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आजतक पर रिया का इंटरव्यू देख पागल हो गया है अर्नब गोदी गोस्वामी!

-प्रभात शुंगलू-

क्या आप अर्नब गोदी गोस्वामी को जानते हैं…. इंडिया टुडे के वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने रिया चक्रबर्ती का इंटर्वयू क्या ले लिया अरनब गोस्वामी के तन बदन में आग लग गई और प्राइम टाइम शो में गुस्से से आग बबूला हो गये। बस मुंह से झाग नहीं निकला। लेकिन दिमाग पर असर इतना था कि फिर वहीं अनर्गल आरोप रटने लगे, मानो कोई प्रेत आत्मा उनके शरीर में आ गई हो।…कहने लगा — मुझसे सहा नहीं जा रहा, ये कोई इंटरव्यू है, सवाल है पर काउंटर सवाल नहीं है। अरनब ने इस इंटरव्यू की तुलना कॉफी विद करण वाले शो से करते हुए इसे कॉफी विद तक (यानि आजतक चैनल) कह दिया। कहा- ये इंटरव्यू नहीं पीआर स्टंट है। आरोपी के साथ इंटरव्यू। हूं..मैं तो कभी नहीं लेता, हमारा चैनल आरोपियों को जगह नहीं देता।

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लेकिन यहां अर्नब से सवाल पूछता हूं – तुम हफ्तों से रिया चक्रबर्ती के पीछे हाथ धोकर पड़े हो, उसे मर्डर सस्पेक्ट बता रहे, उसपर कीचड़ उछाल रहे, उसे सुशांत सिंह राजपूत की मौत का ज़िम्मेदार मान रहे, रिया को फ्रौड बता रहे जिसने सुशांत सिंह के बैंक अकाउंट से करोड़ो खाली कर दिया। रोज़ अपने शो में तुम रिया चक्रबर्ती के खिलाफ अदालत बिठाते हो, सारे वो वक्ताओं को अपने गैस्ट पैनल में जगह देते हो जो रिया को कटघरे में खड़ा करें। दो महीने से रिया चक्रबर्ती का मीडिया ट्रायल नहीं तो और क्या चल रहा। लेकिन तुम्हे बुरा लग गया कि रिया चक्रबर्ती ने तुम्हारे राइवल चैनल और तुम्हारे पुराने साथी राजदीप सरदेसाई को इंटरव्यू दे दिया। और तुम सवाल कर रहे कि ये घटिया, एकतरफा इंटरव्यू है, पीआर स्टंट है। और जो तुम दो महीने से रिया का कैरेक्टर असैसिनेशन कर रहे वो क्या था।

क्या तुमने ये पत्रकारिता सीखी। मैने जो पत्रकारिता में सीखा वो ये कि किसी भी मुद्दे का दोनो पक्ष जानना बेहद ज़रूरी है। पत्रकार का काम फैक्ट्स सामने रखना है न कि अदालत बिठा कर जज बनना। पत्रकार का काम सवाल पूछना है, interrogation का अधिकार जांच एजेंसियों का है, क्या तुम सीबीआई के लिये काम करते हो, क्या तुम enforcement directorate के लिये काम करते हो। क्या तुम सरकार हो। हां, तुम सरकारी आवाज़ में ज़रूर बोलते हो। दिन रात उसी की ढपली पीटते हो। पूरा देश जानता है। देश जानता है तुम किसकि गोदी में बैठकर उनसे उनके न्यू इंडिया की कहानी सुनते हो और अपने शो में वही न्यू इंडिया बनाने का आहवाहन करते हो।

उसपर तो आगे बात करूंगा लेकिन एक बात सच सच बताओ अगर तुम्हे रिया चक्रबर्ती का इंटरव्यू मिलता तो क्या तुम वो इंटरव्यू नहीं करते। अब ज़रा सोचो कि रिया चक्रबर्ती ने तुम्हे इंटर्वयू क्यों नहीं दिया। सोचो, क्योंकि तुमने तो उसे अपने मीडिया ट्रायल में दोषी साबित करके वर्चूअल वर्लड में ही सही पर सूली पर टांग दिया है। तुम तो फैसला सुना चुके हो, जबकि हमारे देश का कानून ये कहता है कि कोई भी व्यक्ति तब तक मासूम है जब तक उसपर आरोप साबित न हो जाये।

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3 Comments

3 Comments

  1. Pradeep

    August 28, 2020 at 4:22 pm

    अर्नव ने तो पत्रकारिता की हद पार कर रखी वह किसी को भी सजा सुना देता है भाई जब तक किसी पर आरोप साबित ना हो जाए तब तक उसे मुजरिम कैसे माना जा सकता है। ये मीडिया किसी को भी मुजरिम बना देता है ये तो अच्छा अदालत इन मीडिया रिपोर्टों पर फैसला नहीं देतीं सुदिक्षा के केस को देख लो पुलिस मना कर रही है मगर मीडिया जबरदस्ती छेड़छाड़ का केस बना दिया।

    अब अर्नव को देख लो जब खुद प्राइम एक्यूज था रोजाना टीवी पर क्यों बोलता था। जब राजदीप ने रिया का इंटरव्यू कर दिया तो क्या शिक्षा दे रहा है हमने तो क्रीमनलों का लाईव इंटरव्यू नेशनल चैनलों को करते देखा न्यूज़ स्टूडियो से उनको पुलिस पकड़ कर ले गई है। जब अंगूर ना मिले तो खट्टे बताते हैं लोग।

  2. प्रकाश

    August 28, 2020 at 4:30 pm

    अच्छा है अभी अर्नव ने सर्वोच्च न्यायालय को ये नहीं कहा रिया केस को तो मैं देख रहा हूँ CBI, ED, NCB को क्यों दिया गया। अब देश के सारे केस इनको दे दिया करें ये संस्थाऐं देश बेकार रखीं हैं।

  3. प्रियांशी सिंह

    August 28, 2020 at 11:04 pm

    इतने दिनों के बाद पत्रकारिता का एक ऐसा रूप भी देखा जो वास्तव में न्यूज़ वैल्यू के कुछ सिद्धान्तों के अनुरूप दिखा है वरना आज कल तो मीडिया सरकार और समर्थ लोगों के पैर की जूती बन गयी है जो महज मानव की सोंच को किसी एक पक्ष की और मोड़ने की भूमिका निभाने का काम कर रही है और इंसान को एक तरफा सोंचने को मजबूर कर रही हैं और रही अरनव की बात तो उन्हें पत्रकारिता की शिक्षा दोबारा से लेनी चाहिये क्योंकि अपना पक्ष रखने और स्पष्ट बोलने की स्वतंत्रता तो हमारा संविधान भी सबको देता है और अपना पक्ष रखना रिया का अधिकार है भले ही वह गुनहगार क्यो न हो ।

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