अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
अदानी महाघोटाला का नाम देकर जिसे अंतरराष्ट्रीय मीडिया में आर्थिक जगत का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला कहा जा रहा है, वह दरअसल कांग्रेस के हाथ लग गया एक ऐसा तुरुप का इक्का है, जो उसे 2024 में मोदी से मुकाबले में जीत दिला सकता है.
इसी उम्मीद में कांग्रेस भी लगातार , तकरीबन हर रोज ही यह मुद्दा किसी न किसी मंच से उठाकर नए- नए सवाल मोदी से पूछ रही है. जबकि मोदी की बोलती इस मुद्दे पर ऐसे बंद है, मानों उन्हें सांप सूंघ गया हो.
मोदी ही नहीं, भाजपा और उसके समर्थक भी इस मुद्दे पर बहस से नजरें चुराते घूम रहे हैं.
चर्चाएं फिलहाल इस बात की भी गर्म हैं कि अदानी समूह व मोदी सरकार इस मुद्दे पर अपनी साख बचाने के लिए बहुत जल्द सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएंगे.
संभावनाएं यह भी जताई जा रही हैं कि अदानी मसले पर जल्द ही कोई ऐसा फैसला भी आ सकता है, जैसा वरिष्ठ पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता के मामले में आ चुका है.
ठाकुरता को अदानी मामले में किसी भी तरह की सार्वजनिक टिप्पणी तक करने की मनाही कोर्ट ने दे रखी है. अदानी पर कोई लेख लिखने या टीवी आदि की चर्चा में भी वह भाग नहीं ले सकते. इसी के मद्देनजर अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि चुनाव में अदानी मुद्दा इसी तरह उठाकर मोदी को खामोश कर देने की रणनीति विपक्ष न अपना सके , इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से ठाकुरता जैसा ही कोई फैसला कराने की अपील अदानी समूह या सरकार कर सकते हैं.
इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट क्या ठाकुरता की तरह विपक्ष, मीडिया और सोशल मीडिया की जबान पर ताला लगा पाएगा, वह भी तब , जबकि देश की संसद में या राजनीति में यह अब सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है, यह देखना दिलचस्प होगा.
हालांकि अदानी के खिलाफ या इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ कोई फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा, या सुप्रीम कोर्ट के कहने पर किसी तरह की जांच में कुछ निकलेगा, इसकी उम्मीद तक मोदी विरोधी दलों को नहीं है.
लिहाजा संसद, सड़क, सोशल मीडिया और मीडिया ही विपक्षी दलों का सहारा है, जहां वे इसे लगातार उठाकर इस चुनाव में मोदी की बोलती इसी तरह बंद रखने की पूरी कोशिश करेंगे. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट क्या अदानी मुद्दे पर मोदी को चुनाव तक उनकी खोई हुई आवाज लौटा पाएगा, यही सवाल फिलहाल सबसे ज्यादा चर्चा में है.