अनिल पांडेय-
भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीरों में से यह एक तस्वीर है जिसे वर्षों याद किया जाएगा।
हुआ ये कि चुनाव प्रचार करते समय अखिलेश जयंत का और प्रियंका गांधी का काफिला सामने आने पर प्रियंका ने अखिलेश और जयंत का जहां अभिवादन किया वही अखिलेश और जयंत ने भी भी प्रियंका का अभिवादन किया।
इसके बाद वे अपने अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए।
पंकज चतुर्वेदी-
आज बुलन्दशहर में मजा आया। अखिलेश जयंत सामने रथ में और उधर प्रियंका की गाड़ी। दोनो के समर्थक एक दूसरे की जय कर रहे थे। प्रियंका ने हाथ हिला कर अभिवादन किया।
जबाब में जयंत और अखिलेश मुस्कुराए और जम कर हाथ हिलाया। फिर प्रियंका ने सपा रालोद समर्थकों का अभिवादन किया। सभी कार्यकर्ताओं ने तीनों की जय जय की।
जयंत जिज्ञासु-
एक राजनेता का दायित्व अपने सपोर्टर्स को फैन और फैनेटिक बनाना नहीं है, बल्कि संज़ीदा नागरिकों का निर्माण करना उसका पहला दायित्व होता है. मास को वेल इन्फॉर्म्ड पब्लिक में तब्दील करना जम्हूरियत में उसकी ज़िम्मेदारी मानी जाती है. पर, अफ़सोस कि अधिकांश नेता ख़ुद ही फूटल ढोल की तरह बर्ताव करते हैं, तो उनके अधिकांश समर्थकों पर भी वैसा ही प्रभाव पड़ता है.
अखिलेश जी, जयंत जी और प्रियंका जी के चाहने वालों ने आज क्यों तीनों नेताओं के ज़िंदाबाद के नारे लगाए, क्यों उनमें घृणास्पद व लज्जास्पद प्रतिस्पर्धा नहीं दिखाई पड़ी? इसलिए कि उपर्युक्त नेता ख़ुद भी शालीन हैं, और अपने कार्यकर्ताओं को भी मर्यादित आचरण के लिए प्रेरित करते हैं. वरना आज जो स्थिति है, उसमें अपने नेता का गुणगान और विरोधी दल के नेताओं का छिद्रान्वेषण ही राजनैतिक दलों के कार्यकर्ताओं की नियति बन कर रह गई है.
किसी और दल के बीमार नेताओं का हालचाल भी लोग लेते हैं, तो इस डर से मुलाक़ात को सार्वजनिक नहीं करते हैं कि कहीं उसके अपने दल के चापलूसों की जमात नेता के सामने शिकायत न कर दे कि हुज़ूर, फलाना आपका आदमी थोड़े है, वो तो चिलाना का बंदा है! हमारे देश की दलीय व्यवस्था में इस कदर मनोमालिन्य व संकीर्णता घर करती जा रही.
बेंजामिन डिजरैली “सिबिल” में ठीक ही कहते हैं, “The world is weary of statesmen whom democracy has degraded into politicians.”
डॉ. सईदा कितनी सुंदर बात कहती हैं कि जो अपनी आईनी ज़िम्मेदारी न निभा सकता हो, वो अख़लाक़ी ज़िम्मेदारी क्योंकर निभाएगा!
थोड़े सुकून और तस्कीन की बात है कि आने वाले वक़्त में बेहतर भारत की तस्वीर उभारने जा रहे तीनों नेताओं ने आज बुलंदशहर के प्यारे लोगों के बीच जे. एफ़. क्लार्क के कथन को चरितार्थ किया है, “A politician thinks of the next election, but a statesman, of the next generation.”
नवेद शिकोह-
सलाम लोकतंत्र
राह में उनसे मुलाक़ात हो गई,
इशारों-इशारों में पोस्ट पोल गठबंधन की बात हो गई .
अपने-अपने रोड शो में प्रियंका का अखिलेश-जयंत से हुआ आमना-सामना। विपक्षी नेताओं ने एक दूसरे का किया अभिवादन। दुआ-सलाम, नमस्कार हुआ और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए।
Prashant
February 4, 2022 at 2:00 pm
Kuch Samjhe…
Neta hai to kya insan bhi to hai.
Loktantara ki ye tasveere man ko sukun deti hai.