Mukesh Kumar : आम तौर पर फिल्म इंडस्ट्री कायरों से भरी पड़ी है (तथाकथित महानायक अमिताभ बच्चन इसकी सबसे बड़ी बानगी हैं)। एक-दो लोगों को छोड़कर कभी कोई खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं करता। लेकिन अनुराग कश्यप ने जिस तरह से सीधे प्रधानमंत्री को आ़़ड़े हाथों लिया है वह काबिल-ए-तारीफ़ है और इसके लिए उन्हें शाबाशी दी जानी चाहिए। अंध राष्ट्रवादी नफ़रत और हिंसा के खिलाफ़ ये खुलकर बोलने का समय है। जो चुप हैं इतिहास उनको भी दर्ज़ कर रहा है।
Nadim S. Akhter : मैं फिल्मकार अनुराग कश्यप के साथ हूं. इस देश के हर नागरिक को अपने पीएम से एक नहीं, सैकड़ों सवाल पूछने का अधिकार है. प्रधानमंत्री हमारे सेवक हैं, मालिक नहीं. जो भक्त उन्हें ईश्वर का दर्जा देने पे तुले हुए हैं, वे कृपया लाइन से अलग हो जाएं. उन्हें बुलेट ट्रेन से लोकतंत्र की स्पेशल क्लास में भेजा जाएगा.
वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार और नदीम एस. अख्तर की एफबी वॉल से.
Comments on “अनुराग कश्यप का साहस काबिल-ए-तारीफ़ है”
Mr Anurag Kashyap ji ko bhi apne filmfare, iifa award vapis kar dene chaiye Modi ke virod mai.
अनुराग कश्यप का साहस काबिल-ए-तारीफ़ है