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अमर उजाला पहले ऐसा नहीं था, वह सत्ता, नेता, अफ़सर सबके आगे डटकर खड़ा होता था, सुनिए मुलायम हल्लाबोल प्रसंग

गोलेश स्वामी-

मुलायम सिंह यादव ने जब हल्ला बोल किया था तब अशोक अग्रवाल जी, अतुल महेश्वरी जी और अजय अग्रवाल (भय्यू जी) ने एक स्वर से कहा था कि हमने कोई गलत कार्य नहीं किया है तो क्यों झुका जाए।

उस समय अमर उजाला का पूरा ब्यूरो एकाद लोगों को छोड़कर पूरी तरह से उपकृत था। मुलायम के खिलाफ कोई खबर नहीं जाती थी। ऐसे में अमर उजाला के सभी मालिकों ने एक स्वर से फैसला करके मुझे ब्यूरो चीफ बनाकर भेजा।

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यह बात आठ नवंबर, 1994 की है।

साथ ही हिदायत दी कि आफिस नहीं जाना है। बाहर के ठिकाने से ही खबरें भेजनी हैं।

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उस समय मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के फेवर में आफिस से भेजी जाने वाली एक भी खबर नहीं लगती। लेकिन उनके खिलाफ मेरी हर छोटी बड़ी खबर प्रमुखता से लगती।

रात को मेरी अशोक जी, अतुलजी और भय्यू जी तीनों से बात होती। अब इधर ब्यूरो वाले और उधर मुलायम सिंह दोनों परेशान कि आखिर यह माजरा क्या है, क्योंकि अमर उजाला उनके एरिया का लीडिंग अखबार था।

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बहरहाल, एक दिन मुलायम सिंह को मालूम हो गया कि मैं आया हुआ हूं। वो मुझे 1981 से जानते थे। कई बार उनके साथ गया भी था। जमीन पर बैठकर साथ साथ भोजन भी किया था।

मैंने अमर उजाला के मालिकों को बताया कि इस तरह मुलायम सिंह का बुलावा आया है। उन्होंने का जाओ। मौका लगे तो एक इन्टरव्यू भी कर लेना।

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बहरहाल मैं गया। पार्टी दफ्तर में वो अकेले बैठे थे। बाद में उन्होंने एक सज्जन को और बुला लिया। मालूम पड़ा कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बिहार वाले बाबू कपिलदेव सिंह हैं।

काफी देर बहस हुई। मुलायम कपिल देव की तरफ देखकर बोले कि अमर उजाला को हो क्या गया है। मैंने छूटते ही बोला अमर उजाला को कुछ नहीं हुआ है। मुलायम सिंह जी आप अपना अतीत भूल गए हैं। आप ही अमर उजाला के संस्थापक संपादक डोरीलाल अग्रवाल जी के घर थैला लटकाकर आते थे। उनके चरण छूते थे और राजनीति में बढाने का आग्रह करते थे। आप शायद वो दिन भूल गए हैं जब अमर उजाला ने आपको तीन जिलों एटा, इटावा और मैनपुरी के नेता से बढाकर देश का नेता बनाया।

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इतना सुनते ही मुलायम मेरा हाथ खींच कर अकेले अंदर ले गए और कहने लगे स्वामी जी हम मालिकों के विरोधी हैं, आपके नहीं। पत्रकारों का हम पूरा सम्मान करते हैं। मैंने कहा लेकिन हम अमर उजाला की सेवा करते हैं, आपकी नहीं। आपने हल्ला बोल का फैसला गलत लिया है, इसे वापस लीजिए, क्योंकि अभी आपको लंबी राजनीति करनी है और वो अखबार खासकर अमर उजाला के बिना संभव नहीं।

उस समय न टीवी चैनल थे और न सोशल मीडिया। अमर उजाला पश्चिमी यूपी और उत्तराखंड में नंबर वन अखबार था और उसकी मौनोपाली चलती थी। बहरहाल, मुलायम सिंह की बात समझ में आई। वे हेलीकाप्टर लेकर अमर उजाला के तत्कालीन प्रधान संपादक अशोक अग्रवाल जी के भरतपुर हाउस स्थित आवास पर पहुंचे और माफी मांगी।

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इस दौरान मेरा इंटरव्यू भी अमर उजाला ने बड़ी ईमानदारी से मेरे नाम से छापा जो काफी चर्चित हुआ। प्रसंगवश यह सब याद आया तो लिख दिया।

अमर उजाला क्या था और अब क्या हो गया है। बलिया पेपर लीक प्रकरण में जिस तरह से अपने बहादुर पत्रकारों का साथ अमर उजाला ने छोड़ा और चुप्पी साधी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है।

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सब लोग निर्दोष पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई के विरोध में हैं पर अमर उजाला ने एक लाइन अपने पत्रकारों के लिए नहीं लिखा। कभी ये अमर उजाला अपने कस्बाई पत्रकारों तक के लिए लड़ जाता था। क्या कहें, मन दु:खी होता है यह सब देख-सुनकर।

अनिल अग्रवाल जी और अतुल माहेश्वरी जी अपने लोगों के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते थे। अमर उजाला अब कारपोरेट संस्थान हो चुका है। वो पारिवारिक माहौल नहीं रहा। अब प्रबंधन को केवल रेवेन्यू से मतलब है, बाकी कुछ नहीं।

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(वरिष्ठ पत्रकार गोलेश स्वामी की आने वाली किताब का एक संपादित अंश)

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2 Comments

2 Comments

  1. शंकर देव तिवारी

    April 2, 2022 at 6:31 pm

    वर्तमान हालात पर सही लेख । मुलायम ने अनिल जी को मेरे वारे में भी हटाने को पत्र लिखा था ।जिसे उन्होंने नहीं माना ।जबकि अजय जी ने एक एस एस पी के कहने से घर बैठने को बोल नीला गेट दिखा दिया था । अमर उजाला हल्ला बोल का टारगेट नम्बर वन नही था । उसका शिकार जागरण था अव्वल नम्बर पर। आपको आपकी सुद्रढ़ कलम के लिए बधाई मंगलम

  2. आशीष

    April 3, 2022 at 11:39 am

    बहुत अच्छा प्रयास आप द्वारा किया गया ऐसे ही ईमानदारी पूर्वक अपने कर्तव्य का निर्वहन करना
    शुभकामनाएं तुम्हे

    जनहित बचाओ सभा

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