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फेसबुक ने लेखक-पत्रकार अमरेंद्र किशोर के अकाउंट को बिना किसी कारण बताये बंद कर दिया

(अमरेंद्र किशोर)


: फेसबुक का मनमानापन भारत में अघोषित आपातकाल की ओर इशारा कर रहा है – अमरेंद्र किशोर : फेसबुक ने लेखक-पत्रकार अमरेंद्र किशोर के अकाउंट को बिना किसी कारण बताये बंद कर दिया है। अमरेंद्र ने बीते शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वह अपने कॉलेज के जमाने से ही सांप्रदायिक ताक़तों के खिलाफ लिखते रहे हैं और ख़ास तौर से राज-व्यवस्था में फिरकापरस्त ताक़तों के  बढ़ते वर्चस्व को खारिज किया है। फेसबुक की इस कार्रवाई को अमरेंद्र ने पूरी तरह से घटिया करार देते हुए फेसबुक के कट्टरपंथी भावना से मुक्त होने के दावे पर सवाल उठाए हैं। अमरेंद्र ने जोर देकर कहा कि हाल के दिनों में उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तिवित भूमि-बिल, हरियाणा के मुख्यमंत्री का अचानक उभर आया गीता-प्रेम और मोदी सरकार के वादों के सन्दर्भ में जमकर फेसबुक पर सवाल उठाये थे। इनमें श्रीमद्भागवत गीता के सामाजिक सरोकारों पर अमरेंद्र द्वारा उठाये गए सवालों को लेकर फेसबुक पर जमकर मोदी समर्थकों ने आपत्ति प्रकट की थी।

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: फेसबुक का मनमानापन भारत में अघोषित आपातकाल की ओर इशारा कर रहा है – अमरेंद्र किशोर : फेसबुक ने लेखक-पत्रकार अमरेंद्र किशोर के अकाउंट को बिना किसी कारण बताये बंद कर दिया है। अमरेंद्र ने बीते शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वह अपने कॉलेज के जमाने से ही सांप्रदायिक ताक़तों के खिलाफ लिखते रहे हैं और ख़ास तौर से राज-व्यवस्था में फिरकापरस्त ताक़तों के  बढ़ते वर्चस्व को खारिज किया है। फेसबुक की इस कार्रवाई को अमरेंद्र ने पूरी तरह से घटिया करार देते हुए फेसबुक के कट्टरपंथी भावना से मुक्त होने के दावे पर सवाल उठाए हैं। अमरेंद्र ने जोर देकर कहा कि हाल के दिनों में उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तिवित भूमि-बिल, हरियाणा के मुख्यमंत्री का अचानक उभर आया गीता-प्रेम और मोदी सरकार के वादों के सन्दर्भ में जमकर फेसबुक पर सवाल उठाये थे। इनमें श्रीमद्भागवत गीता के सामाजिक सरोकारों पर अमरेंद्र द्वारा उठाये गए सवालों को लेकर फेसबुक पर जमकर मोदी समर्थकों ने आपत्ति प्रकट की थी।

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अमरेंद्र ने कहा कि ‘बीते मंगलवार से ही मेरा फेसबुक अकाउंट बंद कर दिया गया है। कई बार अनुरोध करने के बावजूद फेसबुक के अधिकारियों ने मेरा अकाउंट शुरू नहीं किया। उन्होंने ऐसा अतिवादी ताक़तों को संतुष्ट करने के लिए किया, जो नहीं चाहते कि कोई अपने विचार स्वतंत्र तौर से निर्भीक होकर सोशल साइट पर साझा करे।’ उन्होंने आगे कहा, “कुछ लोगों को मेरे उस पोस्ट पर आपत्ति जरूर थी जिसमें मैंने श्रीमद्भागवत गीता के सामाजिक सरोकारों को लेकर कई सवाल उठाये थे। चूँकि न्यायालय ने भी स्पष्ट तौर टिप्पणी की थी कि गीता धर्म-ग्रन्थ नहीं है और न ही राष्ट्रिय ग्रन्थ है इसलिए गीता को लेकर लिखा गया कोई भी पोस्ट न किसी के धार्मिक भावनाओं पर आघात था और न ही राष्ट्रद्रोह था।”

