एमपी के सीधी से खबर आ रही है कि पत्रकार व रंगकर्मियों के साथ हुई घटना पर TI और आरक्षक को लाइन हाज़िर कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर ये कार्यवाही की गई है।
इस प्रकरण को लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा सरकारों की घनघोर आलोचना हो रही है।
सौरभ यादव- वैसे तो ये पत्रकार हैं जिन्हें मध्यप्रदेश पुलिस ने नंगा किया है लेकिन मुझे इनमें ‘जनता’ दिखाई दे रही है…जो अगले नंबर पर है और फिलहाल खामोशी से देख रही है।
चंद्र भूषण- पत्रकारों के लिए सुझाव। थाने में नंगा न खड़ा करने और बांधकर पिटाई न करने के लिए मोदी सरकार और राज्य भाजपा सरकारों को व्यक्तिगत धन्यवाद ज्ञापित करें। जिनके साथ ऐसा हो चुका है वे थोड़ा रुक जाएं।
रवींद्र त्रिपाठी- मुझे यह तस्वीर सीधी से एक मित्र ने भेजी है। मैंने इसकी प्रमाणिकता भी पुष्ट की है और मुझे मिली जानकारी के मुताबिक ये मध्य प्रदेश के सीधी थाने के एक हवालात की है। इस तस्वीर में सीधी के पत्रकार कनिष्क तिवारी और कुछ रंगकर्मी शामिल है। पता नहीं पुलिस ने किस आरोप के तहत ऐसा किया है। पर जो भी आरोप है उसके तहत ऐसा करना कानूनन जुर्म है। अगर इन पर किसी तरह के कानून भंग करने का आरोप है तो उसका फैसला अदालत को करना चाहिए ना कि पुलिस को।
मैं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध करूंगा कि जिस पुलिसकर्मी ने या जिस अधिकारी ने ऐसा किया है उसके खिलाफ अविलंब कानूनी कार्रवाई करें। मैं मध्य प्रदेश के पत्रकारों और रंग कर्मियों से भी अनुरोध करूंगा कि वह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इसके बारे में बताएं और उन से अनुरोध करें कि इस सिलसिले में कार्रवाई करें। यह भी पता लगाना चाहिए और पुलिस ऐसा कर सकती है कि जिस व्यक्ति ने अपने मोबाइल से ये फोटो लिया है और इसे वायरल किया है उसकी भी पड़ताल करें और कानून के तहत उसके ऊपर भी मुकदमा दर्ज करे।
Kamal Shukla : सीधी में पत्रकारों के साथ हुए दुर्व्यवहार के खिलाफ मैं देशभर के पत्रकारों का आह्वान करता हूं कि सीधी पहुंचे, तिथि तय हो, और हम सब अपने कपड़े भी थाने में जमा करें, थाने और विधायक का घेराव करें.
हिमांशु कुमार- मेरा कहना यह है की पुलिस को पत्रकारों को नंगा करने का कौन सा अधिकार है। अगर कोई व्यक्ति फर्जी नाम से यूट्यूब चैनल चलाता भी है तो कोर्ट उसका फैसला करेगी और उसको सजा देगी। पुलिस को किसी को सजा देने का अधिकार कब से मिल गया कौन से कानून के अंतर्गत मिल गया? इस देश में कोई अदालत कोई कानून कोई संविधान बचा है या सिर्फ भाजपा की गुंडागर्दी बची है। विपक्षी पार्टियां कहां भांग पीकर सो रही हैं। पत्रकार संगठन क्या कर रहे हैं?
अतुल तिवारी आक्रोश- चड्ढी_गैंग..? अरे न न न.. ये लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है जिसे अघोषित राजतंत्र ने नंगा कर बीच बाजार नुमाइश की है.. अर्ध नंगे खड़े ये सब के सब मध्यप्रदेश के पत्रकार बताए जा रहे हैं (सोशल मीडिया वायरल)..और इन पर आरोप है कि इन्होंने भाजपा नेताओं के खिलाफ खबरें चलाई हैं.. किसी राजनैतिक पार्टी या व्यक्ति के खिलाफ खबर चलाने पर कपड़े उतरवाकर खड़ा कर फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करवाना..राजतंत्र शानदार उदाहरण है.. सोच रहा हूँ बॉडी शॉडी बना लूं क्यों कि क्या पता कब ऐसे ही प्रदर्शन करवा दे प्रशासन..और हां, तेवर वाले पत्रकारों, छेद वाली चड्ढी तो गलती से भी न पहनना.. कुछ राजनैतिक @#$ बताते फिरते हैं कि देश बदल रहा है..वैसे बदल तो रहा है..! सिसकती_पत्रकारिता अघोषित_राजतंत्र
Rohit
April 7, 2022 at 11:05 pm
सिसकती_पत्रकारिता अघोषित_राजतंत्र और चड्ढी में पत्रकार = सरकार सरकार सरकार मतलब तीसरी बार भी सरकार बनेगी तो चढ्ढी भी नही बचेगी ऐसा लोग कहते है, मैने तो उनकी बात लिखी है बस!
मेरे तरफ इतना कि #बाकी_सब_रब_राखा
#आपका_अपना_रोहित