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इस भीषण जीत में कार्पोरेट और करप्ट मीडिया (जी न्यूज, इंडिया टीवी, आईबीएन7 आदि…) भी आइना देखे…

Yashwant Singh : दिल्ली में भाजपा सिर्फ तीन-चार सीट पर सिमट जाएगी और आम आदमी पार्टी 64-65 सीट तक पहुंच जाएगी, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. ये भारतीय चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत है और भाजपा की सबसे बड़ी हार. कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुला. पर आप याद करिए. टीवी न्यूज चैनल्स किस तरीके से आम आदमी पार्टी के खिलाफ कंपेन चला रहे थे. कुछ एक दो चैनल्स को छोड़ दें तो सारे के सारे बीजेपी फंडेड और बीजेपी प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहे थे. आम आदमी पार्टी को किस तरह घेर लिया जाए, बदनाम कर दिया जाए, हारता हुआ दिखा दिया जाए, ये उनकी रणनीति थी. उधर, भाजपा का महिमामंडन लगातार जारी था. बीजेपी की सामान्य बैठकों को ब्रेकिंग न्यूज बनाकर बताकर दिखाया जाता था. सुपारी जर्नलिज्म का जिस किदर विस्तार इन चुनावों में हुआ, वह आतंकित करने वाला है. हां, कुछ ऐसे पत्रकार और चैनल जरूर रहे जिन्होंने निष्पक्षता बरती. एनडीटीवी इंडिया, एबीपी न्यूज, आजतक, न्यूज नेशन, इंडिया न्यूज ने काफी हद तक ठीक प्रदर्शन किया. सबसे बेहूदे चैनल रहे इंडिया टीवी, आईबीएन7 और जी न्यूज.

(सबसे सही एक्जिट पोल इंडिया न्यूज का रहा लेकिन यह भी दस सीट पीछे रहा. इंडिया न्यूज ने सबसे ज्यादा 53 सीट दी थी ‘आप’ को लेकिन आप तो इस अनुमान से दस सीट से भी ज्यादा आगे निकल गई. कह सकते हैं कि न्यूज चैनलों में जनता का मूड भांपने में सबसे तेज ‘इंडिया न्यूज’ रहा.)

Yashwant Singh : दिल्ली में भाजपा सिर्फ तीन-चार सीट पर सिमट जाएगी और आम आदमी पार्टी 64-65 सीट तक पहुंच जाएगी, इसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. ये भारतीय चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत है और भाजपा की सबसे बड़ी हार. कांग्रेस का तो खाता तक नहीं खुला. पर आप याद करिए. टीवी न्यूज चैनल्स किस तरीके से आम आदमी पार्टी के खिलाफ कंपेन चला रहे थे. कुछ एक दो चैनल्स को छोड़ दें तो सारे के सारे बीजेपी फंडेड और बीजेपी प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहे थे. आम आदमी पार्टी को किस तरह घेर लिया जाए, बदनाम कर दिया जाए, हारता हुआ दिखा दिया जाए, ये उनकी रणनीति थी. उधर, भाजपा का महिमामंडन लगातार जारी था. बीजेपी की सामान्य बैठकों को ब्रेकिंग न्यूज बनाकर बताकर दिखाया जाता था. सुपारी जर्नलिज्म का जिस किदर विस्तार इन चुनावों में हुआ, वह आतंकित करने वाला है. हां, कुछ ऐसे पत्रकार और चैनल जरूर रहे जिन्होंने निष्पक्षता बरती. एनडीटीवी इंडिया, एबीपी न्यूज, आजतक, न्यूज नेशन, इंडिया न्यूज ने काफी हद तक ठीक प्रदर्शन किया. सबसे बेहूदे चैनल रहे इंडिया टीवी, आईबीएन7 और जी न्यूज.

(सबसे सही एक्जिट पोल इंडिया न्यूज का रहा लेकिन यह भी दस सीट पीछे रहा. इंडिया न्यूज ने सबसे ज्यादा 53 सीट दी थी ‘आप’ को लेकिन आप तो इस अनुमान से दस सीट से भी ज्यादा आगे निकल गई. कह सकते हैं कि न्यूज चैनलों में जनता का मूड भांपने में सबसे तेज ‘इंडिया न्यूज’ रहा.)

