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सियासत

अडानी-अंबानी के खेल निराले, सरकारी अफ़सरों के ये रखवाले!

गिरीश मालवीय-

अडानीजी, अम्बानीजी के कर्मचारी हायर नही करेगें और अम्बानीजी, अडानी जी के स्टॉफ को नही तोड़ेंगे लेकिन दोनो मिलकर सरकार के अफसरों को हायर करेगें इस पर कोई रोक नहीं है ! है न कमाल।

कल ख़बर आई कि अडानी ग्रुप ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ ‘नो पोचिंग एग्रीमेंट’ कर लिया है नो पोचिंग एग्रीमेंट का अर्थ है कि रिलायंस ग्रुप और अडानी ग्रुप के कर्मचारियों को एक दूसरे ग्रुप की कंपनियों में जगह नहीं मिलेगी. इसके जरिए दोनों ग्रुप की कंपनियों के टैलेंट को एक दूसरे में हायर करने से रोका जा सकता है. इस एग्रीमेंट से मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस की कंपनियों में काम करने वाले 3.80 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के लिए फिलहाल अडानी ग्रुप की कंपनियों में काम करना संभव नहीं होगा. और अडानी समूह की कंपनियों जो 23 हजार से ज्यादा एंप्लाई हैं वो मुकेश अंबानी की किसी कंपनी में नौकरी नहीं कर पाएंगे।

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पर सरकार के बड़े बड़े अफसरों को दोनो अपने यहा नौकरी पर रख लेते है, तब सरकार को कोई परेशानी नही होती, भले ही कूलिंग पीरियड के नियम का उल्लंघन होता रहे।

पहले अडानी जी के बारे में समझ लीजिए अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी के सलाहकार का नाम जयंत परीमल है। अडानी ग्रुप की वेबसाइट के मुताबिक भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में शानदार करियर के बाद अब जयंत परीमल अडानी समूह से जुड़े हैं। वह 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। जयंत परीमल ने 2006 तक गुजरात सरकार और भारत सरकार के साथ विभिन्न पदों पर काम किया। वह अडानी समूह में बतौर सीईओ जुड़े थे।

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मजे की बात यह है कि जयंत परीमल पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए भी काम कर चुके हैं।

मुकेश अम्बानी तो ऐसे काम में माहिर खिलाड़ी रहे हैं सरकारी – अर्ध सरकारी संस्थानों के बड़े बड़े पदों से रिटायर होने वाले अधिकारियों को वे हायर कर लेते है उनसे अम्बानी जी को यह पता चल जाता है कि सरकार की पॉलिसी किस ओर जा रही है साथ ही मिनिस्ट्री में अफसरों की पकड़ ओर पुहंच का लाभ उठा मौका मिल जाता है।

दो साल पहले ही इंडियन ऑयल के चेयरमैन के पद से रिटायर हुए संजीव सिंह को उन्होंने रिलायन्स से जोड़ लिया इससे पहले इंडियन ऑयल के एक और पूर्व चेयरमैन सार्थक बेहुरिया को रिलायन्स अपने सीनियर एडवाइजर के तौर पर नियुक्त कर चुकी है।

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कुछ साल पहले रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य को कंपनी के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक नियुक्त किया था, आज एसबीआई जियो पेमेंट बैंक में पार्टनर बना हुआ है।

ठीक ऐसे ही रिलायंस इंडस्ट्रीज ने पूर्व केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) केवी चौधरी को स्वतंत्र निदेशक बनाया था चौधरी 1978 बैच के भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी हैं. वह 2014 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के प्रमुख बने थे. के वी चौधरी बहुत महत्वपूर्ण पद पर थे उनकी रिलायन्स पर नियुक्ति पर भी काफी सवाल उठे थे।

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आपको याद होगा कुछ साल पहले जियो यूनिवर्सिटी को बनने से पहले देश के छह बेहतरीन इंस्टीट्यूट में शामिल हो गयी थी दरअसल जिओ के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस का चयन करनेवाली कमिटी के सामने प्रजेंटेशन देने में एचआरडी मिनिस्ट्री के पूर्व सचिव विनय शील ओबरॉय भी शामिल थे जो 2017 में रिटायर होने के बाद रिलायंस में एजुकेशन के क्षेत्र में एडवाइजर के पद पर जॉइन हो गए थे।

यानी देश मे खुला खेल फर्रुखाबादी चल रहा है टॉप के अधिकारियों को खुला ऑफर है कि रिटायर होने के बाद रिलायन्स या अडानी ग्रुप में शामिल हो जाओ, लेकिन अब वे अफसर भी ऐसा नही कर सकते कि पहले रिलायंस में काम कर लो बाद में अडानी ग्रुप में जंप मार लो।

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