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कोर्ट में मजीठिया वेज बोर्ड की दमदार लड़ाई लड़ने वाले एडवोकेट हरीश शर्मा का निधन

नई दिल्ली । कर्मचारियों के मसीहा हरीश शर्मा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। हरीश शर्मा को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल ले जाया गया। वहां पर डाक्टरों ने उन्हें म़ृत घोषित कर दिया। हरीश शर्मा के बेटा और बेटी इस समय विदेश में होने के कारण उनके अंतिम संस्कार के वक्त मौजूद नहीं रह पाए। उनकी बड़ी बेटी का पहले ही निधन हो चुका है, जो कि उनके दिल के काफी करीब थी।

हरीश शर्मा बैंक में नौकरी करते थे। तब से वे कर्मचारी यूनियन से जुड़े रहे और प्रबंधन की हर गलत नीति का पुरजोर विरोध करते रहे। इस दौरान उन्होंने वकालत की और इस पेशे से जुड़ गए।

कई सरकारी कर्मचारियों के मामलों में वे वकील रहे। उन्होंने अपनी काबलियत से अपना एक अलग ही मुकाम मनाया। जिस केस को वे हाथ में लेते थे उसका वह गहनता से अध्ययन कर उसकी तैयारी करते थे। वर्ष 2016 में उनके पास मजीठिया के मामले आने शुरू हुए और उन्होंने पूरी शिद्दत से उन पर काम किया। वे जल्द ही मजीठिया मामलों के पूरे जानकार बन गए और उनके पास दिल्ली से लेकर मुंबई तक के मजीठिया वेज बोर्ड के केस आने लगे।

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वे मजीठिया केस से जुड़े हर बारीक से बारीक पहलुओं को खोज कर कर्मचारियो को जानकारी दिया करते थे। उनका निधन मजीठिया केस लड़ रहे साथियों के लिए अपूरणीय क्षति है।

80 वर्षीय हरीश शर्मा के निधन से मजीठिया का केस लड़ रहे मीडियाकर्मियों में शोक की लहर है। उनका अंतिम संस्कार कड़कड़डूमा अदालत के पास स्थित ज्वाला नगर के श्मशान घाट पर किया गया। बेटे के कनाडा से नहीं पहुंच पाने के कारण उनकी चिता को नजदीक के रिश्तेदार ने अग्नि दी।

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हरीश शर्मा कर्मचारियों के बहुत बडे़ शुभचिंतक थे। वे उस बात का खुलकर विरोध करते थे, जो कर्मचारियों के खिलाफ होती थी। उन्होंने बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने पेशे को पूरी तरह से कर्मचारियों को समर्पित कर दिया था। मजीठिया आंदोलन में शामिल पत्रकार पहली बार उनसे 2016 में मिले और उनके कायल हो गए।

उसके बाद हरीश शर्मा ने वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट का अध्ययन करने के बाद उसकी बारीकियों से मीडियाकर्मियों को अवगत करवाना शुरू किया। हरीश शर्मा की इस कर्मठता और ईमानदारी से उनके पास देखते ही देखते लगभग 250 मीडियाकर्मियों के मामले आ गए। उनका इस नश्वर संसार से जाना कर्मचारियों विशेषतौर मीडियाकर्मियों के लिए बहुत बड़ा सदमा है।

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-राजेश निरंजन की रिपोर्ट.

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1 Comment

1 Comment

  1. Jharkhand Working Journalists Union

    November 6, 2020 at 6:24 pm

    बहुत दुखद।
    ईश्वर उनकी आत्मा को सद्गति दें।

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