आस्था के कारोबार में मैंने अच्छे पढ़े लिखे प्रबुद्ध लोगों को अटके हुए देखा है। कई साल पहले बड़े बेटे राहुल की आँख का एक ऑपरेशन होना था। राहुल को एम्स दिल्ली स्थित डॉ आर पी सेंटर फॉर ऑप्थोमलिक साइंस (नेत्रविज्ञान का देश का सबसे बड़ा सेंटर) में दिखाया था। वहां के न्यूरो ओफ्थोमोलॉजी के सीनियर प्रोफेसर एंड हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट प्रो. प्रदीप शर्मा राहुल का उपचार कर रहे थे। प्रो. प्रदीप शर्मा ने ही राहुल की आँख का सफल ऑपरेशन किया था।
प्रो. शर्मा को राहुल को दिखाने के लिए कई बार एम्स जाना पड़ा। जब वो अपने चैम्बर में मरीज देखनें के आते और अपने साथ आँख की जाँच करने के आवश्यक उपकरणों की एक छोटी सी वीआईपी की अटैची भी लेकर आते थे उस अटैची को अपनी कुर्सी के पास रखे एक स्टूल पर रखते थे। आप यकीन नही करेंगे। अटैची के अंदर एक बड़ा स्टीकर फोटो संत राम रहीम जी का चिपका होता और जिसके नीचे बड़े अक्षरों में लिखा होता धन धन सतगुरु तेरा ही आसरा।
एक सीनियर प्रोफेसर/हेड और इंडिया के टॉप मोस्ट आई सर्जन का एक ऐसे बाबे का भक्त देखना जिस पर कई वाद न्यायालयों में विचाराधीन चल रहें हो निसन्देह मेरे लिए चौंकाने वाला था। इस बात को कई साल बीत गए मगर आज भी सोचता हूँ कि बाबा में ऐसी क्या खासियत प्रो. प्रदीप शर्मा जी ने देखी होगी जो अपनी वैज्ञानिक मेधा और चिकित्सकीय कौशल के अतिरिक्त एक बार बाबा का आसरा लेना उचित समझा और बाबा भी वो जिसका अतीत और वर्तमान सब विवादास्पद रहा है।
लेखक डॉ. अजीत पत्रकार और शिक्षक रहे हैं. इन दिनों मुजफ्फरनगर स्थित अपने गांव में खेती-किसानी में रमे हुए हैं.
Dhiraj Kumar
August 29, 2017 at 3:17 pm
आप अपने बच्चे का इलाज कराने गये थे या डॉक्टर साहब का इलाज करने?? अरे भाई, फोटो रखना उनका निजी मामला है। अगर उन्होंने आपसे बाबा का शिष्य बनने के लिये कहा होता तब कोई शिकायत वाली बात होती।