उन्होंने दुःख प्रकट करते हुए कहा कि अपने २४ साल के पत्रकारिता के कर्रिएर में इतना मानसिक संताप उन्हें कभी नहीं झेलना पड़ा। आदिवासी भारत की ज़िंदगी और उनकी दुर्गतियों पर कई किताब लिख चुके अमरेंद्र किशोर को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। इनदिनों अमरेंद्र समाज-विज्ञान और पर्यावरण पर केंद्रित एक अंगरेजी मासिक ‘डेवलपमेंट फाइल्स’ का सम्पादन भी कर रहे हैं।

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उनका कहना है “अपनी पत्रिका केलिए विभिन्न लोकोपयोगी सामग्रियाँ मैं फेसबुक के अपने मित्रों के बूते जुटाता रहा हूँ– हमारे मित्र न सिर्फ ग्रामीण-आदिवासी भारत बल्कि भारतीय उप-महाद्वीप के कई इलाकों के थे– जिनसे मुझे दुर्लभ जानकारी मिलती थी। इसलिए मैं अपने पाठको से जुड़ने के लिए माध्यम के रूप में फेसबुक का इस्तेमाल कर रहा था। लेकिन मैंने न तो मान्यवर मोदी पर या किसी पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी की थी और न ही राज-सरकार के खिलाफ किसी अभद्र शब्द का प्रयोग-उपयोग किया था। इसके बावजूद किसी तरह की चेतावनी दिए बगैर मुझ पर यहां प्रतिबंध लगा दिया गया।” अमरेंद्र के मुताबिक़ “मेरे पुराने अकाउंट में ढेर सारी दुर्लभ तसवीरें थी और कई पोस्ट थे, जिन्हे हासिल करना आसान ही नहीं नामुमकिन है।”   

पुराने अकाउंट में अमरेंद्र द्वारा उनके कई साथियों के पास भेजे गए सन्देश के साथ फेसबुक द्वारा ‘अब्यूसिव पोस्ट’ लिखा आता रहा है, जिस कारण अमरेंद्र को मानसिक यंत्रणा झेलनी पडी है। अमरेंद्र किशोर ने कहा है कि कहने केलिए अपने देश में अभिव्यक्ति की आजादी है। सुप्रीम कोर्ट भले ने साइबर कानून की उस धारा को निरस्त कर दिया जो वेबसाइटों पर कथित अपमानजनक सामग्री डालने पर पुलिस को किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देता था। लेकिन कोर्ट की बात कोर्ट  में ही रह गयी, लगता है। यहां तो बिना कुछ लिखे ही फेसबुक कट्टरपंथी भावना के लोगों के इशारे पर मानसिक यातना दे रहा है।” अमरेंद्र ने कहा कि फेसबुक का ऐसा मनमानापन भारत में अघोषित आपातकाल की ओर इशारा कर रहा है।

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0 Comments

  1. Chandra Prakash

    April 19, 2015 at 12:29 pm

    Mr Amrendra, will court decide what is religious or not?
    Shameless and coward like you can never understand or respect the true spirit of freedom of speech. I dare you to challenge or to raise questions on the religiosity of Quran in any court of india. Accept it, hai himmat ? People like you are intellectual clowns, intellectual buffoons.

  2. NIRAJ KUMAR

    April 18, 2015 at 8:23 pm

    ये संघी बजरंगी होते ही ऐसे हैं

  3. इंसान

    April 18, 2015 at 9:47 pm

    अमरेंद्र ने यदि जोर देकर कहा कि हाल के दिनों में उसने केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तिवित भूमि-बिल, हरियाणा के मुख्यमंत्री का अचानक उभर आया गीता-प्रेम और मोदी सरकार के वादों के सन्दर्भ में जमकर फेसबुक पर सवाल उठाये थे और इनमें श्रीमद्भागवत गीता के सामाजिक सरोकारों पर अमरेंद्र द्वारा उठाये गए सवालों को लेकर फेसबुक पर मोदी समर्थकों ने आपत्ति प्रकट की थी परन्तु जमकर पिटाई नहीं की थी क्योंकि ऐसा करना विधि व्यवस्था के विपरीत होता| मैं तो कहूँगा कि आज देश जिस चौराहे पर असहाय खड़ा है उसका सीधा कारण स्वयं भारत के पत्रकार हैं| भड़ास४मीडिया ने केवल मोदी शासन के विरुद्ध भड़ास निकालने हेतु इसे वेब-सिनेमा में लिखा है| भारतीय सिनेमा में पले पत्रकार भारत को सिनेमा घर बना दुनिया भर का मनोरंजन कर रहे हैं|

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