Connect with us

Hi, what are you looking for?

प्रिंट

श्रीलंका में अख़बार छपना बंद, भारत में अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री पर जीएसटी लगाने की तैयारी!

विश्व दीपक-

क्या आप जानते हैं? हमारे पड़ोसी देश, श्रीलंका में अखबार छपने बंद हो चुके हैं. अखबार छापने के लिए कागज का स्टॉक लगभग खतम हो चुका है। इधर भारत में केंद्र सरकार अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री पर भी जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है. ये पहले लागू नहीं था.

Advertisement. Scroll to continue reading.

श्रीलंका में बहुत सारे लोगों को कई दिनों से दो जून का खाना नहीं मिल पा रहा। लोगों के पास रसोई गैस नहीं है. पेट्रोल भराने के लिए पैसे नहीं. जिनके पास पैसे हैं वो भरा नहीं पा रहे. कई लोग पेट्रोल भराने के लिए लाइन में खड़े-खड़े ही मर गए।

उद्योग धंधे बंद होने लगे हैं. चारों तरफ छंटनी चल रही है. लोगों की नौकरियां जा रही हैं. स्कूल, कॉलेज बंद होने लगे हैं। अस्पतालों ने इलाज करना बंद कर दिया है. बहुत जगहों पर ओपीडी बंद की जा रही है।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोलंबो में लाखों की जनता इकट्ठा है. राजपक्षे सरकार के खिलाफ जबर्दस्त प्रदर्शन हो रहे हैं. पूरा देश कर्ज में डूबा है. लाखों लोग देश छोड़कर भाग रहे हैं. भारत आना चाह रहे हैं.

मेरा मानना है कि भारत को खुशी-खुशी श्रीलंका के लोगों अपनाना चाहिए. उन्हें व्यवस्थित तरीके से कई राज्यों में भेजकर उनके रहने, खाने-पीने का इंतजाम करना चाहिए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

भारत इतना कर सकता है. जब प्रधानमंत्री के लिए 8 हज़ार करोड़ का प्लेन खरीदा जा सकता है तो कम से कम 80 हज़ार श्रीलंकाई नगारिकों की जान भी बचाई जा सकती है. कोई बड़ी बात नहीं. भारत को बड़ा भाई बनकर यह फर्ज निभाना चाहिए.

सवाल यह है कि श्रीलंका की यह हालत क्यों हुई? जाहिर है कई कारण हैं लेकिन दो अहम हैं जिनके बारे में जानना चाहिए –

Advertisement. Scroll to continue reading.
  1. बहुत आसान शर्तों पर चीन का दिया हुआ कर्जा. कई सालों से श्रीलंका, चीन के डेट ट्रैप में हैं. चीनी साम्राज्यवाद की जकड़न से श्रीलंका टूटा. कई अफ्रीकी देश श्रीलंका की राह पर हैं.
  2. दूसरा कारण है रूसी तानाशाह पुतिन का यूक्रेन पर युद्ध थोपना.

पुतिन द्वारा शुरू किए गए युद्ध की वजह से श्रीलंकाई संकट की प्रक्रिया तेज़ हो गई. जो अफरा-तफरी छह महीने में मचनी थी वह एक महीने में ही सतह पर आ गई. पुतिन सिर्फ रूस-यूक्रेन का ही नहीं संपूर्ण मनुष्यता का अपराधी है.

याद रखिए अगर कच्चे तेल की कीमत 170-200 डॉलर प्रति बैरल तक गई तो समझिए कि हमारा आपका भी मिटना तय है.

पड़ोसी देश श्रीलंका में अखबार छपने बंद हो चुके हैं क्यूंकि उनके पास कागज़ ही नहीं है. वहां परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं. प्रश्न पत्र छपने तक के लिए कागज़ नहीं. महंगा कागज़ खरीदने के लिए पैसे नहीं. इसके पीछे एक बड़ा कारण पुतिन द्वारा, यूक्रेन पर थोपा गया युद्ध है. ये सब आप जान चुके हैं.

अब सुनिए भारत का हाल.

Advertisement. Scroll to continue reading.
  1. केंद्र सरकार अख़बार और पत्र-पत्रिकाओं की बिक्री पर भी जीएसटी लगाने की तैयारी कर रही है.पहले लागू नहीं था
  2. जीएसटी का न्यूनतम क्राइटेरिया भी 5% से बढ़ाकर 8% किया जा सकता है
  3. भारत में भी कागज़ की किल्लत है. हालांकि स्थिति संकट जैसी नहीं लेकिन पहले से काफी महंगा हो चुका है कागज़
  4. भारत का 40 फीसदी कागज़ कनाडा से आता है
  5. जो देश में बनता है, उसकी कीमत दो साल पहले तक 35 रुपए प्रति किलो थी. आज 75 रुपए प्रति किलो. यानि बस दो साल में दोगुना से ज्यादा कीमत बढ़ी
  6. विदेश से आयात होने वाला कागज पिछले साल यानी 2020 में 375 डॉलर प्रति टन था. आज 1000 डॉलर प्रति टन है
    7.भारत में बनने वाले कागज की एक तो क्वालिटी खराब होती है दूसरा लुगदी से बनता था. अब लुगदी वाली कंपनियां पैकेजिंग के लिए काम आने वाले बॉक्स आदि बनाने लगी हैं क्योंकि उसमे मुनाफा ज्यादा है

फकीरचन्द की सरकार सब कुछ ऑनलाइन कर देने पर जो इतना जोर दे रही है, पेपरलेस होने की जो इतनी कवायद कर रही है — उसके पीछे यह एक बड़ा कारण है.

समाज जितना पेपरलेस होगा, उतना ही माइंडलेस भी होगा.

हां, एक फायदा हो सकता है. सरकार अब यह कहेगी कि कागज़ नहीं, मोबाइल दिखाओ.

Advertisement. Scroll to continue reading.
3 Comments

3 Comments

  1. Anuj Sharma

    March 29, 2022 at 11:02 am

    भाई, इतनी ही दम रखते हो तो असली नाम से लिखो, विश्व दीपक जैसा फर्जी नाम क्यों उपयोग कर रहे हो। पूरी खबर को ऐसे प्रेजेंट किया जैसे श्रीलंका में भुखमरी PM मोदी की वजह से आई हो।

  2. Om prakash

    March 29, 2022 at 8:06 pm

    ये असली नाम है मूर्खनंदन। वो एक जाना माना पत्रकार है। गूगल ले सावन के अंधे तुझको सब भगवा भगवा नजर आता है।

  3. suresh trivedi

    March 29, 2022 at 9:53 pm

    मेरा मानना है कि भारत को खुशी-खुशी श्रीलंका के लोगों अपनाना चाहिए. उन्हें व्यवस्थित तरीके से कई राज्यों में भेजकर उनके रहने, खाने-पीने का इंतजाम करना चाहिए.

    भारत इतना कर सकता है. जब प्रधानमंत्री के लिए 8 हज़ार करोड़ का प्लेन खरीदा जा सकता है तो कम से कम 80 हज़ार श्रीलंकाई नगारिकों की जान भी बचाई जा सकती है. कोई बड़ी बात नहीं. भारत को बड़ा भाई बनकर यह फर्ज निभाना चाहिए.

    वाहियात टिप्पणी है
    और फकीरचंद जैसे शब्द मानसिक दिवालियापन दिखा रहा है

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement