जांच का जिम्मा उच्चाधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपा। जैसा कि बताया जा रहा है कि जांच के बाद कोतवाल अनिरुद्ध सिंह को हटा दिया गया। उनकी जगह एके सिंह कोतवाली का प्रभार सौंप दिया गया। इस कार्रवाई के बाद टीवी चैनल के आधा दर्जन से ज्यादा स्ट्रिंगर, जो कोतवाल के पक्ष में खड़े थे और उनके समर्थन में प्रायोजित खबरें चला रहे थे, भौचक्क हो गए। कोतवाल को बचाने के लिए प्रयोजित जुलूस निकलना, हस्ताक्षर अभियान आदि चलाने में एड़ी चोटी एक करने वाले स्ट्रिंगर इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया। और उन्हें वापस लाने के लिए सारी कोशिशें शुरू कर दीं।
आमतौर पर वाहन चेकिंग की खबरों पर लाईट, कैमरा,एक्शन की तर्ज पर काम करने वाले टीवी स्ट्रिंगरों ने चाटुकारिता की सारी हदें इस दौरान पार कर दी। यह हद तब और पार हो गई, जब आजतक और समाचार प्लस का स्ट्रिंगर उदय गुप्ता कोतवाल अनिरुद्ध सिंह की कोतवाली बचाने प्रदेश के लिए कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सिंह के दरबार में पहुंच गया। मूल रूप से ओम प्रकाश सिंह के क्षेत्र जमानियां का रहने वाला उदय गुप्ता अपने पुराने संबंधों के बल पर कोतवाल को लेकर कामाख्या मंदिर पहुंच गया, जहां ओम प्रकाश सिंह अपने परिवार के साथ दर्शन करने गए थे।
इस बात का खुलासा तब हुआ, जब कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश सिंह के प्रतिनिधि मन्नू सिंह के अपने फेसबुक वाल पर एक फोटो लगाई। इस फोटो में कोतवाल अनिरुद्ध सिंह के साथ आजतक और समाचार प्लस चैनल का स्ट्रिंगर उदय गुप्ता भी नजर आया। अब बताने की जरूरत नहीं है कि अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना चुके तमाम चैनलों के स्ट्रिंगर ओम प्रकाश सिंह के सहयोग से कोतवाल की मुगलसराय कोतवाली में फिर से वापसी करा दें, लेकिन इस सब के बीच सबसे बड़ा सवाल पत्रकारिता के लिजलिजेपन और बदलते स्वरूप को लेकर है। क्या अब पत्रकार आम आदमी की चिंता छोड़कर अधिकारियों की कुर्सी बचाने में अपनी पूरी ऊर्जा खपाता नजर आएगा।
चंदौली से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
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babbo
October 31, 2014 at 3:33 am
badash ka matalab hai nikalo badash chor chor masere bhai uday ush layak hai ki unke kahne par mantri kam kar rahe hai ye usne kam kar banaya hai aishe ve kya bolenge jo atikraman ke khilaf rti lgate hai ugahi karte hai aur ushi ke sath gt road jaam kar kanoon gath me lete hai jiske khilaf rti lagaya tha pagal go gaye hai aur likhte hai uday chor hai
SURESH KUMAR
October 28, 2014 at 11:53 am
mai uday ji ko achhi tarah se janta hoo ,, pichhle 14 varsho se vah patrkarita kar rahe hai magar aaj tak koi bhi unpar ugli nahi utha skta ,, yah to chandauli ke dalal kism ke patrkar hai jo apne svarth ke liye achhhe logo ko bhi badnam kar rahe hai ,, yh vahi log hai jo thele valo ko bhi nahi chhodte unse bhi dalali khate hai ,,
santosh
October 28, 2014 at 3:26 pm
Bhai tum usi gang ke lagte ho
Kyoke tumko mirchi lage hai.
chandramauli
October 29, 2014 at 2:32 am
udau gupta ji bahut bhadua kism ke patrakar hain jo chandramauli jaise log ko dhoka de sakte hain .lagta hai kotwal se khate hain.
😥 :
krishna
October 29, 2014 at 3:43 am
bhaut bada chamcha hai …..yaar ek baat batao …ek insaan anpe ghar se door rehta hai …..ho sakta hai ghar se bahut sampann ho lekin phir bhi itni levish life kaise jee sakta hai ,,,iske leye toh dhan chaheye…aur imandaari se ek stringer ko itna dhan toh nahi milta hai….
brij
October 29, 2014 at 4:12 am
bhai log yu hi kisi ko badnaam mat karo.wo ek bahut achcha insan hai.sabki madad karta hai.bahut hi mridubhasi aur milansar hai.rahi baat door rahne ki aur levise life ki to uske paas news paper ki agency hai ek medical store hai iklauta ladka hai.aur ek achchha reporter hai.uski achchhayion ko bhi dekhiye aaplog.pata chala hai ki jab pulis book staal wale ko pakd ke le gai thi to wahi aur uske tv ke patrakaro ne book stall wale ko samman ke sath chhudaya tha,uske baad bhi usko badnaam kiya ja raha hai.
VIMAL SRIVASTAVA AL
October 30, 2014 at 1:41 pm
uday gupta imandaar hai un par belem lagna galt hai o psingh se unka purana sambandh hai aur vo bhi gazipur kehai aur uday bhaii bhi wahii ke HAI ….
अजय कुमार
October 30, 2014 at 5:34 pm
उदय गुप्ता एवं उनके साथी कैसे हैं इस पर कोई कमेंट नहीं करूंगा, लेकिन क्या ये सभी लोग अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकते हैं कि ये लोग ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. अतिक्रमण का हटना कोई बुरी बात नहीं है, यह खबर भी है, लेकिन क्या किसी चैनल वाले ने ये खबर चलाई. जब कोतवाल के बदतमीजी के खिलाफ धरना दे रहे लोगों पर लाठीचार्ज हुआ तो क्या यह खबर नहीं थी, फिर चैनलों पर यह खबर क्यों नहीं चली. कौन सही कौन गलत यह तय करना पत्रकार का काम नहीं है, बल्कि क्या हो रहा है उसको सामने रखना उनका काम है, लेकिन उदय गुप्ता व उनके साथी ईमानदारी से अपने काम को अंजाम नहीं दिया बल्कि कोतवाल के पक्ष में जाकर मंत्री से सिफारिश किया. क्या सच्ची पत्रकारिता कही जा सकती है. क्या रेलवे स्टेशन पर जाकर पत्रकारिता का रौब जमाकर रेलवे रिजर्वेशन के दलालों के लिए टिकट कटाना और उसके एवज में पैसा लेना उचित है. अगर ये सब पत्रकारिता है तो फिर इसे करने वाले को क्या कहेंगे पत्रकार लोग खुद तय करें.