मुंबई। वीडियोकॉन लोन मामले में घिरी आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर के खिलाफ आईसीआईसीआई बैंक स्वतंत्र रूप से आंतरिक जांच करने जा रहा है। इस आंतरिक जांच को लेकर सवाल उठने लगे हैं। आशंका है कि बैंक की ओर से बनाई गई आडिट कमेटी की जांच दरअसल सीबीआई जांच को हल्का कर कोचर केस की लीपापोती करने की साजिश है।
गौरतलब है कि आईसीआईसीआई बैंक ने जानकारी दी है कि बैंक की सीईओ चंदा कोचर के खिलाफ लगे आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने का फैसला किया गया है। बैंक बोर्ड ने इस सिलसिले में जांच कमेटी का गठन करने का फैसला किया है, जिसकी अध्यक्षता एक स्वतंत्र शख्स करेगा।
बैंक बोर्ड का कहना है कि उसकी आडिट समिति कार्रवाई को लेकर आगे फैसला करेगी। सवाल यह उठता है कि जब पहले आईसीआईसीआई बैंक बोर्ड ने चंदा कोचर को निर्दोष मानते हुए उसे क्लीन चिट दी थी, तब अब वही बैंक सख्ती क्यों बरत रहा है? माना जा रहा है कि जब सीबीआई ने इसे बुलाया है, तब इसको जांच सूझी है, ताकि सीबीआई के केस को कमजोर किया जा सके।
वीडियोकॉन लोन मामला क्या है?
सीबीआई ने पहले से ही वीडियोकॉन लोन मामले की आरंभिक जांच शुरू कर दी है, जिसमें वीडियोकॉन को साल 2012 में दिए गए 3250 करोड़ रुपए के लोन की जांच की जा रही है। इसमें चंदा कोचर के पति दीपक कोचर का भी नाम शामिल है। आरोप हैं कि वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपए लगाए थे। इसी के बाद बैंकों के कंसोर्शियम ने वीडियोकॉन को 3250 करोड़ रुपए का और लोन दिया। इस बैंकों के कंसोर्शियम में आईसीआईसीआई बैंक भी था।
सीबीआई के सामने तथ्य नहीं आने देने की चाल
बैंक बोर्ड की ओर से इस सिलसिले में आॅडिट कमेटी की होनेवाली जांच को लेकर संदेह गहरा गया है। माना जा रहा है कि सीबीआई के सामने चंदा कोचर से जुड़े सारे तथ्य नहीं आए, इसको लेकर बैंक की ओर से साजिश रची गई है। जब बैंक के पास आडिट कार्य होता ही है, तो अब भला अलग से आॅडिट कमेटी की ओर से जांच का क्या मतलब? इस तरह बैंक की ओर से होने वाली जांच कोचर का बचाव ही करेगी।
चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर के खिलाफ सीबीआई इंडियन पीनल कोड के तहत जांच करेगी, लेकिन दूसरी ओर बैंक की ही आडिट कमेटी जांच को ढीला छोड़ देगी। भला बैंक की ही आडिट कमेटी बैंक की ही सीईओ चंदा कोचर के खिलाफ गंभीरता से जांच क्यों करेगी?
पद का कर सकती हैं दुरुपयोग
आईसीआईसीआई बैंक में सीईओ के पद पर बैठी चंदा कोचर अपने पद का दुरुपयोग कर अपने ही बैंक के आडिट जांच को प्रभावित कर सकती हैं। यदि जांच ईमानदार तरीके से होनी है, तो पहले चंदा कोचर को उनके पद से हटाना चाहिए था। पद पर रहकर चंदा कोचर अपने खिलाफ मिले सबूतों को नष्ट भी कर सकती हैं।
गिरफ्तारी क्यों नहीं?
बैंक कमेटी यह जांच करेगी की कर्ज देने के मामले में नियमों का उल्लंघन किया गया है या नहीं, लेकिन इससे पहले चंदा कोचर की गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही? बैंक की सीईओ चंदा कोचर जब तक गिरफ्तार नहीं होंगी, तब तक बैक की कमेटी इस मामले की प्रामाणिक जांच कैसे करेगी?
चंदा कोचर को पद से हटाने की मांग
खबर है कि बैंक के ही कुछ डायरेक्टर्स चंदा कोचर के पद पर बने रहने का विरोध कर रहे हैं। बता दें कि सीबीआई ने 2012 में वीडियोकॉन समूह को आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 3250 करोड़ रुपए के लोन के संबंध में बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर स्थापित ‘नूपॉवर रिन्यूएबल्स’ के निदेशक उमानाथ वैकुंठ नायक से पूछताछ की थी। वहीं इस मामले में सरकार भी कोचर को पनाह दे रही है।
लेखक Unmesh Gujarathi मुंबई से प्रकाशित दबंग दुनिया अखबार के रेजीडेंट एडिटर हैं.