अपने मित्र Amitabh Thakur की ये फोटो मुझे बहुत पसंद है..
जानते हैं क्यों?
इसमें मुझे नए दौर का एक ऐसा डिजिटल हीरो दिखता है
जो अपने चश्मे में पूरा ब्रह्मांड समेटे है
जिससे वह सब कुछ देख सुन समझ लेता है
जो सत्ताएं उससे छिपाना चाहती हैं…
इकहरी हड्डी का यह छोटा सा दुबला पतला वरिष्ठ आईपीएस अफसर
बिना बुलेट प्रूफ जैकेट पहने
बिना सुरक्षा गार्ड लिए
बिना सरकारी दंड की परवाह किए
निकल लेता है उस ओर जिधर अन्याय होने की गुहार मचती है…
बिना परवाह किए नौकरी की….
यूपी पुलिस में आईजी होते हुए भी यह आदमी
अचानक वहां के लिए भी चल पड़ता है
एकलौता न्याय पीठ बन के
जहां सत्ताएं पूरे सिस्टम और सारे स्तंभों को साधते हुए
दमनचक्र करने कराने के बाद
चुप्पी साधने के लिए मुंहबोली रकम देकर
पूरे तंत्रों-सभी स्तंभों को चुप करा देती हैं…
कुछ लोग कहते हैं कि जनता का शहंशाह है ये
कई कहते हैं कि इसके लिए बहुत सारे दुआ देते हैं…
पर पता नहीं मुझे क्यों लगता है कि
सारी काबिलियत इस चमकीले चश्मे की है…
मुझे तो ये चश्मा लेना है जी….
ये आदमी अपनी आलोचनाओं
अपनी दुर्गतियों
अपनी मन:स्थितियों को काबू में कर
अपने रास्ते पर चलते जाने का
अदभुत ताकत पा चुका है….
जाने मुझे क्यों लगता है
इसको सारी उर्जा इसी चमकीले अदभुत चश्मे से मिलती है
इसी से यह सब कुछ सही सही देख सुन पहचान पाता है….
मुझे ये चश्मा चाहिए भाई….
कोई कहता है ये आदमी भाजपाई है
कोई कहता है बसपाई
कोई कहता है ये पूर्व सपााई है
तो कोई कोई कहता है कि ये तो पूरा का पूरा चिरकुटाई है…
ये हर आरोप को सैल्यूट प्रणाम जयहिंद करता है ….
ठठा कर हहा कर लंबा लंबा मौजियल हंसी हंसता है
फिर आगे बढ़ता चला जाता है उस राह जिसे मन ही मन तय किया…
अकूत सत्ताधारी अन्याय पर कलम और शब्द की लट्ठ बजाने अकेले
उसकी आंच उसकी उर्जा से हर कोई नतमस्तक, हाथ जोड़े या हथप्रभ
मुझे लगता है यह सब ये रोशनीदार डिजिटल चश्मा कराता है…
मुझे ये चश्मा चाहिए भाई…
ये जो इक बस अदना सा आदमी है
जो अकूत हिम्मत ताकत और सच साथ रखता है
जो अपना जीवन सिस्टम से लड़ भिड़ कर
इसे घुटनो पर लाकर थोड़ी डेमोक्रेसी,
थोड़ी ट्रांसपैरेंसी, थोड़ा जनहित सिखाना चाहता है
लगे लगे दो दो हाथ करके हम सबको
थोड़ी जादू की झप्पी देना चाहता है…
उससे मुझे कहना है कि….
बॉस, ये चश्मा मुझे दे दो न.
और, हां… ये चश्मा लेकर मत चले जाना कभी
उस अंधेरे की तरफ जहां मुंह पर कपड़ा बांध
कोई तालिबानी चला आए तुम्हारा चश्मा छीनने
आसाराम के मानसिक रोगी शिष्य माफिक
स्वर्ग जाने की खातिर जिसने न्यायप्रियों को सुला दिया
हां, जाना तो बता देना इस चश्मे का राज
ताकि तुम कभी अकेले लड़ो तो हम तुम्हारे क्लोन चश्मे से
देश दिशा समय स्थान चीन्ह कर चले आएं फौरन…
लेकिन प्लीज ये सब तो बाते हैं, कल्पनाएं हैं
पजेसिव टाइप का इकतरफा प्यार है…
बस मैं तो ये कहने के लिए ये सब लिख रहा हूं कि…
यार, मुझे ये चश्मा दे दो प्लीज
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के फेसबुक वॉल से. इस पोस्ट पर आईं कुछ प्रमुख प्रतिक्रियाएं इस प्रकार हैं…
Sanjaya Kumar Singh खासियत चश्मे की नहीं – वो जहां खड़े हैं और जिसने तस्वीर उतारी है उसकी है जिससे चश्मा इतना गंभीर लग रहा है। मैंने एक बार ताजमहल के सामने खड़ी अपनी बेटी के चश्मे में ताजमहल लाने की कोशिश की थी। कई बार में सफलता मिली। यहां तो ताजमहल नहीं पूरा ब्रम्हांड दिख रहा है। कुछ संयोग तो है!!
