विश्व संवाद केंद्र और नारद जयंती. यानि मीडिया वालों को सम्मानित कर पटाने का संघियों का अच्छा खासा उपक्रम. क्या लखनऊ क्या जयपुर क्या भोपाल और क्या दिल्ली. हर ओर दर्जनों की संख्या में पत्रकार लाइन लगाकर दांत चियारते एवार्ड लेते फोटो खिंचाते दिखे. छुटभैये तो सम्मानित होने के लिए लालायित तो रहते ही हैं, अब तो आजतक वाले भी लाइन लगाकर संघियों के हाथों सम्मान लेने पहुंच जाते हैं. केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद संघ वालों ने मीडिया वालों को बिना वजह सम्मानित करने का अभियान चला रखा है. नारद जयंती के नाम पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का एक संगठन विश्व संवाद केंद्र जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित करता है और उन-उन जगहों के मीडिया वालों को थोक के भाव बुलाकर सम्मानित करता है.
दिल्ली में भी एक ऐसा ही आयोजन हुआ जिसमें संघ से जुड़े राम बहादुर राय, सूर्यप्रकाश, इंद्रेश आदि लोग आजतक वालों को सम्मानित करते दिखे. इस मौके पर सम्मान पाए आजतक के पंकज शर्मा ने जो भाव विह्वल पोस्ट और तस्वीरें फेसबुक पर डाला है, उसे प्रकाशित कर रहे हैं. आप कह सकते हैं कि कोई किसी का सम्मान कर रहा है तो आपको क्या दिक्कत? इसका बस इतना जवाब है कि जब आजतक जैसा समूह अपने लोगों को कहीं भी जाकर किसी से भी सम्मान लेने की छूट दे सकता है तो समझ में आता है कि यह समूह दरअसल अपने कद और पत्रकारिता के मूल तेवर और सरोकार से बेखबर होकर बाजारू बन गया है और बहती गंगा में हाथ धोने पर उतारू हो चला है…
Pankaj Sharma : ख्वाब सच होते हैं..अगर उनमें ईमानदारी और मेहनत हो तो, मैंने कोई कहानी आजतक ऐसी नहीं पढ़ी जिसके अंत में ईमानदारी, मेहनत या सच्चाई हार गई हो । वक्त लग सकता है..2 बरस..5 बरस..15 बरस या और ज़्यादा..लेकिन ख्वाब सच होते हैं मैंने देखा है उन्हें सच होते हुए। आदरणीय Sweta Singh ji इन्हें टीवी पर देखा करता था और एक ख्याल मन में आया करता था कि एक रोज़..रहती ज़िंदगी में ..शायद कभी उनसे मिला तो ये बात कहूंगा कि आपकी ऊर्जा से प्रेरणा मिलती है, ख्वाबों को सच करने का जुनून मिलता है, क्योंकि अब जब आपके साथ काम करने का सौभाग्य मिला है तो देखा है आप सुबह ऑफिस में होती हैं, शाम को हैदराबाद, अगले दिन दोपहर बनारस और फिर रात के 9 बजे स्टूडियो में खबरदार करते हुए। हम थक जाते हैं आपका अनुसरण करते हुए लेकिन आपके चेहरे पर शिकन नहीं मिलती..कल आपके पास खड़ा था..ये मेरे जीवन की उपलब्धि थी…
सामने पत्रकारिता के भीष्म पितामह पूज्य राम बहादुर राय साहब खड़े थे, परम आदरणीय सूर्य प्रकाश जी खड़े थे, इंद्रेश जी खड़े थे….. न मेरी जुबान साथ दे रही थी, न पैर, और न हाथ लेकिन आपने बड़ी सहजता से मुझे सहज किया अपने स्नेह से..जैसे हमेशा किया है मेरे नर्वस होने पर…आभारी रहूंगा आपका हमेशा…मैंने जो सफर तय किया मीडिया के क्षेत्र में उसमें Nilendu Sen दादा, Bithin Das दादा, आदरणीय Vikas Mishra सर, बड़े भाई Aalok Shrivastavजी, Vikas Gupta जी, अनुकरणीय Rehan Abbas साहब, Sanjay Sharma भैय्या और मेरे हरकदम के साथी Mohammed Anas Zubair का बड़ा योगदान रहा, आभारी रहूंगा तमाम उम्र आप सभी का, क्योंकि 15 बरस पहले जब आया था तब मेरे पास न हौसला था, ना हिम्मत थी, ना कोई रास्ता दिखता था, बस एक जुनून था कि अब वापस नहीं लौटूंगा यहां से और आप सभी के स्नेह ने मुझे थकने नहीं दिया…रुकने नहीं दिया, धन्यवाद Abhimanyu Sharma.
यहां मेरा विशेष नमन है फेसबुक के आभासी संसार के सभी साथियों का जिन्होनें मुझे मेरी उम्मीदों से ज्यादा प्यार दिया, आप सब हैं तो मैं हूं…वरना मेरा कोई वजूद नहीं, बेहद शुक्रिया आदरणीय Niraj Singh ji Padm Singh ji, Gaurav Prakash ji, Pawan K Sharma ji, Ashish Gupta ji, यहां मेरा विशेष आभार, चरण वंदन मेरी मार्गदर्शक, गुरू Vandana Sharma ji और Dimple Sharma ji के लिए जिन्होनें मिट्टी के इस लोथड़े को एक शक्ल दी..और मैं दुनिया के बाज़ार में चल गया…
Abhishek Tiwari Shandilya
June 8, 2016 at 8:05 am
Post likhne wale ko lagta hi kabhi kisi n samman nahi dia…. apne shabdo m kch vajan lao, anadipana toh har koi kar skta hi, hawahwai patrkarita chhodo ar ungli uthane s phle research karo….;)
Abhishek Tiwari Shandilya
June 8, 2016 at 9:20 am
Post karne wale ko lagta hai kabi kisi n samman nahi dia, apne shabdo m vajan lao anadipana toh har koi kar skta hi, hawahwai patrkarita chhodo ar kisi k upr ungli uthane s phle research karo….