आलोक पाठक दमदार आदमी हैं. बागी बलिया के रहने वाले हैं. लखनऊ में लंबे समय से डेरा डंडा जमाए हैं. इंडिया टुडे में चौदह साल सेवा दिए. इंडिया टुडे यूपी के ब्रांच हेड थे. जनरल मैनेजर का पद था. पिछले साल जून महीने में इंडिया टुडे वालों ने तीन सौ लोगों को निकाल दिया. छंटनी की इस लिस्ट में आलोक भी थे.
अचानक सड़क पर आए आलोक ने बेरोजगारी के इस साल भर के दिनों में जमाने के बहुत से रंग देख लिए. इंटरव्यू के अगले पार्ट में आप उन्हें सुनेंगे कि किस तरह मुश्किल वक्त में गैर मजहब के लोग काम आए. किसी क्रिश्चियन मित्र तो किसी मुस्लिम मित्र ने उनकी जान बचाने, घर परिवार चलाने में मदद की.
वो ब्राह्मण बॉस काम न आया जो पूरे चौदह साल तक इंडिया टुडे में उन्हें ‘तू ब्राह्मण मैं ब्राह्मण’ के नाम पर पटाए रखा था, उल्लू बनाए रखा था… आफत विपत के समय आलोक की आंख खुली…
आलोक पाठक से लंबी और बेबाक बातचीत हुई. पहले पार्ट में सुनिए भक्ति का चश्मा कैसे उतरा. आलोक कट्टर मोदीवादी-योगीवादी थे. वे बताते हैं- मैं क्या, पूरी भारतीय मीडिया को ही मोदी की भक्ति का चश्मा चढ़ गया था.
फिर ये चश्मा कैसे उतरा…. जानिए सुनिए आलोक के मुंह से…
आलोक का इंटरव्यू देखें-सुनें, नीचे क्लिक करें-
Alok pathak interview part one
पार्ट दो देखें-
‘तू ब्राह्मण, मैं ब्राह्मण’ कहने वाले इंडिया टुडे के CEO ने मुश्किल वक्त में दिल्ली वाला कल्चर दिखा दिया, देखें वीडियो इंटरव्यू
पार्ट तीन देखें-
Sukirti Jain
July 4, 2021 at 5:08 pm
स्वतंत्र पत्रकारिता, सर्वश्रेष्ठ पत्रकारिता
Sanjay kumar
July 4, 2021 at 8:51 pm
अपनी नौकरी चली गई तो मोदी बुरे हो गए पाठक जी चलिए जनाब कमसे कम इस बेरोजगारी के समय में toolkit का हिस्सा बनने से कुछ कमाई हो रही होगी। ये बात सत्य मोदी जी का विरोध करने से मीडिया वालो की कमाई ज्यादा होती है।