Yashwant Singh-
मीडिया की हालत बहुत खराब है. यहां काम करने वाले ज्यादातर नौजवान तनाव में हैं. सबसे बड़ा मुद्दा है सेलरी. बड़का नाम वाले संपादक लोग अपने यहां कार्यरत मीडियाकर्मियों को सेलरी नहीं देते. इनकी पीड़ा को कौन सुनेगा.. कौन छापेगा.. कौन दिखाएगा…
भड़ास को ये सब छापने की कीमत चुकानी पड़ती है… कोर्ट कचहरी थाना पुलिस नोटिस धमकी… ये सब झेलना पड़ता है.. ताकतवर प्रबंधन नहीं चाहता कि उसके मीडिया ब्रांड की हकीकत कहीं छपे…
आज दो न्यूज चैनलों के अंदर खाने की खबरें भड़ास पर प्रकाशित करते हुए सोचता रहा कि आखिर ये मीडिया के मालिकान और इनके संपादक लोग इतनी बेशर्मी, इतना हरामीपन और इतनी संवेदनहीनता और इतनी क्रूरता लाते कहां से होंगे… वक्त बदल रहा है लेकिन नहीं बदल रहा है तो मीडिया के मालिकों-संपादकों का कमीनापन… पता नहीं ये सब पैसा सीधे स्वर्ग में निर्यात कर रहे हैं क्या ताकि मरने पर जब वहां पहुंचें तो धरती वाली मौज मस्ती जारी रह सके…
यही हो सकता है वरना ये अपने यहां काम करने वालों को सेलरी क्यों नहीं देते.. ऐसा नहीं कि इनके पास पैसा नहीं है… खूब पैसा है.. अकूत पैसा है… पर कमीनापन इतना भरा हुआ है कि ये देना नहीं चाहते… गुलामों से ट्रीट करते हैं अपने कर्मियों को… मानसिकता ये है कि न जीने दो न मरने दो, बस सांसें चलने दो और काम लेते रहो… ताकि ये कहीं जा न पाएं और यहां अंकड़ दिखा न पाएं…
ऐसा ही कुछ होगा… पता नहीं क्या होगा… लेकिन कुछ तो है जिसके चलते ये कमीने बिना पैसा दिए काम कराते हैं… बेरोजगारी इतनी है कि युवा मीडियाकर्मी जुड़े रहते हैं ये सोचकर कि आज नहीं तो कल कुछ न कुछ मिल ही जाएगा…
रिपब्लिक भारत के मालिक अर्णब गोस्वामी और इंडिया न्यूज के मालिक कार्तिकेय शर्मा की ट्विटर आईडी किसी के पास हो तो उन्हें टैग कर उनके संस्थान की खबरें उन तक पहुंचाया जाए… हालांकि उन्हें सब कुछ पता है और जो कुछ हो रहा है वो सब उनके कहने पर ही हो रहा है लेकिन एक बार शेम शेम कहना तो बनता है… शायद इससे कुछ भला हो जाए… इनके यहां काम करने वालों को सेलरी मिल जाए…
संबंधित खबरें-
भड़ास एडिटर यशवंत सिंह की एफबी वॉल से.
View Comments
Sir
Main aapke chainal per Kam Karna Chahta Hu