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कोई बता रहा था कि जिस दिन मतदान हुआ, उस शाम रजत शर्मा को एंकरिंग करना था लेकिन चुनाव नतीजों के अनुमान का जो सिलसिला शुरू हुआ और सबमें ‘आप’ को भारी बढ़त मिलते दिखाया गया तो वो एंकरिंग करने ही नहीं आए. अजीत अंजुम को बिठाया दिया. पहले प्रोमो दिखाया गया कि रजत शर्मा एक्जिट पोल के बारे में बताएंगे लेकिन ऐन वक्त पर अजीत अंजुम को बिठाया गया. आम आदमी् पार्टी और अरविंद केजरीवाल को पानी पी-पी कर कोसने वाले रजत शर्मा को शायद यह तनिक भरोसा नहीं हो पा रहा था कि आखिर चुनाव नतीजों के अनुमान में उनके चैनल पर आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत कैसे दिखाया जा सकता है. पर यह सच था और इस सच को देर में रजत शर्मा को कबूल करना पड़ा. अब वे फिर से बुझे मन से एंकरिंग करने आ पड़े हैं.

उन दो इंटरव्यू का, जिनने दिल्ली की चुनावी फिजा को बदला दिया, उल्लेख करना यहां जरूरी है. एनडीटीवी के लिए रवीश कुमार ने भाजपा सीएम पद प्रत्याशी किरण बेदी को एक इंटरव्यू किया. इस इंटरव्यू के बाद किरण बेदी एक्सपोज हो गईं और भाजपा के चुनावी अभियान का ग्राफ नीचे की ओर गिरना शुरू हो गया. बाकी कसर अमित शाह ने एबीपी न्यूज के अजय कुमार से बातचीत में यह कहकर पूरी कर दी कि काला धन लाकर हर व्यक्ति के एकाउंट में 15-15 लाख रुपये देने की बात महज चुनावी जुमला था. इस जुमले वाली बात से भारतीय जनता पार्टी का नाम लोगों ने भारतीय जुमला पार्टी रख दिया. एक बेहद घटिया और गंदा इंटरव्यू का यहां जिक्र जरूरी है. जो सुधीर चौधरी अगर मोदी को देख लेते हैं तो सेल्फी खिंचाने लगते हैं लेकिन केजरीवाल को देख लेते हैं तो केजरीवाल के स्वेटर के हुए छेद में उंगली डालकर कहते हैं कि आप पाखंड करते हैं, बिजनेस क्लास से चलते हैं और खुद को आम आदमी दिखाने के लिए फटा स्वेटर पहनते हैं. अरविंद केजरीवाल की विनम्रता देखिए कि वह अपमानित करने वाला इंटरव्यू छोड़कर जाने या गुस्सा करने की जगह उसे झेलते रहे.

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आईबीएन7 इस देश का सबसे भ्रष्टतम और गंदा न्यूज चैनल बन चुका है. घोषित तौर पर अंबानी का न्यूज चैनल होने के कारण एक तो यहां जो लोग काम कर रहे हैं वे अपनी मानसिकता में करप्ट हो चुके हैं क्योंकि उन्हें पता है कि हमें अंबानी, अंबानी के धंधों, अंबानी के अर्थशास्त्र और अंबानी की राजनीति के खिलाफ कुछ नहीं बोलना लिखना दिखाना है. यहां तक तो ठीक था. इनकी करप्ट मानसिकता यह तक कनसीव कर चुकी है कि चूंकि चैनल अंबानी जी का है इसलिए हमें हर उस पार्टी, नेता का विरोध करना है जो अंबानी के खिलाफ बोलता लिखता है. इसका नतीजा रहा कि आईबीएन7 से ‘आप’ और केजरीवाल ब्लैकआउट रहे. फर्जी सर्वे के जरिए दिखाया गया कि चुनाव में भाजपा को 35 सीटें मिलने जा रही हैं. अमित शाह जैसे नेताओं का सुमित अवस्थी जैसा एंकर इंटरव्यू ऐसे लेता रहा जैसे माता अपनी गोद में बेटे को बिठाकर दूध-भात खिला रही हो.

आईबीएन7 की बेहूदगी देखिए. इस चैनल की तरफ से ट्विटर पर ये ट्वीट किया गया: ”#MissionDelhi हमारी अपील है कि सभी लोग वोट डालें, विश्वास है BJP की सरकार बनेगी, हमारी सरकार तो 5 साल की ही होती है। http://bit.ly/ZrZqi7 ”

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क्या आप किसी न्यूज चैनल से ये उम्मीद कर सकते हैं कि वह किसी पार्टी विशेष का नाम लेकर उसके पक्ष में वोट डालने की अपील करे. लेकिन ऐसा दुष्कर्म किया है अंबानी के चैनल आईबीएन7 ने.

