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विश्‍व हिंदू कांग्रेस के कुछ माननीय वक्‍ताओं में अंबानी के पत्रकार उमेश उपाध्याय भी!

Abhishek Srivastava :  आपने आखिरी वक्‍त में मुसलमां होना सुना होगा। अब पहली ही घड़ी में हिंदू होने वालों को भी देख लें। इसरो के पूर्व अध्‍यक्ष माधवन नायर, सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी, सीएनएन-आइबीएन नेटवर्क 18 के प्रेसिडेंट उमेश उपाध्‍याय, फिल्‍मकार प्रियदर्शन, स्पिक-मैके के संस्‍थापक किरन सेठ, पर्यावरणविद् वंदना शिवा, अर्थशास्‍त्री बिबेक देबरॉय और सुरजीत भल्‍ला समेत आइआइटी और आइआइएम के प्रेोफेसरों की लंबी कतार है जिन्‍होंने अपने ‘हिंदू’ होने की घोषणा कर दी है, जबकि ”हिंदू राष्‍ट्र” का दबाव अभी इतना नहीं है। ये तमाम लोग परसों संपन्‍न हुई तीन दिवसीय विश्‍व हिंदू कांग्रेस में वक्‍ता रहे।

<p>Abhishek Srivastava :  आपने आखिरी वक्‍त में मुसलमां होना सुना होगा। अब पहली ही घड़ी में हिंदू होने वालों को भी देख लें। इसरो के पूर्व अध्‍यक्ष माधवन नायर, सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी, सीएनएन-आइबीएन नेटवर्क 18 के प्रेसिडेंट उमेश उपाध्‍याय, फिल्‍मकार प्रियदर्शन, स्पिक-मैके के संस्‍थापक किरन सेठ, पर्यावरणविद् वंदना शिवा, अर्थशास्‍त्री बिबेक देबरॉय और सुरजीत भल्‍ला समेत आइआइटी और आइआइएम के प्रेोफेसरों की लंबी कतार है जिन्‍होंने अपने 'हिंदू' होने की घोषणा कर दी है, जबकि ''हिंदू राष्‍ट्र'' का दबाव अभी इतना नहीं है। ये तमाम लोग परसों संपन्‍न हुई तीन दिवसीय विश्‍व हिंदू कांग्रेस में वक्‍ता रहे।</p>

Abhishek Srivastava :  आपने आखिरी वक्‍त में मुसलमां होना सुना होगा। अब पहली ही घड़ी में हिंदू होने वालों को भी देख लें। इसरो के पूर्व अध्‍यक्ष माधवन नायर, सीबीएसई के चेयरमैन विनीत जोशी, सीएनएन-आइबीएन नेटवर्क 18 के प्रेसिडेंट उमेश उपाध्‍याय, फिल्‍मकार प्रियदर्शन, स्पिक-मैके के संस्‍थापक किरन सेठ, पर्यावरणविद् वंदना शिवा, अर्थशास्‍त्री बिबेक देबरॉय और सुरजीत भल्‍ला समेत आइआइटी और आइआइएम के प्रेोफेसरों की लंबी कतार है जिन्‍होंने अपने ‘हिंदू’ होने की घोषणा कर दी है, जबकि ”हिंदू राष्‍ट्र” का दबाव अभी इतना नहीं है। ये तमाम लोग परसों संपन्‍न हुई तीन दिवसीय विश्‍व हिंदू कांग्रेस में वक्‍ता रहे।

इस देश की मानव संसाधन मंत्री तो एक कम पढ़ी-लिखी सामान्‍य सी अभिनेत्री हैं जिनका ज्‍योतिषी के पास और विश्‍व हिंदू कांग्रेस में जाना फिर भी ”निजी कर्म” माना जा सकता है। हम इस पर नेगोशिएट कर लेंगे, लेकिन क्‍या करें उनका जो ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्रों के जानकार लोग हैं? उनकी हिंदू अस्मिता क्‍यों उबाल मार रही है? बुद्धिजीवियों में वंदना शिवा अकेली नहीं हैं जो चौंकाती हें। पिछले साल की विश्‍व हिंदू कॉन्‍फ्रेंस की सूची देखिए, जीएम फसलों पर काम करने वाली जीन कैम्‍पेन की मुखिया सुमन सहाय ने भी वहां वक्‍तव्‍य दिया था।

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दो दिन से स्‍मृति ईरानी के पीछे पड़ा मीडिया क्‍या इन नामों पर कुछ बोलेगा? नेता और मंत्री तो आते-जाते रहते हैं, उनकी बहुत चिंता नहीं। इस देश का कथित ‘इंटेलिजेंसिया’ जो हिंदू हुआ जा रहा है, वह कहीं ज्‍यादा बड़ा खतरा है। करोड़ों बच्‍चों का भविष्‍य तय करने वाले सीबीएसई के चेयरमैन को हटाने की मांग क्‍यों नहीं की जानी चाहिए?

युवा मीडिया विश्लेषक और सोशल एक्टिविस्ट अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से.

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0 Comments

  1. rajkumar

    November 28, 2014 at 3:53 pm

    APNA NAM BHI ABHISEK SE BADAL KAR ASLAM KAR LO YADI HINDU KE NAM SE HI NAFRAT H TO, BHAGWAN TUM KUCHA TO BUDHI DO IN MEKALE PUTRO KO

  2. Dr Hari Ram Tripathi

    December 21, 2014 at 8:45 pm

    जिस देश में अस्सी प्रतिशत हिन्दू हैं वहां हिन्दू विरोधी होने का दिखावा करना भी मूर्खता है। हिन्दू समाज तुम जैसे लोगों को भी सह लेता है=.. बुखारी या किसी अन्य मुस्लिम की निंदा करो तो काट दिए जाओगे.

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