-आदित्य पांडेय-
इंदौर : खबरों से आपको क्यों और कैसे दूर रखा जाता है इसका षड्यंत्र आप कथित बड़े अखबार से समझिए। कल एक ज्वैलर के बीस कर्मचारी उस संक्रमण से ग्रस्त मिले जिसका दुनिया भर में खौफ है और जिसकी सावधानी न रखने पर आम लोगों ने पुलिसिया डंडे भी खूब खाए। अखबार को करीब से समझने के चलते और आनंद ज्वैलर एक बड़ा विज्ञापनदाता होने के चलते मुझे यह तो पता था कि खबर ‘अंडर प्ले ‘ होगी लेकिन सुबह देखा तो खबर सिरे से गायब ही कर दी गई। एक भी शब्द नहीं। कमाल यह कि पूरे दीवाली सीजन में यहां जम कर फुटफॉल थे और एक बहुत बड़ा वर्ग सांसत में है लेकिन फुल पेज विज्ञापन देने वालों के सामने पाठकों की क्या बिसात?
आप भूल से भी लवण भास्कर को अपना हितैषी मानते हों तो आंखें खोल लीजिए। ये सिर्फ विज्ञापन दाताओं, पैसा लुटाने वालों, एजेंडे चलाने और जमीन वगैरह हथियाने के लिए निकाला जाता है…पूछिए तो सही कि आनंद ज्वैलर का नाम लिखने में इतने बड़े अखबार की कलम क्यों कांप जाती है।
आप अखबार से उम्मीद करते हैं कि वह ऐसे मामलों में लोगों के भले की बात कहेगा लेकिन वह खड़े होता है अपने विज्ञापन देने वालों के साथ, यकीन मानिए आप कितने ही बड़े गुनहगार हों लेकिन आप चाहें तो अखबार को विज्ञापन देकर खबर खत्म करवा सकते हैं लेकिन आप विज्ञापन नहीं देते तो आपका सही पक्ष होने के बाद भी आपको विलेन बनाने का कोई मौका अखबार नहीं चूकेगा।
वैसे प्रशासन का भी गरीब अमीर में फर्क करने का हिसाब देखिए कि तीन बजे मुझे यह खबर मिली लेकिन 3.30 पर भी दुकान में ग्राहकों की आमदरफ्त बनी हुई थी। हल्के फुल्के अंदाज़ में कह दिया गया कि सील करने के बजाए सेनेटाइज करने से काम चल जाएगा और बिल देख कर ग्राहकों से संपर्क करेंगे। मतलब यह माना जा रहा है कि आनंद ज्वैलर्स की दुकान में हर आने वाला कुछ न कुछ लेकर ही निकलता है।