-यूसुफ किरमानी-
अलविदा डियर पंकज… मेरा पंकज शुक्ला का साथ दैनिक जागरण बरेली में रहा। पंकज सिटी रिपोर्टर था। हम लोगों ने उसे जो भी बीट दी, उसने बहुत बेहतरीन काम किया। …वह सुर्ती मलकर बहुत खाता था, जिस पर मैं उसे चिढ़ाता भी था। लेकिन हर बार चिढ़ाने पर वह कहता – भाईसाहब लेकिन मैं बिहार से नहीं हूँ। इलाहाबाद ने सिखा दिया तो क्या करूँ।
पंकज को तब तक विचारधारा की पत्रकारिता का इतना ज्ञान नहीं था लेकिन उसमें सीखने की ललक बहुत थी। ख़ैर उसके बाद मैं अमर उजाला के पंजाब मिशन पर चला गया। कई वर्षों बाद पंकज से दिल्ली में मुलाक़ात हुई। वह विचारधारा वाला पत्रकार बन चुका था, जिसे लेकर हम लोगों के मतभेद भी थे। लेकिन उसने इसे व्यक्तिगत संबंधों में हावी नहीं होने दिया।
कोरोना की वजह से एक उदीयमान पत्रकार का आज इस तरह चला जाना बेहद कष्ट दे रहा है। हालाँकि यह मौत हार्ट अटैक के कारण हुई मालूम होती है। लेकिन आज हर मौत कोरोना बन गई है। शायद राजसत्ता एक्सप्रेस के घाटे का असर भी उस पर रहा हो।
बहरहाल, पंकज के साथ बरेली में गुज़ारे गये दिन बहुत याद आयेंगे। …यह बहुत खलने वाली मौत है।
-डॉ अजय ढोंढियाल-
दोस्त, भाई और सबसे बढ़कर… गर्दिश में साथ देने वाला, पंकज शुक्ला। दो दिन पहले मैसेज पे बोला था कि बिंदास, और आज अलविदा। आंखें सदा देखेंगी और दिल में तस्वीर छपी है। जाओ उस दुनिया में ऐसे ही खुश रहना जैसे इस दुनिया में थे। भाई लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं दे पाओगे, मेरे आंसू कौन पोंछेगा, बोलो..
-विवेक सत्य मित्रम-
कोई अपना सा चला गया हमेशा के लिए, लेकिन यक़ीन नहीं हो रहा। लगता है कि अभी फ़ोन लगाउंगा और दूसरी तरफ़ से आपकी चहकती आवाज़ आएगी — “क्या हाल है विवेक बाबू?’ अपनी ज़िंदगी में इतना खुश दिल इंसान नहीं देखा था मैंने। अलविदा Pankaj Shukla भैया। जब क़रीब डेढ़ साल पहले आपके नोएडा वाले ऑफ़िस में मिला था तो मालूम नहीं था कि आख़िरी बार मिल रहा हूं आपसे। दो-चार बार आपके ऑफिस के आस पास से गुज़रते हुए आपका ख़याल आया लेकिन मशरूफ़ियत की वज़ह से सोचा — कभी और मिल लूंगा। आज अपने ख़याल पर अफ़सोस हो रहा है। ये दुख कभी कम नहीं होगा।
-सुधीर कुमार पांडेय-
साल 2020 इतिहास का सबसे गंदा साल साबित हो रहा । Pankaj Shukla जी का कोरोना से निधन हो गया । पिछले 12 साल से उनसे परिचय रहा, दिल्ली आया तो वो पहले लोगों में थे जिनसे नौकरी माँगी फिर एक चैनल में क़रीब 2 साल साथ में काम भी किया घर भी आना जाना हुआ परिवार से भी कई बार मिला। जैसा हर रिलेशन में होता है उतार चढ़ाव भी आए लेकिन रिश्ता बना रहा पर ये क़तई नहीं सोचा था कि ऐसे चले जाएँगे कल रात नॉएडा में कोरोना से आख़िरी साँस ली । ईश्वर आत्मा को शान्ति दे ,परिवार को दुःख सहन की शक्ति भी प्रदान करे । अंदर तक हिला देने वाला समाचार है।
-नवलकांत सिन्हा-
अपनी जिंदगी से 2020 को निकाल चुका हूं। सब कष्ट सहने को तैयार हूँ लेकिन उसका क्या करूँ कि जो दुनिया छोड़कर चले जा रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार पंकज शुक्ला का कोरोना से निधन। बहुत शानदार और हँसमुख व्यक्ति थे। पंकज भाई ये कोई उम्र होती है जाने की.. ॐ शांतिः, श्रद्धांजलि!