तो क्या समाचार प्लस चैनल के एडिटर इन चीफ और सीईओ उमेश कुमार ने आम आदमी पार्टी के विधायकों का भी स्टिंग कर लिया है? उमेश का जो नया आडियो वायरल हो रहा है उसमें उमेश, उनके चैनल के डायरेक्टर शशांक बंसल और खोजी पत्रकार आयुष पंडित की बातचीत से दो बातें साफ हो रही हैं. एक तो ये पूरी बातचीत स्टिंगबाजी को लेकर हो रही है. दूसरे, इस आडियो में उमेश कुमार उत्तराखंड के सीएम और एक पोलिटिकल पार्टी के छह लोगों का स्टिंग होने का दावा कर रहे हैं.
इस ऑडियो में देहरादून पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किए गए समाचार प्लस के CEO उमेश कुमार, उनके एडिटर इन्वेस्टिगेशन पंडित आयुष और चैनल के director शशांक बंसल के बीच की वो बातचीत है जहाँ मीटिंग में इस बात की चर्चा हो रही है कि संस्थान द्वारा कराए गए स्टिंग ऑपरेशंस को कब और कैसे इस्तेमाल करना है. इस बातचीत में कुछ बड़े पोलिटिकल स्टिंग ऑपरेशंस का ज़िक्र हो रहा है जिन्हें किसी पालिटिकल पार्टी को देने की बात उमेश द्वारा कही जा रही है. साथ ही डायरेक्टर शशांक बंसल द्वारा ये पूछने पर कि इतना पैसा लगाने के बाद क्या आउटकम है, इस पर उमेश ने कहा कि वो सही मौक़े का इंतेज़ार कर रहे हैं, हो सकता है डील सही हो जाए तो चौका भी लग सकता है.
उमेश कुमार कह रहे हैं कि तेरह लाख रुपये उत्तराखंड के सीएम को गिराने में लग गए. साथ ही एक अन्य स्टिंग की बात कर रहे हैं जिसमें छह व्यक्तियों का स्टिंग हो चुका है. इस स्टिंग पर सत्तर पिछत्तर लाख रुपये खर्च होने का जिक्र कर रहे हैं. साथ ही ये भी बता रहे हैं कि इस स्टिंग को कोई पोलिटिकल पार्टी ही लेगी. सूत्रों का कहना है कि ये जो छह व्यक्तियों का स्टिंग का प्रकरण है, वह दरअसल आम आदमी पार्टी के छह विधायकों का स्टिंग है, जिसे दो साल पहले उमेश कुमार ने करवा कर रख लिया था.
बताया जाता है कि इसका भारतीय जनता पार्टी आगामी चुनावों में आम आदमी पार्टी के खिलाफ इस्तेमाल करेगी. यह भी बताया जा रहा है कि इस स्टिंग में चार विधायकों को जबरन पैसे दिए गए क्योंकि उन्हें पैसे लेते हुए दिखाया जाना था. इन चारों ने पैसे लेने से मना कर दिए थे पर उनके यहां पैसे जबरदस्ती रख दिए गए. सूत्रों के मुताबिक दो विधायक पैसे लेते हुए आन कैमरा पकड़े गए हैं. चर्चा है कि इस स्टिंग की प्लानिंग बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर की गई. स्टिंग हर हाल में कर डालने के लिए खोजी पत्रकार आयुष पंडित पर काफी दबाव था और इन छह विधायकों का स्टिंग करने में काफी समय लगा. ये सारे स्टिंग उमेश कुमार के पास दो बरस से रखे हुए हैं. अब देखना है कि इस स्टिंग बम को फोड़ने का उचित समय समाचार प्लस चैनल को कब नजर आता है.
दरअसल ये पूरी बातचीत मीडिया की वर्तमान स्थिति और गिरते स्तर की वो हूबहू तस्वीर है जिसके बारे में लगभग पता सभी को है, लेकिन इसे साक्षात जानने सुनने और समझने के मौक़े कम ही मिलते हैं. दरअसल स्टिंग ऑपरेशन द्वारा एक राजनीतिक पार्टी दूसरी पार्टी की सुपारी एक स्टिंगबाज को दे देती है. परेशानी तब होती है जब ये स्टिंगबाज उसी पार्टी का भी स्टिंग कर लेते हैं. फिर कभी कभी ऐसा भी होता है कि सबसे बड़े स्टिंगबाज़ का भी स्टिंग हो जाता है.
