नितिन त्रिपाठी-
ऐपल जैसी कंपनियों की ख़ास बात यह है कि वह लाँग टर्म विजन रखती हैं. आज जो प्रोडक्ट आता है उसकी प्लानिंग पंद्रह साल पहले से आरंभ हो चुकी होती है.
ऐपल स्पीकर आये – अपनी रेंज में उससे शानदार स्पीकर कोई नहीं. ऐपल टीवी आया. ऐपल के मैडिटेशन ऐप आये. पर मुझे लग रहा था ऐपल इस स्प्रेडिंग टू थिन. ऐपल अपने कोर को छोड़ इधर उधर टांग लगा रहा है. आई वास रॉंग. ऐपल तैयारी कर रहा था नेक्स्ट जनरेशन गैजेट की.
ऐपल ने हाल ही में लॉंच किया है ऐपल विज़न प्रो. स्टीव जॉब्स की डेथ के पश्चात ऐपल की किसी नये प्रोडक्ट की पहली रिलीज़ है. और यह वाक़ई वाओ है. यह केवल वर्चुअल रियल्टी वाला चश्मा नहीं है, बल्कि भविष्य में टीवी, मोबाइल, होम थियेटर सबको रिप्लेस कर देगा.
आँखों की पुतलियों से नेविगेशन कर सकते हैं. हवा में उँगली हिलाते हुवे स्क्रॉल कर सकते हैं. अपने कमरे के बराबर वर्चुअल स्क्रीन बना सकते हैं. मैडिटेशन करते हुवे एक्चुअल ब्रह्मांड में घूम सकते हैं. ज़बरदस्त ऐपल स्पीकर वाली आवाज़, ऐपल टीवी के फीचर, आईफ़ोन की क्वालिटी, मैकबुक की durability सब कुछ एक चश्मे में. सबसे अच्छी बात है कमरे में कोई और भी हो तो आप उससे इंटरैक्ट भी कर सकते हैं.
3D इमेज, वीडियो. अब समझ आ रहा है जैसे अभी हम बीस साल पुरानी फ़ोटो देख बोलते हैं कितनी घटिया थीं, आज की फ़ोटो देख बीस साल बाद लोग बोलेंगे अरे कभी इतनी घटिया फ़ोटो भी होती थीं.
यद्यपि अभी यह बहुत कॉस्टली है पर ऐसा सदैव होता है. पहला वर्जन सेलेक्टिव लोगों के लिये निकाला जाता है. दस वर्षों में यह डिवाइस दुनिया पर राज करेगी.
ऐपल का प्रोडक्ट है, ऐपल ने दस वर्षों में पहले ही इसके लिये ऐप आदि बना रखे हैं तो पहले दिन ही एकदम परफ़ेक्ट है.
ऐपल ने इस डिवाइस से इस क्षेत्र में मेटा, गूगल, माइक्रोसॉफ़्ट सबको बहुत पीछे छोड़ दिया.
यह डिवाइस भविष्य का फ़ोन कम होम थियेटर कम टीवी कम अलेक्सा कम एवरीथिंग है.
बाक़ी रही ज्यादा दाम की बात तो जब हज़ार रुपये के नोकिया के जमाने में पचास हज़ार का आईफ़ोन आया था तब भी ऐसा ही लग रहा था. एज लाँग एज वैल्यू है पीपल विल पे एनी मनी.