Story of Apollo Munich Fraud and Cheating : मैं यानि गौरव सिंघल अपने और अपने परिवार के लिये अपोलो म्युनिक हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ( एड्रेस- थर्ड फ्लोर n /23 सैक्टर 18 नॉएडा) से एक स्वास्थ्य बीमा पालिसी (नंबर 6000042476) 3 अगस्त वर्ष 2012 को ली थी. इसको मैं हर साल कंपनी द्वारा मांगी गयी प्रीमियम के अनुसार रिन्यू कराता रहा. इस बीमा में आज तक कभी कोई क्लेम नहीं लिया गया. वर्ष 2015 मे कंपनी द्वारा ज्यादा पैसे की मांग करने पर मैंने ये कहते हुये भुगतान कर दिया कि बढ़ी हुयी कीमत कम से कम तीन माह पहले बताई जानी चाहिये थी. इस पर कंपनी ने IRDA का हवाला देते हुये कहा कि हमने IRDA से अप्रूवल ले लिया है.
IRDA में बात करने पर पता चला कि कंपनी ने उनसे कहा है कि पालिसी धारक को 1 मई 2015 को ही इनलैंड लैटर से सूचना भेज दी थी. जबकि सूचना भेजे जाने का कोई साक्ष्य नहीं दिया गया, जो कि भारतीय कानून संहिता 1897 कि धारा 27 के तहत अनिवार्य है. मुझको कोई भी सूचना नहीं दी गयी. तब मैं बड़ा हैरान हुआ कि इतनी बड़ी कंपनी गलत कैसे बोल सकती है. 31 मार्च 2016 को मेरे घर एक बेटे ने जन्म लिया जो कि पैदा होते ही सांस ठीक से नहीं ले पा रहा था. कंपनी पालिसी के अनुसार नया सदस्य 90 दिन के बाद ही पालिसी के अंतर्गत आता है, जो कि मेरे को पता था तो बेटे का इलाज मैंने अपने खर्च पर यशोदा अस्पताल गाजियाबाद में करा लिया.
मैंने कंपनी से पूछा कि ऐसा क्यों है कि मेरा बच्चा 90 दिन बाद कवर होगा जबकि संस्थागत लोगों का बच्चा तो पहले दिन से कवर होता है. कंपनी ने फिर IRDA के अप्रूवल का हवाला दिया. जब कंपनी से पूछा कि आप बताइये आपने कब अप्रूवल माँगा कि आप व्यक्तिगत पालिसी धारक के बच्चे को पहले दिन से कवर करेंगे और IRDA ने अप्रूवल देने से मना कर दिया हो तो कंपनी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया.
इससे पहले अगस्त 2016 में पालिसी का रिन्यू आ चुका था और मेरे से कम्पनी एक खाली फार्म पर दस्खत करा कर और एक चेक बिना भरा सिर्फ दस्खत हुया ले चुकी थी. उसके बाद कंपनी का एक मेल आया और पूछा कि नये सदस्य की मेडीकल हिस्ट्री बताओ. मैंने बच्चे के यशोदा अस्पताल से मिले कागज़ मेल कर दिये. लेकिन मुझे तब महसूस हुआ कि कंपनी मुझसे बिना मतलब जान बूझ कर वाद विवाद करती है. इसके कुछ दिन बाद कम्पनी ने एक मेल भेज कर मेरी पालिसी बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री का बहाना लेते हुये कैंसल कर दी, जबकि बच्चा एकदम ठीक है! ऐसा लगता है कि कंपनी शुरू से ही मन बना कर बैठी थी कि 4-5 बार पैसे ठग कर फिर कोई बहाना बना कर पालिसी कैंसिल कर देंगे. इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि
1. 3 साल बाद जब पालिसी में नयी बीमारियां कवर होती हैं तभी कंपनी ने पैसे बढाये जबकि 3 साल तक कोई क्लेम ना लेने की वजह से रिन्यूवल सस्ता होना चाहिये था.
2. कंपनी ने IRDA से झूठ बोला कि पैसे बढाये जाने कि सूचना 1 मई 2015 को दे दी गई थी.
3. कंपनी ने झूठ बोला कि व्यक्तिगत पालिसी धारक के बच्चे को पहले दिन से कवर ना करना IRDA का अप्रूवल है.
