प्रिय अजय आज़ाद जी,
TV9 भारत वर्ष में कार्यरत दो लड़कियों ने आप पर यौन शोषण के आरोप लगाए हैं और अपने आरोपों के जो प्रमाण पेश किए हैं वो हम मीडियाकर्मियों के लिए बेहद चिंता का सबब है। आपके साथ मैंने थोड़े समय के लिए महुआ में काम किया है।
तब मैं आपके इस रूप से परिचित नहीं था। तब तो मैं आपकी स्क्रिप्ट राइटिंग का बड़ा प्रशंसक था और महुआ के बाद मैं जिस चैनल में भी गया वहां मैंने आपकी स्क्रिप्ट राइटिंग की खूब चर्चा की। मैंने वो सारे चैट अभी पढ़े हैं जो आपने अपने कनिष्ठ महिला कर्मी से किए हैं। जिन दो लड़कियों के साथ आपने वो चैट किया है उनमें से एक मेरी परिचित है।
अजय जी, उस लड़की की पिता की उम्र और आपकी उम्र लगभग बराबर होगी। मतलब, वो लड़की आपकी बेटी-भतीजी जैसी है। इतना ही नहीं वो लड़की हमारे-आपके बीच के ही किसी की रिश्तेदार भी है। दफ्तर में काम करने वाली सारी लड़कियों को हम परिवार का सदस्य मानते हैं और उनके साथ वही व्यवहार करते हैं जो अपने परिवार की लड़कियों के साथ करते हैं। और अगर उनमें कोई हमारे-आपके बीच के किसी परिवार का सदस्य हो तो आम तौर पर हम उसी रिश्ते का आचरण भी पेश करते हैं।
हां, ये सच है कि सहकर्मियों में से किसी के साथ हमारे संबंध थोड़े ज्यादा मित्रवत होते हैं किसी के साथ थोड़े कम। किसी से हमारी थोड़ी ज्यादा बनती है किसी से थोड़ी कम। कोई हमारा लंच बॉक्स उठाकर उसमें का खाना खा जाता है कोई हमारी सीट तक आने में भी झिझकता है। ये एक सामान्य माहौल होता है।
आपने एंकर बनाने के लिए इन लड़कियों के सामने जो शर्त रखी है वो एक बड़ा गुनाह है और माफी देने का हक सिर्फ और सिर्फ उन्हीं लड़कियों का है। पांच सालों से ज्यादा वक्त तक मैं चैनल का आउटपुट हेड रहा हूं। इस दौरान कई लोगों को एंकरिंग में मैने मौका दिया और कइयों को एंकर बनाने के लिए निजी तौर पर उसकी ट्रेनिंग का हिस्सा रहा। इनमें कई लड़कियां भी शामिल हैं। आज भी इनमें से किसी से मुलाकात होती है तो उनकी तरफ से मुझे भरपूर आत्मीयता और भरोसे का एहसास होता है।
मुझे याद है, मुझे एक बार एक कार्यक्रम के लिए हरिद्वार जाना था, कार्यक्रम की एंकर एक महिला थी। उस महिला के पति कहीं बाहर गए हुए थे और उनके ससुराल वालों ने साफ कह दिया कि वो उन्हें अकेले नहीं जाने देंगे। इसी बीच उस महिला एंकर की मां ने अपनी समधन को मेरे बारे में बताया और फिर उनके ससुराल वालों ने उनको हमलोगों के साथ जाने दिया। ये होता है भरोसा। ये भरोसा पैदा होता है आपके आचरण से। हाल ही में जब मैं समाचार प्लस का एंकर था, एक दिन दफ्तर में मैने कह दिया कि मुझ खीर खाने का बड़ा मन हो रहा है और मेरी मेड अच्छी खीर नहीं बना पाती है।
मेरे चैनल के कई सहकर्मियों ने मुझे अपने घर आमंत्रित कर लिया लेकिन, जब मैंने किसी के घर जाने में असमर्थता जताई तो मेरी एक महिला सहकर्मी ने मेरे घर आकर खीर बनाई और हमलोगों ने वो खीर खाई। उस लड़की ने उसी वक्त अपनी मां को फोन कर बताया कि वो मेरे घर आई है और उसने मेरे लिए खीर बनाई है। ये होता है भरोसा। मैं उन सहकर्मियों का जिनमें कुछ लड़कियां भी शामिल थीं का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मेरे जन्मदिन के मौके पर मेरे घर की चाबी मुझसे लेकर मेरे घर में ही शानदार आयोजन किया था और जब मैं दफ्तर से घर पहुंचा तो वो सब देखकर भावुक हो गया था। दफ्तर में काम करने वाली छोटी उम्र की लड़कियों को मैं ‘हां जी बच्चे’ कहकर ही संबोधित करता हूं।
आपने इन बच्चियों के लिए जिन शब्दों और भावों का प्रकटीकरण किया है वो बेहद घटिया हैं और ये अपराध अक्षम्य है। आपको मेरा सुझाव है कि निजी तौर पर इन लड़कियों से मिलकर आप माफी मांगें। एक और सुझाव है, आप इस घटना के बाद प्रतिक्रियावादी ना बनें बल्कि इससे बड़ी सीख लें। याद रखें आपने अगर बेहतर समाज के निर्माण में योदगान नहीं किया तो फिर आपके बच्चों के हिस्से एक बुरा समाज आएगा।
असित नाथ तिवारी
टीवी पत्रकार
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