राष्ट्रीय सहारा में टर्मिनेट किए गए कर्मचारियों को फोन पर किया संबोधित, डीएम को लिखा पत्र
सहारा मीडिया में हो रहे शोषण और उत्पीड़न के खिलाफ समाज सुधारक और बंधुआ मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अग्निवेश ने मोर्चा खोल दिया है। जहां उन्होंने नोएडा के सेक्टर 11 स्थित राष्ट्रीय सहारा के मेन गेट पर चल रहे बर्खास्त 25 कर्मचारियों के धरने को मोबाइल फोन से संबोधित किया, वहीं इस मामले को लेकर गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी को पत्र भी लिखा है। अपने संबोधन में उन्होंने कर्मचारियों को आश्वस्त किया कि उनके हक की लड़ाई सड़क से लेकर संसद तक लड़ी जाएगी। 17 माह का बकाया वेतन रहते हुए कर्मचारियों की बर्खास्तगी को उन्होंने अपराध करार दिया।
सहारा के उत्पीड़न पर जिला प्रशासन की चुप्पी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि नोएडा जैसे शहर में कोई संस्था इस हद तक कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रही है और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। यह शर्मनाक है। स्वामी अग्निवेश ने जिलाधिकारी को लिखे पत्र में सहारा प्रबंधन के खिलाफ के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही कार्रवाई की सूचना दिल्ली स्थित उनके कार्यालय को देने को लिखा है। उचित वेतन दिए बिना काम कराने को स्वामी अग्निवेश बंधुआ मजदूरी मानते हैं। सहारा मीडिया में तो 17 माह का बकाया वेतन दिए बिना कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। 22 कर्मचारी पहले निकाल दिए थे। बड़े स्तर पर दूर-दूराज क्षेत्रों में कर्मचारियों का स्थानांतरणर कर दिया जा रहा है वह भी बिना बकाया वेतन दिए बिना।
इस संस्था का गजब खेल है। एक ओर संस्था का चेयरमैन सुब्रत राय थिंक विंद मी पुस्तक लिखता है। देश को आदर्श और भारत को महान बनाने की बातें लिखकर अखबारों में विज्ञापन छपवाए जाते हैं। लखनऊ में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता उस कार्यक्रम में पहुंचते हैं। अपने को बड़ा देशभक्त बताने वाले बाबा रामदेव तो सुब्रत राय से मिलकर अपने को धन्य मानने लगे। जगजाहिर है कि यह संस्था अपने कर्मचारियों का किस हद तक शोषण और उत्पीड़न कर रही है। दबे-कुचले और किसान मजदूरों की लड़ाई लड़ने का दावे करने वाले किसी नेता ने कर्मचारियों के शोषण की बात उठाने की जहमत नहीं समझी।
बताया जाता है कि इस संस्था ने कारगिल के नाम पर 10 साल तक अपने कर्मचारियों के वेतन से 100-500 रुपए काटे। संस्था के चेयरमैन ने अपने को जेल से छुड़ाने के नाम पर अपने ही कर्मचारियों से अरबों रुपए ठग लिए। इस संस्था के खिलाफ यदि स्वामी अग्निवेश ने आवाज बुलंद की है तो निश्चित रूप से इस आवाज में और दिग्गजों की आवाज भी जुड़ेंगी और देशभक्ति के नाम पर समाज और देश को गुमराह करने वाले संस्था के चेयरमैन का चेहरा बेनकाब होगा।
ज्ञात हो कि स्वामी अग्निवेश लंबे समय से बंधुआ मजदूरों की लड़ाई लड़ते रहे हैं। किसी समय उन्होंने फरीदाबाद में पत्थर खदानों से 2000 के आसपास परिवारों को छुड़ाकर पुनर्वासित कराया था। पीआईएल भी स्वामी अग्निवेश की देन हैै। बताया जाता है कि इन खदान मजदूरों की समस्याओं से संबंधित एक पत्र स्वामी अग्निवेश ने सुप्रीम कोर्ट को पोस्ट कार्ड पर लिखा था, जिसे कोर्ट ने पीआईएल मानते हुए मजदूरों के पक्ष में अपना फैसला दिया था।
अक्सर देखा जाता है कि जब मीडिया में शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की बात आती है तो राजनीतिक व सामाजिक संगठन दूर भागने लगते हैं। ऐसे में स्वामी अग्निवेश ने राष्ट्रीय सहारा से निकाले गए कर्मचारियों के पक्ष में आवाज उठाकर उन लोगों के मुंह पर तमाचा मारा है जो बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं पर करते कुछ नहीं। खुद मीङिया दूसरों की आवाज तो उठाने की बात करता है पर मीडिया में शोषण और उत्पीड़न का जो खेल खेला जा रहा है उस पर न कुछ बोलने को तैयार है और न ही लिखने को। दैनिक, जागरण, राष्ट्रीय सहारा, हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक भास्कर समेत कई अखबारों के कितने पत्रकार और कर्मचारी मजीठिया वेज बोर्ड की मांग करने और मीडिया में हो रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठाने पर बाहर कर दिए गए पर मीडिया की ओर से कोई आवाज नहीं उठी। ऐसा नहीं है कि इलोक्ट्रिक मीडिया इससे खेल से वंचित है। यहां पर तो हालात और बुरे हैं।
चरण सिंह राजपूत
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Shyam Singh Rawat
January 19, 2017 at 6:03 am
“पीआईएल भी स्वामी अग्निवेश की देन हैै।”, यह सच नहीं है। जबकि वास्तविकता यह है कि दिल्ली में ‘कामन कॉज’ के संस्थापक तथा प्रसिद्ध वकील एचडी. शौरी देश में उपभोक्ता संरक्षण की आवाज उठाने वाले तथा ‘जनहित याचिका’ दायर करने वाले पहले व्यक्ति थे।