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जबरिया रिटायर और जबरिया गिरफ्तार अमिताभ ठाकुर आजाद हो गए, देखें तस्वीरें

यशवंत सिंह-

कई महीने जेल में रहने के बाद आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर आखिरकार बाहर आ गए. शासन सिस्टम ने उन्हें बाहर न आने देने की भरसक कोशिश की और तरह तरह की अड़चनें पैदा कीं. लोअर कोर्ट का पूरा सिस्टम भी शासन प्रशासन के पक्ष में जाता दिखा. यही कारण रहा कि लोअर कोर्ट से जमानत याचिका खारिज कर दी गई.

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हाईकोर्ट ने जमानत पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था और दो दिन पहले सोमवार को फैसला सुनाया जिसमें अमिताभ ठाकुर को रिहा किए जाने का आदेश दिया.

रिहाई के आदेश के बावजूद ये आशंका थी कि कहीं शासन सिस्टम फिर कोई फर्जी आरोप लगाकर गिरफ्तार कर जेल से बाहर ही न निकलने दे. पर ऐसा हुआ नहीं. लगता है कि योगीजी के अफसर दुबारा सत्ता में वापसी के बाद अब निश्चिंत हो गए हैं कि अब किसी के बिगाड़े कुछ न बिगड़ेगा, हर ओर शांति ही शांति है.

अमिताभ ठाकुर की रिहाई के लिए सर्वाधिक मेहनत उनकी एडवोकेट पत्नी नूतन ठाकुर ने की. पत्नी और अधिवक्ता, दो भूमिकाओं में नूतन ने कई कई मोर्चे लिए. पुलिस, प्रशासन, न्यायपालिका तीनों से टकराती रहीं. तीनों के असली चेहरे से रुबरु हुईं. इस भीषण मुश्किल दौर में कौन अपना है कौन पराया, कौन जासूसी कर रहा है और कौन सच सच बोल बता पूछ रहा है, ये समस्या भी उनके सामने लगातार बनी रही. पर वे बिना धैर्य खोए सबको संतुलित तरीके से हैंडल करती रहीं.

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माना जा रहा है कि पूर्व आईजी अमिताभ ठाकुर बाहर आने के बाद जेल जीवन पर किताब लिखेंगे. उसके बाद फिर से अपनी सामाजिक सक्रियता वाली भूमिका का निर्वाह करने लगेंगे.

जबरिया रिटायर किए गए और फिर जबरिया जेल में डाले गए अमिताभ ठाकुर को आजादी मुबारक. अमिताभ का सत्ता सिस्टम ने काफी इम्तहान लिया जिसमें वो लगातार अड़े रहे. डरे या झुके कतई नहीं. आज के दौर में जब आईएएस आईपीएस नौकरी बचाए रखने की तो छोड़िए, अच्छी पोस्टिंग में बने रहने के लिए समझौते दर समझौते करते चले जाते हैं, अमिताभ ठाकुर का रीढ रखना और शासन सत्ता के गलत का खुलेआम विरोध करना अजूबे की तरह है.

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पर कहते हैं न डर के आगे जीत है. जेल सबसे बड़ा डर होता है किसी के लिए. सत्ता सिस्टम जेल में भेजकर ये डर भी खत्म कर देता है. अमिताभ फिर आजाद है. उन्हें अब मुंह बंद रखने के लिए किस चीज से डराया जाएगा… जेल तो अब उनकी भी जानेमन हो चुकी है!

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1 Comment

1 Comment

  1. B v upadhyay

    March 21, 2022 at 9:22 am

    स्वार्थ केवल धन का ही नहीं होता है। स्वार्थ अनेक प्रकार का होता है।उनमें से एक प्रकार अपने प्रतिकूल कुछ भी नहीं सुनने ,देखने या होने देना है और स्वयं को ही सर्वथा परिपूर्ण और बेदाग मनवाने की प्रबल इच्छा भी है। शासन में शीर्ष पर बैठा व्यक्ति इससे सर्वाधिक ग्रस्त होता है।अगर यहां कोई सन्यासी है तो उसे इससे मुक्त ही होना श्रेयस्कर है अन्यथा वह आम आदमी से इतर नहीं है ।लोकतंत्र एक आयातित शब्द और व्यवस्था है जिसमें सभी को काफी हद तक स्वतंत्रता प्राप्त है।उसमें एक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी भारत का संविधान देता है।अमिताभ ठाकुर जैसे लोग इसी स्वतंत्रता के अधीन समाज के हित में अपनी बाते कहते और उसके अनुरूप काम किया करते हैं।निश्चित रूप से कोई सत्ताधारी अपनी आलोचना या कमी की बात को सहन नहीं करता है और ऐसा करने वाले को सबक सिखाने के हर काम करता है और अपने इरादे में सफल भी हो जाता है। अमिताभ ठाकुर ऐसी ही परिस्थितियों के सहज शिकार हुए हैं ।लेकिन देर सबेर कोई न्यायालय सभी को कुछ न्याय देता है। अमिताभ ठाकुर जेल से बाहर आ गए तो यह जरूरी नहीं कि वह अपना अभियान त्याग दें लेकिन सत्ता कुछ ऐसे ही आशा करेगी। आगे आने वाला समय बताएगा कि सत्ता और अमिताभ ठाकुर कैसा आचरण करते हैं।
    अमिताभ ठाकुर को शुभकामनाएं।

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