सैयद इरशाद हुसैन : कभी सोचा था कि ABP News के साथ जुड़ा जाए, लेकिन आज फ़क्र होता है कि इसकी परछाई से भी दूर रहा… जिस चैनल को ये नहीं पता कि #LateSulaimaani वह शख़्स थे जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन आईएसआईएस के ख़िलाफ़ जंग लड़ी और उसे ईराक़ से निकाल फेंका…
उसको आज ये चैनल ‘आतंकी’ बता रहा है…
इस प्रोग्राम का जो भी प्रोड्यूसर था उसके आई क्यू पर तरस आ रहा है… और अगर एडिटर लाइन ये थी तो फिर इस चैनल को सचमुच डूब मर जाना चाहिए…
भाई कुछ बनाने और लिखने से पहले थोड़ा रिसर्च भी कर लिया करो… अमेरिका ने जो कह दिया बस उसे ही मान लोगे ?? एक वह भी अंग्रेज़ थे जिन्होंने भगत सिंह को आतंकी कहा था, ये अमेरिका भी उसी तरह है… लेकिन तुम्हारी बुद्धी क्यों भ्रष्ट हो रही है…
टीवी पत्रकार और एंकर सैयद इरशाद हुसैन की एफबी वॉल से.
इसी मसले पर कुछ अन्य लोगों की प्रतिक्रियाएं-
Priyabhanshu Ranjan मैं इन्हीं वजहों से टीवी पत्रकारों, खासकर चैनलों में बैठे प्रोड्यूसरों, के ‘ज्ञान’ के आगे सिर झुकाता हूं! भारत के एक मित्र देश के आला अफसर को “आतंकी” लिख रहे हैं! #चिरकुट
Deepak Kumar बकलोल भरे हैं सब.
Anindita Neogy India always ditched their friends in foreign relations. First Iraq and now Iran
Alfred Noble These TV channels have no friends or foes, but only TRP as their God! TRP jo na karaaye! That’s why TV is called an Idiot Box
Pooja Thapak चिरकुट…. no other word could have been more appropriate
Priyabhanshu Ranjan Pooja I often use this hashtag ( #चिरकुट ) for stuff like that 😀
Chaubey Jee चमन चूतिये हैं ये। माने कुछ भी। वैसे भी आजकल अमेरिका ही बताता है, कि कौन आतंकी है, और कौन जेहादी।
Ashish Kumar इन चिरकुटों को जाने कौन है जो नौकरी दे देता है…
Arun Tiwari जनरल सुलेमानी आतंकी नही थे, आईएसआईएस को मात देने में सुलेमानी की एक अहम भूमिका रही है। हम कुछ भारतीय उनको आतंकी कह रहें हैं क्यूँकि अमेरिका उनको आतंकी कह रहा है सिर्फ इसलिए।
Abhishek Parashar हिंदी न्यूज चैनल बस कचरा फैलाने की नाली है. कोरिया ने कुछ किया तो तीसरा विश्व युद्ध, इराक में कुछ हुआ तो तीसरा विश्व युद्ध. साला हर मामले में यह गदहे तीसरा विश्व युद्ध देख लेते हैं. क्यों होगा तीसरा विश्व युद्ध ? यह सवाल आप पूछो तो दांत चियार देंगे ये नाली के कीड़े. मुस्लिम देशों की कोई औकात नहीं है. उनके यहां लोकतंत्र नहीं है, उनका कोई स्थायी अलाइनमेंट नहीं है वैश्विक पॉलिटिक्स में, जहां दुनिया दो खेमे में बंटेगी. धर्म आधारित देश होने के बावजूद यह देश संप्रदाय की लाइन पर विभाजित है. ईऱान (शिया मुल्क) के साथ अगर कुछ होता है, तो सऊदी अरब (सुन्नी मुल्क) अमेरिका की मदद करेगा. सऊदी अरब इससे पहले ईरान पर हमले के लिए अमेरिका को आमंत्रित कर चुका है. इसी क्षेत्र में इसरायल की मौजूदगी है, जो पावर वैक्यूम को भरने के लिए बैठा हुआ है. अरब देशों का कौन सा संगठन है, जो दुनिया को विभाजित करने की हैसियत रखता है. उनके पास अपनी कोई सुरक्षा लाइन नहीं है. कम से कम यूरोप के देश नाटो की सुरक्षा लाइन में आते हैं. अरब देश के पास ऐसा कुछ है क्या? पाकिस्तान, अमेरिकी जहाजों को ठिकाना मुहैया कराएगा. तो कहां से होगा तीसरा विश्व युद्ध? मुस्लिम दुनिया के बीच किसी तरह का कॉमन एलाइनमेंट नहीं है. तनाव होगा और अगर युद्ध हुआ तो कोई तीसरा विश्व युद्ध नहीं होगा. युद्ध अगर बहुत भयानक मोड़ लेता है तो अमेरिकी हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए ईरान, सऊदी पर हमला करेगा क्योंकि उसकी पहुंच वहीं तक होगी. हिंदी दर्शक क्या इस कदर गए गुजरे हैं कि कोई भी बेहूदा, जाहिल और मानसिक रूप से आपाहिज व्यक्तियों का समूह समाचार बेचने के नाम पर उन्हें झड़ा परोस दे रहा है और वह उफ तक नहीं कर रहे हैं.