सबसे सही एक्जिट पोल इंडिया न्यूज का रहा लेकिन यह भी दस सीट पीछे रहा. इंडिया न्यूज ने सबसे ज्यादा 53 सीट दी थी ‘आप’ को लेकिन आप तो इस अनुमान से दस सीट से भी ज्यादा आगे निकल गई. कह सकते हैं कि न्यूज चैनलों में जनता का मूड भांपने में सबसे तेज ‘इंडिया न्यूज’ रहा.

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असल में भारतीय अर्थव्यवस्था के बाजारू होने और भारी मात्रा में कालाधन इकट्ठा होने के कारण ढेर सारे कालाबाजारियों ने अपना पैसा चैनल में लगा दिया है और इस चैनल के जरिए अपने निहित हित लाभ साधने का काम करते हैं. ये कालाबाजारी आम तौर पर कार्पोरेट और बड़ी पूंजी से संबंध रखते हैं. बड़ी पूंजी और कार्पोरेट के प्रिय नेताओं व पार्टियों में इनका संबंध होता है. इस कारण कालाबाजारियों के न्यूज चैनल इन बड़ी पूंजी के समर्थक पार्टियों का खुलकर सपोर्ट करते हैं और जो दल या नेता बड़ी पूंजी के खिलाफ बोलता कहता करता है उसकी बखिया उधेड़ने, मीन-मेख निकालने में भिड़ जाते हैं. बीजेपी वर्सेज आम आदमी पार्टी के जंग में यही हुआ. इंडिया टीवी, जी न्यूज, आईबीएन7 जैसे करप्ट न्यूज चैनल्स में अगर थोड़ी भी शर्म बाकी हो तो इन्हें अपनी शकल आइने में फिर देखनी चाहिए और सोचना चाहिए कि अगर उनकी साख ही नहीं रहेगी तो फिर दर्शक कहां बचेगा, टीआरपी कैसे आएगी, रेवेन्यू कैसे मिलेगा.

भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. Pankaj Shukla

    February 10, 2015 at 6:46 am

    Yashwant Singh सही बात की है आपने। कंटेंट के नाम पर सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी ही बचे हैं इनके पास……!! इंटरव्यू के नाम पर अरविन्द केजरीवाल का माखौल उड़ाने वाले संपादक के बारे में भी बीजेपी के मीडिया मैनेजर विचार करें। वस्तुतः उस इंटरव्यू में अरविन्द का नहीं आम आदमी का मज़ाक उड़ता दिखा था। जिन तमाम अहंकारी कारणों के चलते बीजेपी की दुर्दशा हुई है, उनमें ये इंटरव्यू भी शामिल किया जाए। फटे स्वेटर और मफलर का मज़ाक मत उड़ाइए जनाब। लोग जब दिल पर ले लेते हैं तो फिर ऐसा ही होता है। जनसरोकारी कंटेंट का दौर भी आएगा , आना पड़ेगा आपको।

  2. Abhishek Srivastava

    February 10, 2015 at 7:05 am

    चुनाव नतीजों का इकलौता विश्‍वसनीय स्रोत चुनाव आयोग की वेबसाइट है, लेकिन एक भी समाचार चैनल उसके हिसाब से नहीं चल रहा है। इंडिया न्‍यूज़ के मालिक विनोद शर्मा को बीजेपी में नहीं लिया गया, तो उनके पीछे ऐसा पेट्रोल लगा कि वे दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं और सारी 70 सीटों पर घंटे भर में ही रुझान दिखा रहे हैं। जेल की सैर कर चुके सुधीर चौधरी के होंठ पर पपड़ी जम गयी है और उन्‍होंने बीच में ही हैशटैग को बदल दिया है। सुमित अवस्‍थी के हलक में हमेशा कुछ फंसा रहता है, आज लग रहा है वह 56 इंच का हो गया है। कहीं उनकी दम घुटने से मौत ना हो जाए।

  3. chandan

    February 10, 2015 at 11:08 am

    और इस जीत के साथ सबसे ईमानदार चैनल की उपाधि दी जाती है नीरा राडिया वाले एनडीटीवी को. 😆

