जब ‘नईदुनिया’ में आनंद पांडे की आमद हुई, तो समझा गया था (और यही सच भी था) कि वे श्रवण गर्ग की जगह लेंगे, यानी चीफ एडीटर होंगे और मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ के सभी 6 एडीशन संभालेंगे. लेकिन, बाद में आनंद पांडे को सिर्फ मध्यप्रदेश का ग्रुप एडीटर (वास्तव में स्टेट हेड) बनाया गया. अंदर की ख़बरों के मुताबिक ये फैसला ‘नईदुनिया’ रायपुर के एडीटर रुचिर गर्ग की आपत्ति के कारण किया गया.
जब आनंद पांडे के दोनों स्टेट का हेड बनाए जाने की जानकारी रुचिर गर्ग को मिली तो उन्होंने प्रबंधन के सामने आपत्ति उठाई कि मैं दो साल से जिस आनंद पांडे से ख़बरों को लेकर जंग कर रहा था, उन्हें मैं अपने ऊपर कैसे सहन कर सकता हूँ. ये आपत्ति इसलिए भी जायज थी कि जब आनंद पांडे रायपुर में दैनिक भास्कर के संपादक थे, तब उनका सीधा मुकाबला ‘नईदुनिया’ से ही होता रहा. प्रबंधन को भी बात सही लगी. उन्होंने आनंद पांडे को मध्यप्रदेश के 4 संस्करणों तक सीमित कर दिया और रुचिर गर्ग को छत्तीसगढ़ का स्टेट हेड बना दिया. पांडे की समस्याएं अभी खत्म नहीं हुई है. उनके आने के बाद ‘नईदुनिया’ इंदौर में खेमेबंदी होने लगी है.
Comments on “आनंद पांडे का ओहदा इसलिए सिकुड़ गया!”
रुचिर गर्ग क्या कहना चाहते हैं, बात कुछ समझ में नहीं आ रही! खबर को गलत भी बता रहे हैं और आनंद पांडे को खुद से जूनियर बताकर, उनकी सीनियर पोजीशन को चैलेंज भी कर रहे हैं। वे ये भी कह रहे हैं कि भास्कर कही रेस में नहीं था, फिर ये भी बता रहे हैं कि हमने कोशिश की, पर कामयाबी नहीं मिली! बयानों की ये गड्ड-मड्ड भाषा बताती है कि सच बात को जरूर छुपाया जा रहा है।
Dhyanarth admin :
mere naam se kisi ne farji id bana kar betuka comment post kiya hai.
निष्पक्ष पत्रकारिता के रूप में रुचिर गर्ग जी ने बतौर संपादक नई दुनिया को छत्तीसगढ़ में एक नई पहचान दी है। समीर कुमार की टिप्पणी बेहद आपत्तिजनक है..उनकी भाषा से ही समझ में आ रहा है कि कोई व्यक्तिगत खुन्नस को पाल-पोस रहे हैं….पिछले 20 वर्षों से मैं रुचिर जी को जानता हूं…वे बेहद संवेदनशील और ईमानदार व्यक्ति हैं।