संजय शर्मा ”ये चश्मा मुझे दे दो ठाकुर!” वाह बहुत खूब !
Narendra M Chaturvedi भाई ये दोस्ती निभा रहे हो…या….दुश्मनी….कर्ण का कवच उतरवा लेने के पीछे एक संयंत्र था….बिना चश्मा फिर ये कैसे शेरो की तरह जायेगे….यसवंत भाई आप द्रोणाचार्य न बनो….सन्देश रूपी कृष्ण बनकर अर्जुन की तरह अमिताभ जी को मार्ग बताइये….वैसे वो खुदही बुध्दि गणेश है….?
Virendra Pandey निःसंदेह चौंकाने वाली हरकत उनका शगल काफी पहले से रहा। यहाँ एसपी बस्ती तैनात रहने के दौरान करीब सवा वर्ष बीट रिपोर्टर की हैसियत से साथ काम करने का अवसर हमें भी मिल चूका है। अचानक कार से उतर कर हम सब में किसी साथी की बाइक पर बैठकर घटना स्थल पर पहुँचाने, रोटरी जैसे अनेक प्रतिष्ठित संस्थान में बतौर मुख्य अतिथि हवाई चप्पल पहनकर पहुँच जाने, जिसके कार्यक्रम जाएँ,उसी की बखिया उधेड़ना उनको काफी पसंद था। आदि-आदि….! मगर बंदा सच्चा और दिलेर है, इसमें कोई शक नहीं ।
Vinay Maurya Sinner लाजवाब बेमिसाल …..भईया तू चश्मा लेला… हमके अमिताभ भईया क लड़ाकू जिगर चाही….
Yashwant Singh हा हा हा …. लव यू विनय भइया… यार…तोहार यही देसी और सच्चा अंदाज त हमके पसंद आवे ला….
Vinay Maurya Sinner दुई ट्रक धनबाद भईया …..हमहू तोहसे बहुत पयार करीला भईया …हमके तोहरे पर बहुत गर्व रहला भईया …..माई कसम भईया
Pawan Upadhyay इतना टूटा हूँ कि छूने से बिखर जाऊंगा …..अब अगर और दुआ दोगे, तो मर जाऊँगा !
Amitabh Thakur यशवंत बाबू,
एक एक शब्द
जो आपने
लिखा यहाँ
अपने बड़े भाई के लिए
करता आनंदित
देती उर्जा
बढ़ाता उत्साह
लेकिन इनसे कहीं अधिक
बताता आपका व्यक्तित्व
यशवंत का वह व्यक्तित्व
जो विरले है
और विशिष्ट भी
खुरदरा भी स्नेह-सिंचित भी
रफ एंड टफ
मोम के माफिक भी
परिवर्तन की चाह
परिवर्तन का संवाहक
घटनाक्रम से निर्लिप्त भी
स्वयं में मस्त
स्वयं से सिक्त भी
जब-जब आपको देखता हूँ
अच्छा लगता है
बहुत अच्छा लगता है
यह जान कर
ऐसे अलमस्त, बुद्धिमान,
निडर, दबंग, तीक्ष्ण बुद्धि
पागल मौजूद हैं
हमारे बीच
आज भी, इस समय भी
Arvind Tripathi यशवन्त को दिए आपके प्रतिउत्तर ने मुझे आनन्दित कर गया।
Yashwant Singh अरे सर हम आपका चश्मवा मांग रहे हैं और आप मीठी मीठी बात कहके हमको फुसला रहे हैं smile emoticon
Rajiv Verma No doubt, yashwant ji Aap to bas hila diye, Mtble pagdandi ko Thame hue ek achha chitran….
Gourav Sharma बहुत अच्छी कविता।।
Ashish Singh Waise, aapka chasma bhi kuch kam nahi hai..
Singhasan Chauhan आज देश को ऐसे ही अफसरों की जरुरत है
Sarvendra Vikram मिस्टर इंडिया वाला चश्मा हैं,
Arshad Ali Khan ham salaam karte hain esi shakhsiyat ko . jai hind
Veer Yadav भीड़ से अलग चलने वाले हमेशा हीरो ही होते हैं
Kamta Prasad लेखन की यह कौन सी शैली है यह तो पता नहीं पर प्रस्तुति समझ में आने लायक और अबूझ नहीं है। साधुवाद।
Pradumn Kaushik सलाम
Varsha Srivastava जबरजस्त.
Rahi mk
April 2, 2016 at 7:53 pm
Kya Kavita likhi hai Yashvant ji. Mujhe to Lagta hai ki aap bhi Amitabh Thakur ji se koi kum nahin. Aap dono Nirbheek aur Bhrashtachariyon se Ladney waley Log hain. Aur yahi kaaran hai ki aap dono apni-2 jagah alag-2 Ladai Ladte rahey hain. Par aapney Amitabh ji ke samarthan me jo kavita likhi, kafi der ker di post kerney me. Isse aur pahle likhni chahiye thee unke samarthan me, taki unko aur Sambal milta. Main bhi aise logon ko hamesha “Salute” kiya hoon. Jai Hind. Satya-mev-jayate.