सोशल मीडिया की बढ़ती पैठ में जगह बनाने के लिये प्रिन्ट मीडिया के इन्टरनेट संस्करण कितने स्तरहीन और लापरवाह हो गये हैं, इसकी एक बानगी अमरउजाला की साईट को देखकर लगाया जा सकता है । कभी भास्कर की बेवसाईट को पसन्द करने वाले खास दशर्कों को अब अपना मसाला अन्य समाचार पत्रों की पेजों पर भी मिलने लगा है ।
निश्चित तौर पर ऐसे समाचार और तस्वीरें इन साइटसों पर लाईक की संख्या बढ़ाने का ही काम करती हैं । इसीलिये समाचार पत्र भी धड़ाधड़ ऐसी ‘जापानी तेल’ टाईप स्टोरी धल्लड़े से चलाते हैं । लेकिन इस अतिरेक में कहीं ना कहीं ऐसी लापरवाही भी सामने आ जाती है जिससे अखबार के नाम के साथ खिलवाड़ माना जा सकता है ।
ऐसा ही एक समाचार अमर उजाला की साईटस पर ‘‘घोड़ो का वीर्य बेचने के लिये ऐसी ज्यादती? तस्वीरों में देखें जरा’’ टायटल से पब्लिश हुआ । इसमें विस्तार से बताया गया अच्छी नस्ल के घोड़ों से आर्टिफिशियल घोड़ी के वेजिना में वीर्य किस तरह निकाला जाता है और फिर किस प्रकार बेचा जाता है। इस प्रक्रिया में लड़कियों की भागीदारी वाले फोटों के साथ 12 फाटों दिये गये । 9 वें नम्बर पर मोदी साहब का चायना टूर के दौरान चायनीज मंत्रियों के साथ का फोटो बीच स्टोरी में देकर कहानी में टवीस्ट ला दिया । एक नामी अखबार में बेशर्म कैप्सन के साथ भारतीय प्रधानमंत्री का फोटो डालकर भारतीय मीडिया की कौन सी तस्वीर सामने आती है, यह बताने की जरूरत नहीं है ।
असल में सब कुछ बेचने के युग के बाद अब केवल कुछ ही बेचने को रह गया है । सौ अब सभी आपाधापी में एक दूसरे से आगे निकलने को बेताब हैं । चाहे इसके लिये मीडिया के मानक धरे रह जायें या नैतिकता को खूटीं पर टांगना पड़े । अफसोस तब और होता है जब अमर उजाला जैसे संजीदा अखबार भी इस रेस में भाग लेते दिखायी देते हैं ।
Comments on “अमर उजाला ये क्या बेचने लगा, इतना पतन हो गया अखबार का !”
संजीदा अखबार तो अतुल जी के जाने के साथ ही नहीं रहा। अच्छे लोग बाहर हो गए और उदय कु मार जैसे बड़े बाबू और यशवंत व्यास जैसे रैकेटियर हावी हो गए और जिसे इंटरनेट का आई नहीं पता वह इंटरनेट का एडीटर है तो क्या उम्मीद कर सकतेहैं।
ख़बरों के प्रकाशन को लेकर एक बेहस होने की ज़रूरत है
उदय बाबू ने राजनीती kark नॉएडा सम्पादकीय का हाल बुरा कर दिया है. एक खबर पढने लायक नहीं होती. चुतिया संपादक बना कर बैठा दिया है.
yah akhabar sanjida to kya akhabar kahne yogy nhi raha.