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अमर उजाला ने अपने कर्मचारियों को दिया धोखा, मजीठिया लागू करने बाद भी वेतन बढ़ोतरी सिर्फ हज़ार रुपया!

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सच के जोश के साथ 500 करोड़ रुपए सालाना रेवेन्यू कमाने वाले अमर उजाला ने मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के लिए अपनी यूनिटों को अलग-अलग बांट कर दिखाया है। ऐसा करके उसने सुप्रीम कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है। उसे लगता है कि इस प्रकार मजीठिया लागू करके वो किसी भी विधिक कार्यवाई से बच जाएगा। अमर उजाला ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की भी धज्जियां उड़ाई हैं जिसमें वेज बोर्ड को अप्रैल माह से लागू करके बकाया एरियर का चार किश्तों में भुगतान करने के लिए कहा गया है।

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सच के जोश के साथ 500 करोड़ रुपए सालाना रेवेन्यू कमाने वाले अमर उजाला ने मजीठिया वेज बोर्ड को लागू करने के लिए अपनी यूनिटों को अलग-अलग बांट कर दिखाया है। ऐसा करके उसने सुप्रीम कोर्ट की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश की है। उसे लगता है कि इस प्रकार मजीठिया लागू करके वो किसी भी विधिक कार्यवाई से बच जाएगा। अमर उजाला ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश की भी धज्जियां उड़ाई हैं जिसमें वेज बोर्ड को अप्रैल माह से लागू करके बकाया एरियर का चार किश्तों में भुगतान करने के लिए कहा गया है।

अमर उजाला ने कोर्ट को गुमराह करने और कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए सभी कर्मचारियों से घोषणा-पत्र साइन करवाए हैं कि कंपनी ने उन्हें कोर्ट के आदेशानुसार मजीठिया वेज बोर्ड दे दिया है। कर्मचारियों ने इस पर हस्ताक्षर भी कर दिए। मगर जब उनका वेतन आया तो पता चला कि उन्हें तो यूनिटों में बांट कर उनके हक पर कैंची चला दी गई है। इससे अधिकतर कर्मचारियों को महज एक हजार रुपये तक की इंक्रीमेंट लगी है, जो साल में वैसे ही लग जाती थी। वहीं कुछ जूनियर रिपोर्टरों व अन्य विभागों के कर्मचारियों को कुछ हद तक फायदा हुआ है, जिन्हें नाममात्र का वेतन मिलता था।

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वेज बोर्ड लगाने में वर्किंग जर्नलिस्ट एक्ट के उस नियम की सरेआम अवहेलना की गई है जिसके अनुसार एक कंपनी अपनी यूनिटों की आय को अलग-अलग आंक कर वेज बोर्ड नहीं लगा सकती। इतना ही नहीं, इस संबंध में बताया जा रहा है कि अमर उजाला प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट की अवमानना से बचने के लिए, कुछ कानूनी सलाहकारों की मदद से मजीठिया वेज बोर्ड को तोड़मरोड़ कर लागू किया है। इससे उसे दो फायदे हुए हैं, एक तो मालिकान सीधे जेल जाने से बचेंगे और दूसरा कंपनी पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी नहीं पड़ा है।

अब कर्मचारियों के लिए वेज बोर्ड को पूर्ण रूप से लागू करवाने के लिए कोर्ट जाने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचा है। फिलहाल कई जगह से कर्मचारियों के लामबंद होने की चर्चाएं हैं। देखना है कि कौन कोर्ट जाने की हिम्मत दिखाता है।

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classification of units as per wage board

भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।

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0 Comments

  1. g

    July 26, 2014 at 5:54 am

    sahi bat hai. employes ho ya stinger, sabke sath campany dhokha ki hai. agreement bharwayi lekin payment nahi.

  2. munna

    August 27, 2014 at 12:44 pm

    yah labh sirph yunit ke logon aur beuron chiefo ko diya gaya. beuro office ke staphon ko salana badottari ke nam par bhi dhela thams diya gaya.

  3. dkumar

    December 13, 2014 at 4:38 am

    Piasa dene me laparwahi nahi karni chahiye

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