4. कंपनी ने प्लानिंग के तहत मुझसे खाली रिन्यूअल फार्म पर दस्खत करवाये.
5. पालिसी ख़ारिज कर दी और साल 2016 के पैसे भी लौटाने से मना कर दिया गया.
कम्पनी एक सेवा प्रदाता है, लेकिन मैंने ना कभी कोई सेवा मांगी ना मुझको कोई सेवा दी गयी. इस वजह से ये शिकायत उपभोक्ता अदालत में नहीं जा सकती पर क्योंकि मेरे साथ सोची समझी साजिश के तहत ठगी की गयी है तो कंपनी के खिलाफ ठगी का मुकदमा दर्ज कराने के लिये मैं सैक्टर 18 की पुलिस चौकी गया. वहां चौकी इंचार्ज महोदय ने मेरे साथ 2 सिपाही भेज दिये. अपोलो म्युनिक के अधिकारियों ने सिपाहियों को मुँह जबानी भरोसा दिलाया कि पालिसी कैंसिल नहीं होगी. उसके बावजूद मेरी पालिसी कैंसल कर दी गयी है. अब चौकी इंचार्ज भी सुनवाई नहीं कर रहे हैं.
मुझ पर मानसिक दबाव अत्यधिक है. इस कारण यदि मेरे या मेरे परिवार के साथ किसी भी तरह कि कोई अप्रिय घटना घटती है तो उसकी ज़िम्मेदार कम्पनी होगी. कंपनी द्वारा किये जा रहे मानसिक उत्पीडन से हारकर यदि मैं कोई गलत कदम उठाता हूँ तो उसके ज़िम्मेदार श्रीमती शोबना कामिनेनी निदेशक अपोलो म्युनिक हेल्थ, डॉक्टर वोल्फगांग निदेशक अपोलो म्युनिक हेल्थ व श्री अंटोनी जैकब मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अपोलो म्युनिक हेल्थ होंगे.
आपका अनुज
गौरव सिंघल
[email protected]
9910002137
Shashank Tyagi
October 15, 2016 at 5:07 pm
Bhaiyo sab mill ke iss company pe pressure dallo.. Agar aaj tum sab aage nhi aaoge toh ye kal aapke sath apke bacho ke sath ho sakta hai. Isliye khta hu
Aao aur iss family ko inka hakk dilwaye.
Shashank
October 15, 2016 at 5:14 pm
Shame on you apollo munich. We all should raise our voice against dirty corporates who just learned how to loot the common man.
Lets support this family.
Divakar Singh
October 16, 2016 at 12:10 pm
ये गौरव जी परेशान तो लग रहे हैं पर इनकी कहानी में बहुत झोल हैं. जैसे कि IRDA एक ग्राहक के trsnsaction पर कोई एक्शन नहीं लेता जब तक उसके पास शिकायत न जाये, ना ही IRDA और बीमा कंपनी के बीच कोई पत्राचार होता है किसी एक ग्राहक के लिए. इसका कारण ये की IRDA एक नियामक संस्था है, अपोलो की मालिक नहीं. दूसरी बात कि इनको ये ज्ञान भी नहीं कि ये consumer forum में जा सकते हैं क्योंकि उन्होंने बीमा की सेवा ली है और पैसे दिए हैं. बीमा का क्लेम लेने या न लेने से फर्क नहीं पड़ता. पुलिस इसमें बीच में पड़ नहीं सकती और ये पुलिस को भी दोष दे रहे हैं. लोगों की सहानुभूति लेने के लिए इन्हें मामले को दूसरी तरह से प्रस्तुत करना चाहिए था.
