कृष्ण कांत-
गृहमंत्री अमित शाह एक सरकारी चैनल संसद टीवी को फिक्स टाइप का इंटरव्यू देते हैं। उनसे उसी वक़्त की सबसे भयानक घटना के बारे में इंटरव्यूकर्ता वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह द्वारा कोई सवाल नहीं पूछा जाता। अमित शाह अपने इंटरव्यू का बड़ा हिस्सा वे प्रधानमंत्री की तारीफ में खर्च करते हैं। फिर आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री बहुत लोकतांत्रिक हैं, ये तो बुद्धिजीवी लोग हैं जो उनकी छवि खराब कर रहे हैं।
पूरी दुनिया जानती है कि भारत में इस समय डेढ़ लोगों की सरकार है। एक आदमी ही सरकार है, वही पार्टी है, वही सबकुछ है। और बाकी बचा आधा आदमी अपने मंत्रालय पर उठे सवालों को एड्रेस करने की बजाय प्रधानमंत्री की तारीफ करता है। पूरे मंत्रिमंडल का मुख्य काम है ट्विटर पर प्रधानमंत्री की तारीफ करना और उन्हें बात-बात पर थैंक यू बोलना। यही लोकतंत्र है?
जो प्रधानमंत्री बिना किसी को भनक लगे 5-5 मुख्यमंत्री बदल देते हैं, वही प्रधानमंत्री तमाम गंभीर आरोपों के बाद भी एक गृह राज्यमंत्री को नहीं हटाते। लेकिन गृहमंत्री कहते हैं कि वे बेहद लोकतांत्रिक हैं और जनता की आवाज को सुनते हैं।
और फिर कहते हैं कि बुद्धिजीवी छवि खराब कर रहे हैं! जिस तरह ये सरकार चल रही है, जिस तरह आप व्यवहार कर रहे हैं, उसके बाद क्या बुद्धिजीवियों को कुछ करने की जरूरत है? प्रधानमंत्री और आप दोनों मिलकर उनकी छवि खुद ही खराब कर हैं। जनता के बीच बना तिलिस्म टूट रहा है और विकास पुरुष का ग्राफ तेजी से नीचे आ रहा है। आप यकीन मानिए, बुद्धिजीवी नहीं, आप खुद ये काम कर रहे हैं।