शीतल पी सिंह-
शेयर बाज़ार खुलते ही अड़ानी की सारी कंपनियों के शेयरों में पाताल वाला सर्किट लग गया । अड़ानी एंटरप्राइज़ भी दस परसेंट गिरकर लोवर सर्किट पर फँसा पड़ा है ।
ये तब है जब सेबी ने सर्किट की लिमिट को आधा कर दिया है।
विदेशी इंस्टिट्यूट्स ने अडानी बॉन्ड्स की कीमत शून्य करनी शुरु कर दी है । सिटी बैंक ने भी बयान जारी कर दिया। ब्लम्बर्ग cnbc भी दो तीन संदर्भ दे रहा है।
अबरार मुल्तानी-
मनुष्य समाज धारणाओं से संचालित होता है… शेयर बाजार को ही देख लो। जिधर सब्ज़ दिखाया जाता है सांड उधर ही दौड़ लगाता रहता है। इसपर एक फ़िल्म है लियोनार्ड की ‘वुल्फ ऑफ वॉल स्ट्रीट’ उसे देखना चाहिए कि कैसे बड़े बड़े अमीरों के साम्राज्य धारणाओं पर टिके होते हैं।
अदाणी के शेयर्स का ऊंची उड़ान भरना भी धारणाओं के कारण था और अब गिरना भी उसी के कारण है।
मेरा यकीन कीजिए निवेशकों में से 99% ने हिंदनबर्ग के 88 में से 8 सवाल भी नहीं पढ़ें होंगे और फैसला ले लिया होगा कि उन्हें अदाणी के शेयर्स का क्या करना है। माहौल, हवा, लहर… यह सब धारणाओं द्वारा ही निर्मित होती हैं। क्या नेता, क्या अभिनेता और क्या धन्ना सेठ, सब लोगों के मन में धारणाओं को बल देकर ही शिखर पर पहुंचते हैं।