gaurav k singhal
October 17, 2016 at 1:48 pm
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दिवाकर जी का हार्दिक धन्वाद! दिवाकर जी सहानभूति किस बात कि? लड़ाई है अपना अपना तरीका है लड़ने का! जहां तक बात है कि IRDA एक ग्राहक के लिये पत्राचार नहीं करता तो किये गये पत्राचार के 2 पेज का लिंक दे रहा हूँ कृपया दुसरेे पेज का तीसरा बुलट पढ़ें जिसमे अपोलो ने IRDA को लिखा है उसने 1 मई 2015 को मुझे इनलैंड लेटर भेजा जबकि आज तक सारा पत्राचार या तो रजिस्ट्री पोस्ट से हुआ है या फिर कोरिअर से फिर यही 1 लेटर इनलैंड क्यों? दूसरा जनरल क्लोज 1897 कि धारा 27 के तहत अपोलो को ये साबित करना होगा कि मुझे ये लेटर प्राप्त हुआ! बस यही मेरी लड़ाई है कि अपोलो इस लेटर कि रिसीविंग प्रूव कर दें! अपोलो ऐसा नहीं कर सकती इस लिये उसने मेरी पालिसी कैंसल कि है! भाई साहब ये 38 पेज का लेटर है जो अपोलो ने IRDA को लिखा है आप अपनी मेल आई डी दो मई आपको पूरा पत्र मेल करता हूँ! और जहाँ तक सवाल है कन्जूमर फोरम मे जाने तो नम्र निवेदन है कि ये मुकदमा क्रिमिनल कोर्ट कोर्ट मे लड़ा जायेगा! और इसको खारिजं या दाखिल माननिय अदालत तय करेगी आप या मै नहीं!
आपके सहयोग कि प्रतीक्षा मे
गौरव
Puneet Sharma
October 22, 2016 at 8:53 am
Gaurav,
I am an advocate in Patiala House Court New Delhi and as per my experience I can say that this is tuff to present this matter as cheat in court as you have consumer client relation but as you say that we are no one to judge, so you please go ahead and if this matter will accept by court it will set an example. My best wishes are with you.
Puneet Sharma
Ch. No. 927,
B.S. Mehta Complx
Patiala House court
New Delhi.
Deepak Kumar Mangal
October 23, 2016 at 7:20 am
I do agree with Advocate Puneet Sharma and as far concern with JHOL in story we can not say anything at this moment. Apollo Munich is a big company but on the other hand Gaurav is paying premium since last five years without asking any claim. And new born cover from 91 days can be a matter of PIL as this is not his personal matter but in favour of Public at Large.
gaurav
October 24, 2016 at 11:36 am
श्री दुष्यंत कुमार ने कहा था “हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं मेरी कोशिश ये है कि सूरत बदलनी चाहिये ” तो आप सभी कि दुआओं और सहयोग से मेरी पालिसी रिवाइव हो या न हो बस सभी बच्चे पहले दिन से कवर हो जायें यही मेरी जीत होगी!
आपका अनुज गौरव
इंदु त्यागी
October 25, 2016 at 3:48 pm
तुम ना आती तो क्यों बनाता मै येे सीढियाँ दीवारों तुम्हारा मेरी राह मे आने का शुक्रिया
राजा अगस्तस प्रताप कि वजह से अब से सारे देश के बच्चे पहले दिन से कवर होगें ! अब ये लड़ाई हमारी पालिसी की है ही नहीं! अब तो मुद्दा ही ये है कि इनदिविजुअल का बच्चा 90 दिन बाद क्यों कवर होगा! सारे बच्चे एक जैसी सुविधायें पायेंगे ! जब देश का कानून भेदभाव नहीं करता तो इंश्योरंस वाले कैसे कर सकते हैं? हैं जी !
Rishi Sharma
October 26, 2016 at 3:58 pm
hay bhagwaan mera to rongta khadea go gayea yea sab sun k. ab mai to kabhi bhe apolo munik sea inshorans nai nikalwaunga aur apna dosto ko b bolunga ki yadi unhona apolo cheat kampani ki policy nikaali hai to wo turant dusari kampani k pass chale jaay. mara 1 dost bata raha tha ki usna ifko tokio ki policy nikali hai wo badhiya kampani hai. sab log usi kampani ki policy nikalo.
Nitin Saxena
October 28, 2016 at 9:31 am
ham kitne samvedanheen ho gaye hain ki ek aadmi maansik utpeedan se haarkar galat kadam uthane ki baat kar raha hai to dusra aadmi isko sahnbhooti lene ka stunt bataa raha hai.
shame on you divakar
sanjiv goyal
November 1, 2016 at 6:51 am
Meri samjh se to medical insurance karawana hi nahi chahiye.