अब ये तो सबको पता है कि किसी राजनीतिक व्यक्ति का स्टिंग किसी दूसरे व्यक्ति या पार्टी के काम आ सकता है इसीलिए स्टिंगबाज़ी के इस बिज़नेस में इन्वेस्टमेंट के तौर पर मोटा पैसा भी फँसाया जाता है जिसे बाद में मौक़े की नज़ाकत और वक़्त की ज़रूरत के हिसाब से मोटी क़ीमत पर इस्तेमाल किया जाता है. दरसल उमेश कुमार अपने स्टिंग के लिए सही समय पर सही ग्राहक ढूँढ रहे थे लेकिन उन्हें ये नहीं पता था की उसी दौरान उन्हें उत्तराखंड के सीआईडी वाले भी ढूँढ रहे थे.
सुनें आडियो….
https://youtu.be/dIFZf-wcTmA
इस पूरे प्रकरण के बाबत भड़ास4मीडिया के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह का कहना है-
”आपियों का स्टिंग हो चुका है. दो बरस पहले ही. बस चुनाव आए तो भाजपा ये बम फोड़वाए. आजकल राजनीतिक पार्टियां सुपारी देती हैं, अपनी विरोधी पार्टियों का स्टिंग करने के लिए. इस मौके को लपक लेते हैं उमेश कुमार जैसे महान स्टिंगबाज. स्टिंगबाजी के इस खेल पर एक अच्छी-खासी फिल्म बन सकती है. आप अगर राजनीति और पत्रकारिता में सरोकार और सिद्धांत की बात करेंगे तो सबसे बड़े सूतिये हैं. अवसरवादी राजनीति और भ्रष्ट पत्रकारिता ने एक दूजे को गले लगा लिया है. कह सकते हैं कि अब राजनीति और पत्रकारिता को दोनों इलाकों के माफिया मिलजुल कर संचालित कर रहे हैं, एक दूजे के हित को साधते हुए. एक टेप वायरल हुआ है, समाचार प्लस के कर्ताधर्ताओं का. सुनिए और सोचिए. हालांकि ये पता है कि ज्यादातर लोगों के पास सोचदानी नामक चीज का अभाव है. उनके सारे अंग प्रत्यंग उनके पेट में समाहित होकर स्वाहा हो चुके हैं और वे केवल अब बस नमक चाटने का स्वाद याद रखते हैं.”
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kumar kapoor
November 29, 2018 at 2:11 pm
राजनेताओं की कमजोर इच्छाशक्ति मानकर पत्रकारिता की आड़ में ब्लैकमेलिंग का धंधा करने वाले उमेश कुमार उर्फ़ उमेश जे कुमार उर्फ उमेश शर्मा का तिलिस्म अब टूटा है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सोचे समझे षड्यंत्र के तहत बदनाम करने की साजिश के खुलासे ने उसे जेल की सीखचों के पीछे ही नहीं पहुंचाया बल्कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ब्लैकमेलरों के सामने न झुकने की नीति भी स्पष्ट हुई। उत्तराखंड सहित अनेक प्रदेशों के राजनेताओं और अधिकारियों को स्टिंग के लिए सॉफ्ट टारगेट मानने वाले उमेश कुमार के एक के बाद एक षड्यंत्रों का खुलासा हुआ है। खोजी पत्रकारिता द्वारा जनहित में स्टिंग करना और लालच देकर नेता अधिकारी की जबान से सौदेबाजी या सहमति की बातें बुलवाकर उसे ब्लैक मेल करना अलग-अलग बातें हैं। उमेश का खेल तब खुला जब उसके षड्यंत्रों की सूचना खुफिया विभागों को हुई। उमेश की दलाली का कार्यक्षेत्र उत्तराखंड के बाहर भी अनेक राज्यों तक फैला है। भले ही उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत उसे जेल पहुंचाया हो मगर यहां शोध का विषय है कि वह इसी तरह न जाने कितने लोगों को ब्लैकमेल कर रहा हो। जनता भूली नहीं है उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य-मंत्री अखिलेश यादव ने उमेश, उसकी टीम व उसके लोगों की यूपी सचिवालय और विधानसभा में आवाजाही पर रोक लगा दी थी।