  4. लव कुमार सिंह

    February 10, 2015 at 12:36 pm

    यशवंत जी,
    आपने बिल्कुल सही लिखा है, मगर पूरा सच नहीं लिखा है। आपने जिन चैनलों को क्लीन चिट दी है, वे भी दूध के धुले नहीं है। आप जानते ही हैं कि न्यूज 24 राजीव शुक्ला का है। आज तक पर राजदीप और पुण्य प्रसून के रूप में मोदी और भाजपा के एकतरफा आलोचक बैठे हैं। एनडीटीवी पर रवीश कुमार हैं ही जिनके झुकाव को लेकर काफी कुछ लिखा और कहा जा चुका है। इंडिया न्यूज का पाला बदल आप जानते ही हैं। आप ही बताएं कि किसी बहस में एक प्रवक्ता कांग्रेस का हो, एक आम आदमी पार्टी का हो, एक भाजपा का हो, विशेषज्ञ के रूप में अभय कुमार दुबे, उर्मिलेश, विनोद शर्मा, ओम थानवी, नीलांजन आदि में से कोई भी एक हो और एंकर रवीश कुमार या पुण्य प्रसून हों तो क्या उस बहस को आप संतुलित बहस कहेंगे? यह तो एकतरफ बहस ही होगी ना, क्योंकि मुद्दा कोई भी हो, उसमें एक तरफ अकेला भाजपा प्रवक्ता बोलेगा और दूसरी तरफ एंकर समेत सारे लोग उसके खिलाफ बोलेंगे। वास्तव में हुआ यह है कि दिल्ली के चुनाव में हर चैनल ने अपने दल पकड़ लिए और वे खुल्लमखुल्ला उस दल के साथ खड़े नजर आए। ऐसा पहली बार नहीं हुआ, मगर दर्शकों ने पहली बार ऐसा होते हुए कुछ ज्यादा ही साफ-साफ देखा, जब कथित विशेषज्ञ तक खुद को निष्पक्ष होने से नहीं बचा पाए।

  5. Saurabh Gaur

    February 11, 2015 at 1:11 pm

    आदरणिया यशवंत जी,

    आपकी वेबसाइट बहुत ही अच्छा कार्य कर रही है और मे खुद भी आपकी वेबसाइट फॉलो करता रहता हू | यह मेरा पहला कॉमेंट है जिसमे कुच्छ त्रुटि हो जाए तो क्षमा कीजिएगा|

    पिछले कुच्छ दीनो से सभी न्यूज़ चॅनेल्स के एग्ज़िट पोल्स देखे पहले लगा की यह सब चॅनेल्स बी जे पी को स्पूउर्त कर रहे है मगर मेरी यह धारणा तब बदल गयी जब श्री अरविंद केजरीवाल जी ने ट्विट के ज़रिए निष्पक्ष पत्रकारिता पर सवाल उठाए फिर इन चॅनेल्स ने आ आ प को सपोर्ट करना शुरू कर दिया|
    मुझे याद है वो इंटरव्यू ठीक चुनाव से दो दिन पहले पुण्या प्रसून वाजपयी जी द्वारा लिया गया इंटरव्यू आज तक के प्राइम टाइम पर आ रहा था जिसको देख कर मेरा खुद का मान भी अरविंद केजरीवाल को वोट देने के लिए कर गया|

    वो अन्ना से माफी माँगना, वो जनता से माफी माँगना वोही सब चुनावी पैंतरे जिसका उपयोग अब हर राजनेता करता है |

    कहाँ गया वो आम आदमी लगता है कहीं खो गया है|

    फ्री का वाई फ़ाई, फ्री पानी, फ्री बिजली,

    क्षमा चाहता हू यशवंत जी आपसे बहुत छ्होटा हू और इस वेबसाइट पर सभी सक्रिया पत्रकारो से बहुत छ्होटा हू पत्रकारिता का प भी नही जानता मगर एक आम आदमी हू सब समझता हू|

    अगर हो सके तो मेरे कुच्छ सवाल अरविंद जी तक पहुँचा दीजिएगा|
    पिछली बार मेने अपने घर का बिजली का बिल, पानी का बिल, हाउस टॅक्स, इनकम टॅक्स, फोन का बिल सब समय से जमा करवाया था मगर मेरे एक पड़ोसी सज्जन ने जो आ आ पा के समर्थक है उन्होने बिजली पानी का बिल जमा नही करवाया और वो आज भी मुफ़्त बिजली और पानी का फयडा उठा रहे है क्या मैं भी इस बार अपने बिल जमा ना करू या बी जे पी समर्थक होने की वजह से मुझे यह लाभ नही मिलेंगे ??

    शायद यह कॉमेंट पढ़ कर मुझे आप लोग मुझे बी जे पी का एजेंट कहेंगे तो मुझे बुरा नही लगेगा क्यूंकी मैं हर उस व्यक्ति का समर्थक हू जो हमारे देश का सम्मान कायम रखेगा, जो युवाओ को नौकरी देने के लिए स्किल डेवेलपमेंट की बात करेगा |

    बाकी आप खुद समझदार है|

    कुछ ज़्यादा लिखा हो तो छ्होटा समझ के माफी माँगता हू |

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