स्पेस टीवी, प्रज्ञा टीवी, महुआ टीवी, न्यूज एक्सप्रेस, एसोचैम डिजिटल टीवी और भारत आज जैसे कई चैनलों में कई महत्त्वपूर्ण पदों में कार्य कर चुके पत्रकार, लेखक और रंगकर्मी आलोक शुक्ला पिछले डेढ़ साल से GBS जैसी रेयर न्यूरो बीमारी से जूझ रहें हैं. इसी दरम्यान राही पब्लिकेशन नई दिल्ली से उनके नाट्य संग्रह ‘ख्वाबों के सात रंग’ का प्रकाशन हुआ है. इसे अमेजन में प्राप्त किया जा सकता है. यह उनके छोटे बड़े कुल सात नाटकों का संग्रह है जिसमें दो पूर्णकालिक नाटक, एक सोलो, एक द्वि पात्रीय/बहु पात्रीय, एक नुक्कड और दो लघु नाटक शामिल हैं. इसकी कीमत 275 रुपये है.
आलोक को 2018 में संस्कृति मंत्रालय से लोक रंगमंच के लिए सीनियर फैलोशिप अवॉर्ड भी मिल चुका है. वे कई टीवी सीरियल्स के साथ धन्ना, पहेली, डरना जरूरी है जैसी फीचर फिल्मों सहित हलवा नाम की हिट शॉर्ट फिल्म में भी काम कर चुके हैं.
आलोक मूलत रीवा (मध्य प्रदेश) के पत्रकार, लेखक और रंगकर्मी हैं। रीवा के बाद उन्होंने लगभग डेढ़ दशक तक मुंबई में काम किया और अब पिछले एक दशक से दिल्ली में रहते हुए कार्य कर रहे हैं। यद्यपि पिछले डेढ़ साल से वे गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं जिससे उन्हें अपने दो बच्चों के छोटे परिवार को पालने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी मदद के लिए कई रंग साथी और मीडिया के साथी आगे आए। अब भी उन्हें आर्थिक मोर्चे पर मदद की दरकार है। छह महीने पहले उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय में पत्रकार सहायता स्कीम में मदद के लिए आवेदन किया था पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है।
आलोक की किताब खरीद अमेजन पर उपलब्ध है। आलोक से संपर्क 9999468641 के जरिए किया जा सकता है।