Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

झूठ की फैक्ट्री से बापू के बारे में विष-वमन!

Amitabh Thakur :  हे राम! मैंने “गाँधी और उनके सेक्स-प्रयोग” शीर्षक एक छोटा सा लेख लिखा. उसमे अन्य बातों के अलावा मैंने जो शब्द प्रयोग किये वे थे “यदि हर व्यक्ति प्रयोग के नाम पर दूसरी महिलाओं के साथ सार्वजनिक रूप से सोने की मांग करने लगेगा”, “अन्य विवाहित/अविवाहित महिलाओं के साथ इस प्रकार नंगे अथवा अन्यथा सोना”, “विवाह-बंधन से बाहर इस प्रकार खुले रूप से गैर-औरतों के साथ शयन” अर्थात गाँधी जी के अन्य महिलाओं के साथ निर्वस्त्र या अन्यथा शयन.

#AmitabhThakur

राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी, बापू आदि अत्यंत सम्मान सूचक नामों से याद किये जाने वाले मोहनदास कर्मचंद गांधी अहिंसक तरीकों से नागरिक अवज्ञा आंदोलन के लिए प्रसिद्ध हुए। सत्याग्रह उनका लोकप्रिय हथियार था। कानून के ज्ञान का उपयोग जनहित और देशहित में करते हुए उन्होंने सारी उम्र अंग्रेजों से लोहा लिया। उनकी पारदर्शिता, ईमानदारी, सच्चाई और सादगी ने सबका मन मोहा। उनके चरित्र की मजबूती इससे झलकती है कि उन्होंने भारत-पाक विभाजन के समय भी पाकिस्तानी नेताओं को उनका हक दिलवाने में अग्रणी भूमिका निभायी। धोती उनकी वेशभूषा थी तो चरखा उनका कर्म। वे सन् 1930 की डांडी यात्रा और नमक आंदोलन के लिए तो सुर्खियों में रहे ही, लेकिन सन् 1942 के उनके अंग्रेजो भारत छोड़ो अभियान की परिणित भारतवर्ष की स्वतंत्रता के रूप में हुई।

सरकारें अपने लाभ के लिए उनके नाम का राजनीतिक उपयोग (या दुरुपयोग) करें और एक तरफ सरकार उनकी 150वीं जयंती मनाने के लिए बड़े-बड़े कार्यक्रमों की घोषणा करे और दूसरी तरफ अपनी झूठ की फैक्ट्री से बापू के बारे में विष-वमन जारी रखे, तो भी जनसामान्य के मन में राष्ट्रपिता के प्रति प्रेम या आदर कम नहीं होता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

महात्मा गांधी के बाद गांधी-नेहरू परिवार के सदस्यों को भी देश जानता है। प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी ने जहां सिंडीकेट को हराकर अपनी मजबूत छवि बनाई, प्रिवी पर्स को खत्म किया, बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया, वहीं वे लाइसेंस राज, आपात्काल, नसबंदी आदि के लिए कुख्यात हुईं। उन्होंने बिना किसी होमवर्क के गरीबी हटाओ का नारा लगाया, शक्तियों का केंद्रीयकरण किया, लोकसभा का कार्यकाल 6 वर्ष कर दिया, राष्ट्रपति के अधिकारों में कटौती कर दी और कोरम की अनिवार्यता समाप्त करके यह कानून बनवा लिया कि यदि लोकसभा में सिर्फ एक सांसद उपस्थित हो और वह किसी बिल के पक्ष में वोट दे दे तो उसे लोकसभा द्वारा पारित मान लिया जाएगा। उनके समय में ही नई दिल्ली में नवंबर-दिसंबर 1982 में 9वें एशियाड का सफल आयोजन हुआ और देश में रंगीन टीवी आया। जनता पार्टी के संक्षिप्त शासनकाल के बाद वे दोबारा सत्ता में आईं लेकिन सन् 1984 में उनकी सुरक्षा पंक्ति के एक गार्ड ने उनकी निर्मम हत्या कर दी।

गांधी-नेहरू परिवार के अन्य सदस्य भी विख्यात या कुख्यात हुए। आपात्काल के समय संजय गांधी का अहंकारी व्यवहार, हवाई दुर्घटना में मृत्यु, उनकी धर्मपत्नी की भूमिका, बाद में पशु-रक्षक के रूप में प्रसिद्धि, भाजपा में शामिल होना और अपने सुपुत्र वरुण गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का सर्वाधिक सुयोग्य पात्र बताना कौन भूल सकता है? जनता पार्टी के पतन के बाद “चुनिये, काम करने वाली सरकार” के नारे के साथ इंदिरा गांधी सत्ता में दोबारा आईं। अपनी मां की निर्मम हत्या के बाद मिस्टर क्लीन कहे जाने वाले राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने अपनी सरकार को “तेजी से काम करने वाली सरकार” बताया।

Advertisement. Scroll to continue reading.

