मेघालय में एक अखबार निकलता है, ‘द शिलांग टाइम्स’ नाम से. इसने जजों के खिलाफ एक स्टोरी छाप दी, ‘जब न्यायाधीशों ने अपने लिए ही फैसले सुनाए’ हेडिंग से. इससे जज साहब लोग भड़क गए और अखबार के संपादक-प्रकाशक के खिलाफ सम्मन जारी कर दिया. एडिटर्स गिल्ड ने कोर्ट के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
शिलांग टाइम्स की संपादक पैटरीसिया मुखिम हैं. प्रकाशक हैं शोभा चौधरी. इन दोनों के खिलाफ कोर्ट ने नोटिस जारी कर दिया है. संपादक मुखिम ने ‘जब न्यायाधीशों ने अपने लिए ही फैसले सुनाए’ नाम से एक आर्टिकल लिखा था. इसमें कहा गया कि अगले महीने रिटायर होने वाले न्यायाधीश सेन चाहते हैं कि राज्य सरकार सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाधीशों और उनकी पत्नियों व बच्चों के लिए कई प्रावधान करे. जैसे- सरकार इन्हें गेस्ट हाउस दे, घरेलू सहायता दे, मोबाइल और इंटरनेट का खर्च दे.
इस पर मेघालय हाई कोर्ट ने मुखिम और चौधरी पर अवमानना का आरोप लगाते हुए दोनों को कारण बताओ नोटिस जारी किया और अदालत के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा था. कोर्ट के इस कदम पर एडिटर्स गिल्ड ने गहरी चिंता जताई है. गिल्ड का कहना है-
इस तरह की रिपोर्टिंग के लिए कोर्ट द्वारा सम्मन जारी किया जाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. न्यायपालिका लोकतंत्र के स्तंभ में से एक है और इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से अपने कार्यों को निर्वहन करने में मीडिया की मदद करने के लिए खड़ा होना चाहिए। इस तरह के नोटिस खेदजनक हैं और इन्हें मीडिया को धमकाने के तौर पर देखा जाएगा। मेघालय हाई कोर्ट अब न्यायपालिका और मीडिया दोनों के निष्पक्ष व स्वतंत्र कार्यों की दिशा में आवश्यक कदम उठाए।