Virendra Yadav : अंजना ओम कश्यप ने अभी अपने शो में कहा कि टाइम पत्रिका का मोदी पर लेख एक पाकिस्तानी ने लिखा है। काश इस अपढ़ कुपढ़ को पता होता कि आतिश तासीर मशहूर पत्रकार तवलीन सिंह के बेटे हैं और उनकी परवरिश दिल्ली में उनके सिख नाना नानी ने की जिनकी खुशवंत सिंह से पारिवारिक मित्रता थी।
आतिश के हाथ में बचपन से शिव का गोदना गुदा है और वह सिख धर्म का कड़ा पहनते रहे है जो उनकी नानी ने उन्हें पहनाया था। उनके पिता उन्हें इसलिए नापसंद करते थे कि वह इस्लाम और पाकिस्तान को लेकर इतने बेबाक ढंग से लिखते रहे थे कि अक्सर पाकिस्तानी पॉलिटिक्स में होने के कारण उन्हें दिक्कत होती थी।
दिल्ली और लंदन में उनका अधिकतम समय बीतता रहा है। बनारस जाकर उन्होंने संस्कृत सीखी और आतिश तासीर की नवीनतम पुस्तक The Twice Born- Life and death on Ganges बनारस पर ही केन्द्रित है।
गोदी मीडिया अपने झूठ को भक्तों के बीच दुष्प्रचारित कर रहा है। कहने की जरूरत नहीं कि यह अंजना ओम कश्यप वही है जो बनारस में नौका साक्षात्कार के समय लहालोट थी।
Urmilesh Urmil : हिन्दी के न्यूज चैनल कृपया हिन्दी भाषी समाज को ग़लत सूचना यानी फेक न्यूज मत परोसिए! टाइम मैगजीन की कवर स्टोरी: ‘India’s divider in chief’ के लेखक आतिश तासीर पाकिस्तानी नहीं हैं। कुछ चैनल इस तरह की झूठी सूचना प्रसारित कर रहे हैं!
आतिश भारत की वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह के सुपुत्र हैं। तवलीन को मीडिया और सियासी हलके में बीते पांच-छह सालों से मोदी जी और उनकी ज्यादातर नीतियों का समर्थक माना जाता है।
तासीर के पिता सलमान तासीर एक पाकिस्तानी सियासतदां थे। बाद के दिनों में तवलीन और सलमान तासीर अलग-अलग हो गए! सलमान तासीर अपनी अमीर पृष्ठभूमि के बावजूद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सियासत में उदारवादी और अपेक्षाकृत प्रगतिशील माने जाते थे। वह पंजाब प्रांत के गवर्नर भी रहे। कुछ साल पहले लाहौर में एक कट्टरपंथी पुलिस वाले ने उनकी हत्या कर दी थी!
आतिश तासीर का जन्म लंदन का है और लालन-पालन यहीं अपनी मां और नाना-नानी के घर दिल्ली में हुआ। बचपन में वह कुछ समय कोडाइकनाल के एक मशहूर बोर्डिंग स्कूल में पढ़े! फिर अपने जन्म-स्थान लंदन मे पढ़े! वह लंदन में ही रहते हैं! समय-समय पर भारत आते रहते हैं! किस आधार और तर्क से वह पाकिस्तानी हुए?
उन्हें किसी भी तरह पाकिस्तानी नहीं कहा जा सकता! वह एक कामयाब पत्रकार और चर्चित लेखक हैं! पहली किताब ‘Stranger to History—‘ (2009) से ही उनकी लेखक के रूप में पहचान बन गई। वी एस नायपॉल जैसे बड़े लेखक ने उस किताब की तारीफ की और उदीयमान लेखक में बड़ी संभावनाएं देखीं!
Khushdeep Sehgal : टाइम मैगज़ीन में साहेब पर ‘डिवाइडर-इन-चीफ़’ लेख लिखने वाले आतिश तासीर को पाकिस्तानी कह कर ख़ारिज़ किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि आतिश ने एक ख़ास संदेश देने के लिए कि दुर्भावना के तहत टाइम में ये लेख लिखा…
आइए जानते हैं आतिश हैं कौन? वो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर के बेटे हैं…सलमान की उनके बाडीगार्ड और कट्टर उन्मादी मुमताज़ क़ादरी ने 2011 में गोली मार कर हत्या कर दी थी… क़ादरी इसलिए ख़फ़ा था क्योंकि सलमान पाकिस्तान के सख़्त ईशनिंदा क़ानून को बदलने की मुहिम छेड़े हुए थे…
विकीपीडिया के अनुसार ब्रिटेन में पैदा हुए 39 वर्षीय आतिश की राष्ट्रीयता भारतीय है….उनकी मां का नाम तवलीन सिंह हैं जो भारत की मशहूर पत्रकार रही हैं. आतिश की परवरिश दिल्ली में उनके सिख नाना नानी ने की. उनके हाथ में सिख धर्म का कड़ा भी रहा जो उन्हें नानी ने पहनाया था….बनारस जाकर संस्कृत सीखने वाले आतिश लंदन और दिल्ली के बीच शटल करते रहे हैं…उनकी ताज़ा किताब का थीम भी बनारस है… राइटर Virendra Yadav ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट में बताया है कि आतिश के हाथ में बचपन से शिव का गोदना गुदा है…
टाइम में लेख आने के बाद से ब्रिगेड ने आतिश के विकीपीडिया पेज, ट्विटर समेत सोशल हैंडल्स पर जमकर गदर काट रखा है कि आख़िर तुमने सच्चाई लिखने की हिमाकत कैसे की… अब बताइए कि 2014 के बाद से देश में ऐसी कौन सी चीज़ है जिसे बांटने की कोशिश नहीं की गई…इनसान को इनसान से…यहां तक कि बॉलिवुड को भी जो हमेशा ऐसी बातों से अछूता रहा था… इतिहास उन्हें ‘डिवाइडर-इन-चीफ़’ के नाम से ही याद रखेगा…क्योंकि डिवाइड करने के बाद भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश के लिए और किसी चीज़ के मायने नहीं रह जाते…
Vivek Satya Mitram : जो नहीं जानते उनके लिए — Time मैग्जीन की कवर स्टोरी “डिवाइडर इन चीफ़” लिखने वाले आतिश तसीर अमेरिकी पत्रकार नहीं हैं। वो भारत की जानी-मानी पत्रकार तवलीन सिंह और पाकिस्तानी बिजनेसमैन सलमान तसीर के पुत्र हैं। उनका पालन-पोषण दिल्ली और लंदन में हुआ है। वो भारत और पाकिस्तान दोनों की ही राजनीति में गहरी रूचि रखते हैं। बस इतना ही!
Ambrish Kumar : तवलीन सिंह अपने इंडियन एक्सप्रेस /जनसत्ता की भगवा पत्रकारिता की झंडाबरदार रहीं है .टाइम पत्रिका में उन्ही के चश्मे चिराग ने मोदी पर रौशनी डाली है
Shrikant Asthana : Time magazine’s cover story shouldn’t be treated as the ultimate truth or the last reality. in fact it is an analytical opinion like academic dissertations where you hypothesize with your opinion on observations, find corroborating facts to develop it and culminate into a conclusion. Though it is lucidly and logically written, it is not a ground report. You’re free to agree with it, disagree or have a third opinion.
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