उन्होंने पंजाब और असम समझौता करके देश से उग्रवाद खत्म करने का ईमानदार प्रयास किया, हालांकि वह प्रयास सफल नहीं हो सका लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि वह कोशिश ईमानदार थी। उन्होंने दलबदल विरोधी कानून बनाकर राजनीतिक दलों को प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों में बदल दिया। वे जहां भोपाल गैस कांड और शाहबानो केस के लिए आलोचना के शिकार हुए वहीं उन्होंने देश को कंप्यूटर क्रांति दी। अंतत: बोफोर्स का आरोप उन्हें ले डूबा। सन् 1987 में श्रीलंका में शांति सेना भेजकर उन्होंने तमिल ईलम के लोग उनसे नाराज हो गए और सन् 1991 में जब वे सत्ता में दोबारा वापिसी करने ही वाले थे तो वे तमिल ईलम के एक आत्मघाती दस्ते का शिकार हो गए।

राजीव गांधी की धर्मपत्नी सोनिया गांधी ने सत्ता में न आकर भी शासन किया। पीवी नरसिंह राव के पतन के बाद सीताराम केसरी को पदच्युत करके उन्होंने कांग्रेस की कमान संभाली और कांग्रेस को वापिस सत्ता में ले आईं। वे गैर-भाजपा दलों के संघ की मुखिया रहीं और उन्होंने डा. मनमोहन सिंह को कठपुतली की तरह प्रयोग किया। उनके सुपुत्र राहुल गांधी अब कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।

Advertisement. Scroll to continue reading.

महात्मा गांधी और नेहरू-गांधी परिवार के अतिरिक्त एक अन्य गांधी, मयंक गांधी भी हैं जिनके जिक्र के बिना हर बात अधूरी है। यहां यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि इन तीनों की आपस में कोई तुलना न संभव है, न की जा रही है। इन सबके कुल-नाम में गांधी होना ही यह कारण है कि इनका जिक्र एक साथ किया जा रहा है। तीसरे गांधी, यानी, मयंक गांधी फिलहाल महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड़ जिले के 15 सूखाग्रस्त गांवों में किसानों और ग्रामीणों के उत्थान के लिए नि:स्वार्थ काम कर रहे हैं। वे एक ऐसा माडल बनाने के लिए प्रयासरत हैं जिसे भारत भर में लागू किया जा सके। किसानों की आत्महत्याओं और गांवों की गरीबी से दुखी मयंक गांधी की उपलब्धियों की सूची बहुत लंबी है। वे एक जाने-माने सामाजिक एक्टिविस्ट हैं।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कार्यरत राजनीतिक दल लोकसत्ता के संस्थापक पूर्व आईएएस अधिकारी जयप्रकाश नारायण के साथ जुड़ना उनका शुरुआती प्रशिक्षण था। मुंबई के कुछ क्षेत्रों में चुनावों के समय स्थापित राजनीतिक दलों के नामी-गिरामी प्रत्याशियों को छोड़कर जागरूक नागरिक मंच के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करके उन्होंने जनता में चेतना की एक नई लहर जगाकर इतिहास रचा। “रीमेकिंग ऑव मुंबई फेडरेशन” के सचिव के रूप में उन्होंने प्रशंसनीय कार्य किया और उन्होंने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर गगनचुंबी इमारतों के लिए नीति निर्माण में सहयोग दिया। सन् 2011 में वे “इंडिया अगेन्स्ट करप्शन” अभियान की केंद्रीय समिति के सदस्य बने और बाद में आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य थे। सन् 2015 में उन्होंने आम आदमी पार्टी से त्यागपत्र दे दिया क्योंकि वे पार्टी को पथभ्रष्ट होता नहीं देख पा रहे थे।

Advertisement. Scroll to continue reading.

अत्यंत सात्विक प्रवृत्ति वाले मयंक गांधी इस समय सिर्फ सेवा कार्य में संलग्न हैं। सुशासन के लिए वे देश में राष्ट्रपति प्रणाली की शासन पद्धति और चुनाव में भ्रष्टाचार के अंत के लिए आनुपातिक प्रतिनिधित्व वाली चुनाव प्रणाली लागू करने की वकालत करते हैं। वे नगरपालिकाओं, नगर परिषदों और नगर निगमों की स्वायत्तता के हिमायती हैं। देश के बहुत से राजनीतिक दल इसी विचारधारा के समर्थक हैं। जागो पार्टी, लोकसत्ता पार्टी, सैनिक समाज पार्टी, फोरम फॉर प्रेजिडेंशियल डेमोक्रेसी तथा हिंदुस्तान एकता पार्टी इनमें शामिल हैं।

कई देशों के संविधान के अध्ययन के बाद फोरम फॉर प्रेजिडेंशियल डेमोक्रेसी के संयोजक जशवंत मेहता ने इस विषय पर कई पुस्तकें लिखी हैं, वहीं अमरीका से 18 साल बाद वापिस लौटे भानु धमीजा ने अपनी पुस्तक “ह्वाई इंडिया नीड्स प्रेजिडेंशियल सिस्टम” तथा राजेश जैन ने अपनी वेबसाइट “नयी दिशा” के माध्यम से सुशासन की स्थापना और गरीबी उन्मूलन के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जागरूकता अभियान चला रखा है। इसी का परिणाम है कि “हिंदुस्तान एकता पार्टी” ने अपने संकल्प पत्र में इन सभी नीतियों को प्रमुख रूप से शामिल किया है। ये अनाम लोग और नगण्य माने जाने वाले राजनीतिक दल कब कोई चमत्कार कर दें, कहना मुश्किल है। यह भी सच है कि इस पावन प्रयास में जशवंत मेहता, ओम प्रकाश मोंगा, दीपक मित्तल, कर्नल परमार, भानु धमीजा, राजेश जैन और मयंक गांधी की भूमिकाओं को नकारा नहीं जा सकता।

Advertisement. Scroll to continue reading.

लेखक पी. के. खुराना दो दशक तक इंडियन एक्सप्रेस, हिंदुस्तान टाइम्स, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी और दिव्य हिमाचल आदि विभिन्न मीडिया घरानों में वरिष्ठ पदों पर रहे. उनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.

https://www.youtube.com/watch?v=I1tgkDRhJUU

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement