पीटीआई फेडरेशन प्रबंधन के साथ हुए समझौते को सार्वजनिक करे… सुप्रीम कोर्ट के ताजे रुख और आदेश से अनुबंध पर रखे गए हजारों- लाखों कर्मचारियों को मालिकों के शैतानी चंगुल से बचाने में मदद किलेगी। खासकर वैसे कम्रचारी जिन्हें नाममात्र के वेतन पर रख कर ये लोग मजीठिया वेज र्बोड से अधिक वेतन देने का दम भर रहे हैं। सबसे पहले तो इस संदर्भ में पीटआई के साथियों को बहुत अधिक फायदा होने वाला है। यहां प्रबंधन और फेडरेशन दोनों कह रहे है कि मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों को लागू कर दिया गया है। लेकिन हकीकत ये है कि इससे ठेके पर रखे गए साथियों को एक पैसे का भी फायदा नहीं हुआ है। उल्टे फेडरेशन ने उनपसे इसके लिए चंदे के रूप में लाखों वसूल कर लिए। यहां दूसरे कर्मचारियों को एरियर की दो किस्तों को भी भुगतान नहीं हुआ है।
इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण और चौंकाने वाली बात है कि प्रबंधन किस्तों और ठेके पर रखे गए साथियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ न देने के पीछे फेडरेशन और प्रबंधन के बीच हुए समझौते को सबसे बड़ा बाधा बताया जा रहा है। दोनों के बीच समझौता होने की बात तो आधिकारिक रूप से स्वीकार की गई है लेकिन इस समझौते की शर्तो पर न तो प्रबंधन केुछ बोल रहा है और न ही फेडरेशन। समझा जाता है कि 26 तारीख से फेडरेशन का पटना मे होने वाले अधिवेशन में इस पर गर्मगर्म चर्चा हो सकती है। और अब जब सुप्रीम कोर्ट ने ठेके पर रखे कर्मचारियों को भी सभी सुविधा और लाभ दिलाने के आदेश दे दिए हैं तो फेडरेशन पर प्रबंधन पर इन कर्मचारियों का हक दिलाने का जोर बढ़ेगा। अधिवेशन में मांग की जा सकती ळै कि अब फेडरेशन को प्रबंधन के खिलाफ सुप्रीम कोटर् में कैविएट दायर करना चाहिए।
नए सीईओ के आने के बाद पटना में होने वाला यह अधिवेशन इस लिए भी महत्वपूर्ण हेा गया है। महाराज किसन राजदान(एमकेआर) की सत्ता समाप्ति के बाद फेडरेशन के कथित स्वयंभू नेता श्याम मोहन (एमएस) यादव की फजीहत तय है। यह किसी से किसी से छिपा नहीं है कि एमएस और राजदान दोनों के बीच तगड़ी मिलीभगत थी। इसी कारण मजीठिया पर फेडरेशन ने प्रबंधन से समझौता कर अनुबंध के साथियों के साथ यह सौतेला व्यवहार किया। वैसे भी पटना अधिवेशन कई तरह के विरोधाभासी विवादों में फंस गया है। वहां के कई साथी वहां के फेडरेशन नेताओं पर कई तरह के आरोप लगा रहे हैं। स्मारिका के नाम पर चंदा वसूलने और मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखने का भी आरोप लगाया जा रहा है।
‘मजीठिया मंच’ नामक एफबी एकाउंट की वॉल से.
sb
August 26, 2016 at 7:15 pm
Bhaiyon, MS Yadav per mujhey Shuru se hi “Shak” tha. Ab itney mahinon baad Ujaagar ho gaya. Ab logon (workers) ko ye bhi samajh me aa jani chahiye ki Production Staff ki Salary aur Editorial ki Salary me itni Wisangatiyan kyon aur kaise hui….!!! Main to issey bhi Akhbaar Malikon se “Milibhagat” manta hun.
nikhil
August 30, 2016 at 2:20 am
sir mai kanpur me amar ujala me work krta hu print dpptt.me .muje Sam’s nam ki fedresan ke jariye bhrti kiya gya tha 2 sal ho gye 8000 rup. payment h kuch nhi bdate blki kam prmanent workar ke hisab se le rhe plz kuch kre ya tips de