Mohammad Anas : तनु शर्मा से कभी मिला नहीं पर उनकी छोटी बहन मेरी दोस्त है. तनु ने अपनी मेहनत और लगन के बदौलत न्यूज़ एंकरिंग में छाप छोड़नी शुरू ही की थी कि इण्डिया टीवी में कार्यरत अनीता शर्मा तमाम तरह से उसे परेशान करने लगी. तनु को लोकसभा चुनाव के दौरान न तो एक बुलेटिन दिया जाता है पढ़ने के लिए और न ही किसी और तरह के काम में शामिल किया जाता है. जब कभी एंकरिंग करने का मौका मिलता तो उसमे भी अनीता शर्मा नुस्ख निकालती और सबके सामने बेइज्जत करती. यह सब सिलसिला रजत शर्मा के नाक के नीचे चलता रहा पर रजत ने एक बार भी इस मामले में हस्तक्षेप करके एक होनहार और ईमानदार एंकर की मदद की पहल न करते हुए अनीता शर्मा और उन जैसों को अपना समर्थन देता रहा.
इण्डिया टीवी के इन बुरे व्यवहार से तंग आ कर तनु परेशान रहने लगी फिर अचानक से एक दिन बुलेटिन पढने के बाद फिर से उसे बेवजह की बाते सुनाई गयीं तो उसने यह फैसला किया की अब और नहीं रहना इस संस्थान में और गुस्से में मोबाइल से एक मैसेज भेजा कि यदि इस तरह के हालात रहे तो वह इस्तीफा दे देगी, उसने यह मैसेज व्यवस्था को सचेत हो जाने के लिए किया था न की संस्थान से सच में इस्तीफा देने के लिए, बस इसी मौके की तलाश में बैठी अनीता शर्मा और एम् एन प्रसाद ने इसको मुद्दा बना कर उसे संस्थान से निकाल देने का फरमान सुना दिया और इसकी जानकारी तनु को नहीं दी.
तनु हमेशा की तरह दफ्तर पहुंची तो उसका कार्ड छीन लिया गया, धक्के दिए गये और सबके सामने दुबारा से बेइज्जत किया गया. चूंकि किसी भी मीडिया संस्थान में तीन साल के कांट्रेक्ट बेस पर लोगों को रखा जाता है और यदि बीच में निकाला जाता है तो दो महीने से लेकर छः महीने तक की एडवांस सैलरी दी जाती है, जो की तनु के मामले में नहीं देने की बात सामने आई, इन सब वजह से परेशान और सब ओर से बुरे लोगों में घिरी तनु के पास खुद को खत्म कर लेने के सिवा कोई और रास्ता ही नहीं बचता. पर इस संसार में अपने जमीर और सच की बदौलत जीने वालों को खुदा यूं ही नहीं बुला लेता अपने पास, तनु बच गई ,वह मर भी सकती थी.
इस पूरी घटना ने मीडिया के भीतर के उस स्याह पक्ष को सामने लाने में मदद की है जो होता तो हमेशा है पर दिखाई नहीं देता . अस्पताल के सामने सारे चैनलों की ओवी वैन आ कर खड़ी हो जाती है पर बिना ख़बर किये की सब वापस चले जाते हैं, ऐसा क्यों ? इसलिए तो मैं कहता हूं, ये जो हाथ हिला और बालों में ऊँगली करते हुए ख़बर पढ़ते/पढ़ती हैं इनको और माइक ले कर सड़क से लेकर संसद तक को नैतिकता के पाठ पढ़ाने वालों को जहां देखें ‘कायदे से पेश’ आएं. एक सवाल छोड़े जा रहा हूं , जवाब घंटा नहीं मिलेगा, फिर भी सवाल छोड़ने का अपना एक मज़ा है – आखिर कब तक मालिकों और संपादकों के दलाल, असली पत्रकारों को उभरने से पहले ही खत्म कर देने की मुहिम जारी रखेंगे?
पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट मोहम्मद अनस के फेसबुक वॉल से.
vivek jha
June 24, 2014 at 5:56 am
😆 इंडिया टीवी में जो हुआ वह वाकई दुखद है और इस मामले में इंडिया टीवी प्रबंधन पर कार्रवाई होनी चाहिए।
Ranjana Singh
June 25, 2014 at 1:10 am
दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति। पर तनु जैसे कई शोषित होंगे,इन्हे हारने की नहीं बल्कि जूझने की जरूरत है। सही है कि शोषक चैनल इनका सच नहीं दिखायेगा, पर उक्त चैनल का भी तो कोई प्रतिद्वंदी होगा ? उसके पास जाय जाए तो वह सच (अपने फायदे के लिए ही सही) दिखायेगा।परिणाम का भय अन्ततः इन्हें काबू में रखेगा। सड़ी गाड़ी व्यवस्था के बीच सांस लेने की जगह कुछ यूँ तो बनायीं ही जा सकती है.
Tara
June 25, 2014 at 2:24 am
MEDIA JUST LIKE A EPISODE AND IT IS ANOTHER -SAAS BHI KABHI BAHUT THI
TARA
krishnabhan singh
November 8, 2014 at 4:32 am
aap sabhi ko mera namaskar mai tv24 news chainal par distt crospondet ke pad par karty kar raha tha mujhse 50000 rupe jama bhi karaye gaye aur kaha gaya ki mujhe ek khabar par 1000 rupe diye jayege lekin ek bhi paisa nahi diya gaya aaj tin sal me chainal par ek ptrkar ki sikayt ki to mujhse hi 20000 rupe mage gaye e hal tv24 ka hi nahi mujhe to lagta hai ki jada tar chainal sab patrkaro ka soshan kar rahe hai mai iski ladai lduga aur meri soch hai ki ptrkaro aur media karmio ko hak dilauga aap sab yadi sahamat ho to sabhi mediya karmi mujhse mere m0 no 09628536386 par whats up 9628536386 par aur meri mail [email protected] ya [email protected] par sampark kar eak jut hone ka kaam kare aur hamre sath samil ho kar media karmio ki awaz ko buland kare
pradeep jain
December 20, 2014 at 6:30 am
न्यूज चैनल्स का सच पीपली लाइव में उजागर हुआ है लेकिन पूरा सच शायद ही कभी उजागर होगा। पत्रकारों का शोषण कोई नई कहानी नहीं है। मेरे अनुभव से कह सकता हूं कि इस क्षेत्र में नए नियम कायदों की आमद होना चाहिए। पत्रकारों का शोषण और उन पर हो रहे संपादकों अथवा मालिकों के अन्याय को जवाबदेही के दायरे में लाना चाहिए।