दोस्तों, प्रिंट मीडिया अस्तित्व खोता जा रहा है। इसकी विश्वसनीयता भी सवालों के घेरे में है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में अखबार अब विज्ञापन के परचे बन कर रहे गये हैं। खबरें प्रकाशित करने वाले अखबारों की संख्या लगातार कमतर होती जा रही है। अमेरिका समेत विश्व के कई देशों में तो सौ-सौ पेज के अधिकतर अखबार फ्री में सप्लाई किये जा रहे हैं। सुबह लोगों को दरवाजे पर अखबार पड़ा जरूर मिलता है लेकिन कोई उसकी खबर को गंभीरता से नहीं लेता।
सभी जान चुके हैं कि हर अखबार का अपना अलग मंतव्य होता है और वह है अधिक से अधिक राजस्व संग्रह। इसके लिए वे किसी भी गलत साबित हो चुके व्यक्ति की पैरवी करने से नहीं चूकते। राजनीतिक हित भी खुलकर साधे जाते हैं। दुनिया में हर अखबार किसी न किसी राजनीतिक दल का पिट्ठू बन चुका है। ये दल इन्हें फाइनेंस ही नहीं करते हैं, बल्कि सत्ता में आने पर हर तरह की खुली छूट प्रदान करते हैं।
इंडिया में इलेक्ट्रोनिक चैनलों रवैये से आप भली भांति अवगत हैं। आप जान चुके हैं कि कौन सा चैनल किसका भक्त है। इसी तरह अखबारों के प्रति भी लोगों का नजरिया बनता जा रहा है। सोशल मीडिया के प्रादुर्भाव के चलते बहुत सी चीजें बदल रही हैं। यही वजह है कि मैंने प्रिंट मीडिया से रिटायरमेंट के बाद वहां कोई जॉब लेने के बजाय डिजीटल मीडिया में आने का फैसला कर लिया था।
करीब एक साल का ब्रेक लेने के बाद मैं यहां शिकागो (अमेरिका) से अपना डिजीटल न्यूज पेपर एनएनमीडिया डॉट इनफो nnmedia.info जारी कर रहा हूं। मेरी कोशिश होगी कि मैं आपको आपके शहर आगरा के साथ ही देश-दुनिया की खबरों से वाकिफ रखूं। जो खबर जिस रूप में आयेगी, उसे उसी स्वरूप में पेश किया जाएगा। किसी के साथ कोई पक्षपात नहीं होगा।
अजय गुप्ता
शिकागो
अमेरिका
Bhavi
June 27, 2019 at 2:21 pm
Badhai ho sir
Great!
Ajay Gupta
June 27, 2019 at 7:05 pm
Thanks sir
Rajoo mehra
June 27, 2019 at 8:11 pm
Badhai ek aur kamyabi ki
satish
June 27, 2019 at 9:45 pm
Best of luck, and hope you will proof media good image of Bharat,
thanks n hope positive,
again best wishes,
Regards,
Satish Gupta
(Social worker in India)
Pavan kumar
June 28, 2019 at 4:21 pm
Good effort. .badhai ho sir