Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

दुनिया का दादा अब भी अमेरिका ही है, इमरान खान को न चीन बचा पाया, न रूस!

विश्व दीपक-

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में, यूक्रेन-रूस युद्ध का बड़ा पहला बड़ा फॉल आउट. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री (अब पूर्व) इमरान खान को रूस जाने की कीमत अपनी प्रधानमंत्री की कुर्सी देकर देकर चुकानी पड़ी.

Advertisement. Scroll to continue reading.

न चीन बचा पाया, न रूस. दोहरा रहा हूं न पुतिन बचा पाया, न शी जिनपिंग.

जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था उस दिन इमरान खान मॉस्को में थे. इमरान ने कहा था – Exiting time to be in Russia

उसी दिन मैं समझ गया था कि इमरान खान गए. मैंने एक पाकिस्तानी दोस्त से पूछा कि बाकी सब तो ठीक था इमरान ने पुतिन से मिलते वक्त सैंडल क्यों पहन रखा था. उसने कहा कि पठानी सूट में सैंडल जंचता है लेकिन अब उतरने वाली है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

आखिरी दिनों में इमरान खान ने भारत की तारीफ करके अमेरिका को संदेश देने की कोशिश भी की लेकिन तब तक बात बहुत आगे बढ़ चुकी थी.

इमरान खान प्रसंग से क्या साबित होता है ?

Advertisement. Scroll to continue reading.

दुनिया एक ध्रुवीय बनी हुई है अब तक.

रूस-चीन के जिन अंधभक्तों को दिवास्वप्न आता है उनको छोड़कर यथार्थ का आंकलन यही कहता है कि दुनिया का दादा अमेरिका ही है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

पाकिस्तान में अभी भी 3A – आर्मी, अमेरिका, अल्लाह का ही कब्जा है.

इमरान खान ने पाकिस्तान को भारत बनाने की कोशिश की. अपनी जान तो बचा ले गए (डील यही हुई) लेकिन कुर्सी नहीं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

भारतीय विदेश नीति का सबसे मजबूत खंभा गुटनिरपेक्ष की नीति ही भारत के काम आ रही है. यहां फिर नेहरू का नाम आ रहा है क्योंकि जिस नेहरू का नाम मिटाने की कोशिश 24 घंटे की जा रही है वह न होता तो भारत का भी वही हाल होता जो पाकिस्तान का हुआ या कहिए कि हो रहा है.

भारत और पाकिस्तान के बीच सिर्फ एकही फर्क था 1947 में. भारत के पास नेहरू था. पाकिस्तान के पास जिन्ना. देख लीजिए – फर्क सामने है.

Advertisement. Scroll to continue reading.
1 Comment

1 Comment

  1. dinesh kumar

    April 11, 2022 at 4:54 pm

    पाकिस्तान के संदर्भ में यह खबर पूरी तरह से बेबुनियाद है और कोई दम नहीं है। गुट निरपेक्ष का दौर काफी पहले ही खत्म हो चुका है। यदि अमेरिका इतना ही शक्तिशाली था तो फिर अफगानिस्तान मैं एक गैर जनतांत्रिक सरकार को सत्ता में आने से रोकने में क्यों विफल रहा। पाकिस्तान में खुद ही इतने जहरीले नेता और पार्टियां हैं कि उनके बीच कोई भी देश राजनीति करके सफल होने का दावा नहीं कर सकता ।पाकिस्तान ने पूरे विश्व को परेशान कर रखा है ऐसे में भला कौन सा ऐसा देश होगा जो पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में इस तरह की भूमिका अदा करेगा और फिर इसके बाद इससे उसको हासिल क्या होगा यदि केवल नेहरू के महत्त्व को बताना है तब तो कोई बात नहीं?.. कांग्रेस भक्त ?..

Leave a Reply

Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement