यूजीसी और एमएचआरडी में सर्वाधिक धीमी गति से कार्य करने में नम्बर एक पर रहे लखनऊ स्थित बीआर अम्बेडकर विवि में बेईमानी चरम पर है। हाल ही में यहां पर मीडिया सेंटर के लिए हुए इंटरव्यू में सेंटर इंचार्ज और जूनियर रीसर्च ऑफीसर के पद के लिए हुयी भर्ती के साक्षात्कार की बाद की स्थिति को देखकर तो ऐसा ही लगता है। 07 मई और 29 मई 2014 को हुए क्रमशः सेंटर डायरेक्टर और जूनियर रीसर्च ऑफीसर पद के साक्षात्कार के लिए सलेक्शन कमेटी बुलाई गयी थी। लेकिन दोनो ही पदों के लिए यथायोग्य उम्मीदवार मिलने के बावजूद दोनो ही पदों को एनएफएस यानी नन फाउंड सूटेबल घोषित कर 4 जून को इन पदों को कर दिया गया।
समझा जा रहा है कि कि सेंटर डायरेक्टर के लिए इलाहाबाद विवि के जनसंचार विभाग के शिक्षक को नियुक्ति दी जानी है जिनका आवेदनपत्र पिछले विज्ञापन के दौरान लेट मिलने के कारण शार्ट लिस्टिंग से बाहर हो गया था। इसके अतिरिक्त जूनियर रिसर्च ऑफीसर के लिए एनएफएस करने का कारण इसी विवि के पत्रकारिता विभाग के एक शोधछात्र को नियुक्त करने की कवायद की गयी है। समझा जा रहा है कि कुलपति को मनमाफिक दक्षिणा न मिलने और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के शिक्षकों के मनमाफिक उम्मीदवारों के न मिलने के कारण ऐसा किया है। सलेक्शन कमेटी द्वारा विधि सम्मत रूप से इन पदों के लिए योग्य अभ्यर्थियों पर मुहर लगा दी थी। परन्तु विश्वविद्यालय ने अपनी गुणा गणित से इन पोस्ट को एनएफएस कैटोगिरी में ला पटका।
हैरान करने वाली बात तो ये है कि जूनियर रीसर्च ऑफीसर पद के साक्षात्कार को महज पांच दिन हुए थे और सलेक्शन कमेटी का लिफाफा भी खुल गया। जल्दीबाजी में इक्जीक्यिूटिव काउंसिल की बैठक बुलाकर और मीडिया को जानकारी दिये बिना पदों को री-एडवारटाइजड कराना भी विषेशज्ञों के गले नहीं उतर रहा है। आखिर लिफाफा खुला कैसे और साक्षात्कार के बाद चयन किस आधार पर निरस्त किया गया। वीसी ने आखिर इन पदों पर क्यों वीटो पावर का इस्तेमाल किया। पदों को री-एडवरटाइजड करने के सवाल पर रजिस्टार सुनीता का कहना है कि मीडिया सेंटर के लिए योग्य अभ्यर्थी नहीं मिले। उनका यह कथन भी सलेक्शन कमेटी द्वारा लिए गये साक्षात्कार की गरिमा को तार तार करने के लिए काफी है कि महज चार दिन के भीतर ही पोस्ट री-एडरटाइज्ड कर देना विवि की चयन प्रक्रिया को शक के दायरे में लाता है।
इन पदों के लिए चयनित उम्मीदवारों को बाहर का रास्ता आखिर क्यों दिखा दिया गया गया, यह सवाल किसी के गले नहीं उतर रहा है। साक्षात्कार में सम्मिलत अभ्यर्थियों का कहना है कि वीसी ने इन पदों पर अपने या विवि के शीर्षस्थ अधिकारियों के कहने पर या उन पदों के लिए उचित दाम न मिल पाने की स्थिति में ऐसा किया हो। समझा जा रहा है कि मीडिया सेंटर पर कई अन्य ऐकेडेमिक पदों के लिए भी पुनः विज्ञापन किया गया है। इन पदों पर दबी जुबान में सीधी लेन देन की बात सामने आ रही है। इसके अतिरिक्त टीचिंग एवं नॉन टीचिंग श्रेणी के अन्य पदों को भी री-एडवाटाइजड किया गया है।
भड़ास को भेजे गए पत्र पर आधारित।
navin
July 4, 2014 at 7:06 pm
is university ki sthiti badi dayneya hai, bhrastachar ka bol bala hai, teachers VC par bhari hain… aise me yeh koi naya mamla nahin hain, yahan par bhrastachariyon ki suni jati hai…
kamal
July 5, 2014 at 7:53 pm
Establishment teachers ki nazar mein bhi yeh university bahut bhrast hai, Khud Lucknow ke teachers ise pasand nahin karte. kuch to baat hai sabhi jhoot nahin bool sakte, daal me bahut kala ho chuka hai yahan par ….
aditi
July 6, 2014 at 7:03 pm
Re advertisement me Junior Research Officer ki post me NET desire karne se hi lagta hai ki university ne kisi ka appointment pahle se hi fixed hai varna non teaching post ke lete NET ki need nahin hoti, sab golmaal hai bhai…
shadma
July 7, 2014 at 7:11 am
desh mei girte shiksha ke star ka mukhya karan par vyapt bhrastachar hai, br ambadiar central university mein yeh baat kai baar dekhne ko mili hai, univ administration ne yogya logon ko bahar kar ek baar phir sidh kar diya hai ki yahan sab kuch theek nahin chal raha hai…