धर्मवीर-
अर्नब गोस्वामी का व्हाट्सएप कांड देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ साथ सेना के युद्ध मिशन की गोपनीयता पर प्रश्नचिन्ह….
मुंबई पुलिस ने TRP Scam में अर्नब गोस्वामी को लेकर जिस तरह के खुलासे किए हैं वह ना सिर्फ़ चौंकाने वाले हैं बल्कि पूरे देश को डराने वाले हैं । अर्नब गोस्वामी के द्वारा विभिन्न लोगों को भेजे गए व्हाट्स एप की डिटेल सार्वजनिक होने का सबसे गम्भीर पहलू यह है कि अर्नब गोस्वामी को भारत की सेना के गुप्त अभियानों तक के बारे में पहले से पता चल रहा था ।
हम सभी जानते हैं कि पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के पश्चात् भारत की वीर सेना ने पाकिस्तान के #बालाकोट एयर बेस पर हमला किया था । भारतीय सेना के द्वारा बालाकोट एयर स्ट्राइक 26 फ़रवरी 2019 को की गई थी । इससे ठीक तीन दिन पहले 23 फ़रवरी को अर्नब गोस्वामी अपने एक परिचित को भारत की ओर से पाकिस्तान के ऊपर इस तरह के किसी बड़े हमले के बारे में व्हाट्स एप के द्वारा सूचना भेजते हैं । जब दूसरी तरफ़ का शख़्स उनसे डिटेल माँगता है तो अर्नब कहते हैं कि कुछ बड़ा होने वाला है । अर्नब का परिचित वापस पूछता है कि क्या दाऊद इब्राहीम को निशाना बनाया जाएगा तो अर्नब कहता है कि इससे भी बड़ा होगा कुछ । नीचे के चित्र में इस पूरे कनवरजेशन को पढ़ा जा सकता है । इस सबमें नोट करने वाली बात यह है कि इस पूरे व्हाट्स एप चैट की तारीख़ 23 फ़रवरी है और बालाकोट पर भारत की एयर स्ट्राइक इसके ठीक तीन दिन बाद होती है ।
अर्नब गोस्वामी की इस व्हाट्स एप चैट को पढ़ने के बाद कुछ बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं । देश और इसकी सेना की सुरक्षा के मद्देनज़र इन प्रश्नों के उत्तर जल्द से जल्द दिए जाने की ज़रूरत है । भारत सरकार को तुरंत ही एक हाई लेवल जाँच समिति का गठन करके निम्न प्रश्नों के आधार पर जाँच करवानी चाहिए …
- अर्नब के पास भारत की सेना के गुप्त मिशन की सूचना कहाँ से आई ..? भारत की सेना से सम्बंधित सारे आम मिशन भी टॉप सीक्रेट होते हैं । इसमें से बालाकोट मिशन तो भारत के दुश्मन नंबर एक पाकिस्तान के ऊपर किए जाने वाली सीधी एयर स्ट्राइक का मिशन था । इसकी सीक्रेसी तो टॉप से भी टॉप लेवल की रही होगी तो फ़िर वह कौन व्यक्ति है जिसने अर्नब तक यह सूचना पहुँचाई होगी । वह व्यक्ति सैनिक है या असैनिक यह तो जाँच से ही पता चल पाएगा लेकिन जिस तरह की देशभक्ति का इतिहास भारतीय सेना का रहा है उस लिहाज़ से लगता है कि शायद अर्नब के पास यह सूचना असैनिक सोर्स से आई होगी । कौन हो सकता है वह ..?
- अर्नब के पास आई सूचना किस लेवल की थी ..? अर्नब के व्हाट्स एप चैट से जितना खुलासा हो रहा है उससे यह अंदेशा होता है कि शायद अर्नब को इस पूरे मिशन की सटीक जानकारी थी । भले ही व्हाट्स एप मेसेज में वह एयर स्ट्राइक जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर रहा लेकिन वह दाऊद इब्राहीम की गिरफ़्तारी से भी इनकार रहा था और सर्जीकल स्ट्राइक से भी कुछ ज़्यादा बड़ा होने की बातें लिख रहे थे । अर्थात् अर्नब लीक हो चुकी चैट में भले ही साफ़ एयर स्ट्राइक के बारे में नहीं लिख रहे थे लेकिन सम्भावना है कि उन्होंने अपने किसी ख़ास के साथ इस मामले में और स्पेसिफ़िक जानकारी शेयर की होगी । पूरी कहानी जाँच के पश्चात् ही बाहर आ सकेगी ।
- क्या अर्नब के अलावा और भी बाहरी लोग थे जिनको बालाकोट मिशन के बारे में पता था .? पूरा देश जानता है कि वर्तमान मीडिया में जिस तरह के क्रियाकलाप अर्नब गोस्वामी के हैं ठीक वैसी ही हरकतें कई और तथाकथित पत्रकारों की भी हैं । तो क्या अर्नब के साथ साथ उन लोगों को भी बालाकोट ऑपरेशन की जानकारी थी ..? अगर हाँ तो किस किसको और किस किस लेवल की ..?
- अर्नब ने इस सूचना को किस किस के साथ शेयर किया .?जाँच का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यही है । अर्नब को सूचना मिली वह एक बात है । लेकिन वह सूचना अर्नब ने किस किसके साथ शेयर की यह पता किया जाना बेहद ज़रूरी है ।
- क्या दुश्मन देश के किसी सूत्र को भी बालाकोट स्ट्राइक के बारे में पहले से जानकारी थी ..? अगर हाँ तो क्या इसमें अर्नब की तरफ़ से कोई रोल प्ले किया गया था ..?
इस जाँच में यह प्रश्न ऐसा है जो अर्नब गोस्वामी के व्हाट्स एप चैट प्रकरण को बेहद गम्भीर क़िस्म का ऐसा अपराध बना देता है । अगर किसी भी स्तर से सूचनाएँ लीक होकर दुश्मन देश तक पहुँची हैं तो यह मामला बहुत गम्भीर है । - क्या बालाकोट मिशन से सम्बंधित सूचनाएँ लीक होने का असर इस मिशन के परिणामों पर भी पड़ा ..? बालाकोट एयर स्ट्राइक भारतीय सेना के गौरवशाली अभियानों में से एक रहा और इसमें भी कोई शक नहीं कि हमारे देश को इस एयर स्ट्राइक के शानदार परिणाम भी मिले हैं । लेकिन क्या सूचना लीक नहीं होती तो क्या परिणाम और भी बेहतर होते ..? जाँच का विषय है ।
- आईंदा ऐसी सूचनाएँ लीक ना हों इसके क्या इंतज़ाम हैं ..? हम सभी जानते हैं कि सेना लेवल पर गोपनीयता सबसे बड़ी प्राथमिकता होती है । कभी कभार इसमें भी सेंध लग़ जाती है लेकिन यह सेंध लगना ही देश के ख़िलाफ़ है । ऐसा लगता है कि इस विषय में भारत की सेना और सरकार को और ज़्यादा सख़्ती बरतने की ज़रूरत है ।
कुल मिलाकर अर्नब गोस्वामी की चैट लीक मामले को केवल एक व्यक्ति विशेष की निजता भंग होने का मामला मानकर डील करना देश के हितों के साथ समझौता होगा । बेहतर है कि NIA इस मामले को देश की सेना और उसकी सुरक्षा के साथ गम्भीर आपराधिक खिलवाड़ के तौर पर ले और देशहित में इस जाँच को नतीजे तक पहुँचाए ।
याद रखिए , अर्नब आएँगे – अर्नब जाएँगे । राष्ट्र प्रथम है और वही रहना चाहिए ।